ट्राईजेमाइनल न्यूरेलजिया जैसी समस्याओं का इंसान के शरीर पर हमला बढता ही जा रहा है
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : जीवनशैली में लगातर बदलाव की वजह से ट्राईजेमाइनल न्यूरेलजिया जैसी समस्याओं का इंसान के शरीर पर हमला बढता ही जा रहा है। कुछ समस्याएं ऐसी है, जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है लेकिन उसकी जड तक पहुंचना आसान नहीं होता। हम यहां बात कर रहे हैं ट्राईजेमाइनल न्यूरेलजिया के बारे में जो सामान्य तौर पर होने वाले दात के दर्द से अलग होता है। इस विषय पर हमने डॉ प्रियंका यादव से बात की है :
यह बीमारी किस उम्र में ज्यादा होती है डॉ साहब ?
यह बीमारी अक्सर 50 साल से ऊपर उम्र वालों में होती है यह परुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होती है !
इस बीमारी के प्रमुख वजह व लक्षण क्या हैं ?
इसकी सबसे आम वजह है आज की जीवन शैली में तनाव व नींद का पूरा न होना !
कई बार मरीज इस दर्द को दांत का दर्द समझते हैं दांत का पूरा इलाज कराने के बाद भी उनके जबड़े का दर्द नही जाता !
जबकि यह दांत के कारण नही ट्राईजेमाइनल नस जो कि मस्तिष्क से जुड़ी होती है के कारण होने वाली बीमारी है ! यह देश के जाने माने कलाकार सलमान खान को भी हो चुका है !यह दर्द अक्सर दांत जबड़े गाल के आस पास व मसूड़ो व आंख के निचले हिस्से व कान के पास होता है तथा इसमें कुछ सेकंड के लिये चेहरे में जलन व सुन्न होना तथा कुछ सेकंड के लिये इलेक्ट्रिक झटके से महसूस होते हैं !
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- इसके क्या क्या कारण हैं ?
इसके कई कारण हैं जिनमे प्रमुख रूप से –
1.रक्त वाहिकाओं द्वारा ट्राईजेमाइनल नस को दबाना जो कि मस्तिष्क स्तंभ से जुड़ी होती है !
2.ट्यूमर द्वारा नस का दबना !
3. तथा अन्य मस्तिष्क से जुड़ी समस्या भी इस बीमारी का कारण हो सकती हैं !
ट्राईजेमाइनल नस चेहरे के तीन हिस्सों (नर्व) में बंटी होती है – जिसमे पहला है (आपथेलमिक)आंख के हिस्से के आस पास तथा मस्तिष्क का ऊपरी भाग है जिसको यह सप्लाई करती है !
दूसरा है (मैक्सीलरी भाग)चेहरे के ऊपरी भाग वाले जबड़े तथा तीसरा है (मैंडीबुलर भाग) निचले जबड़े से जुड़ा होना ! तथा यह सीधे ब्रेन से जुड़ी होती है !
यह दर्द अक्सर निम्न कारणों से बढ़ जाता है जैसे -खाना खाते वक्त, टहलते समय सर हिलाने पर, कार चलाते समय, ब्रश या सेविंग करते समय, बात करते हुये, गर्दन हिलाते समय, चेहरे पर मेकअप के दौरान, अचानक चेहरे पे छूने पर, ठंडक के कारण
हमारे पास कई बार ऐसे मरीज हैं जो अपना दांत तक इस दर्द को दांत का दर्द समझ उखड़वा चुके हैं! जबकि डेन्टल एक्स रे में दांत से सम्बंधित कोई भी लक्षण उनमे होता ! तथा अन्य जांच द्वारा पता चलता है कि वह ट्राईजेमाइनल न्यूरेलजिया है न कि दांत से जुड़ी समस्या !
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क्या हैं ट्राइजेमिनल न्यू रेल्जिया के उपचार के तरीके ?
डॉक्टर सर्वप्रथम चेहरे के हिस्से को छू कर देखतें हैं कि किस हिस्से में दर्द अधिक है !उसके अनुसार इलाज शुरू किया जाता है ! जिसमे हम निम्न विधि द्वारा इलाज करतें हैं
एम आर आई
नर्व टेस्ट (NCV Nerve Conduction) द्वारा सही रूप से यह जानकारी ली जाती है कि नस के किस हिस्से में परेशानी है इसमे सबसे पहले एन्टीकंवलसेन्ट दवा, मसल रेल्क्सटेंट दिया जाता ताकी दर्द के सिग्नल को कम किया जाये अगर इससे में आराम न मिले तो इंजेक्शन (एनेस्थीसिया) नर्व ब्लॉक नर्व की ट्रंक पर देकर भी मरीज को दर्द से राहत मिलती है तथा सर्जरी व रेडियोथेरैपी द्वारा भी इलाज किया जाता है तथा कुछ मरीजों में बोटोक्स के इंजेक्शन देकर भी उन्हें दर्द से राहत दी जाती है !
घरेलू उपचार
गर्म या ठंडें आइस पैक या गर्म बीन बैग भी कुछ मरीजों में दर्द से राहत देता है मगर कुछ मरीजों को ठंडा आइस पैक लगाने से अचानक दर्द बढ़ जाता है वो गर्म पैक का इस्तेमाल कर सकते हैं !
क्या है ट्राईजेमाइनल न्यूरेलजिया ? दांत के दर्द से यह कैसे अलग है !
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