Thursday, November 21, 2024
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AIIMS Artificial Intelligence : Paralyzed मरीजों के लिए AI बन सकता है वरदान

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AIIMS में Artificial Intelligence की मदद से 50 Paralyzed मरीजों पर किया ट्रायल

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : AIIMS Artificial Intelligence : Paralyzed मरीजों के लिए AI बन सकता है वरदान- लकवाग्रसत मरीजों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वरदान बन सकता है। हाल ही में Delhi Aiims ने 50 लकवाग्रस्त मरीजों के उपचार मेें AI आधारित ट्रायल किया और इसके शुरूआती नतीजों से विशेषज्ञ उत्साहित हैं।

उम्मीद की जा रही है कि आगे चिकित्सा विज्ञान और कृत्रित बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के मेल से न्यूरोस्पाइनल बीमारियों से पीडित वैसे मरीजों को राहत मिल सकेगी, जो आंशिक और पूर्ण विकलांगता से पीडित हैं। एआई का यह ट्रायल New Delhi Aiims के साथ दिल्ली के कई बडे अस्पतालों में संचालित किया जा रहा है।

महज एक महीने में ठीक हुए Paralyzed मरीज

एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग ने Artificial Intelligence की मदद से 50 मरीजों पर उपचार परिक्षण किया। जिसके बाद यह पाया गया कि सामान्यतौर पर आठ महीनों में ठीक होने वाली paralysis महज एक महीने में ही ठीक हो गई। दिल्ली एम्स में अब इस तकनीक का सहारा लेते हुए उपचार की इस प्रक्रिया के विस्तार का निर्णय लिया है।

Brain Stroke के निदान में भी मिले उत्साही परिणाम

Aiims Delhi में ब्रेन स्ट्रोक मरीजों के निदान में भी Artificial Intelligence का फायदा सामने आया। इस तकनीक से ब्रेन स्ट्रोक से पीडित मरीजों की पहचान करने में विशेषज्ञों को मदद मिली। मरीजों के पूरे शरीर को स्कैन कर ब्रेन स्ट्रोक की गंभीरता और ब्लड क्लॉट्स के बारे में जानने के बाद उनके प्राथमिक चिकित्सा में विशेषज्ञों को काफी मदद मिली।

खास बात यह है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित यं​त्रों को आसानी से दूर-दराज के इलाकों में भी ले जाया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक जिन दूरस्थ इलाकों में विशेषज्ञों का अभाव है, ऐसे में उनकी गैरहाजिरी में भी एआई आधारित मशीन की मदद से मरीजों की जांच कर सकते हैं।

AIIMS Artificial Intelligence
AIIMS Artificial Intelligence.| Photo : freepik

AIIMS Artificial Intelligence

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से निर्मित रोबोटिक यंत्रों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और Aiims के विशेषज्ञों ने मिलकर तैयार ​किया है। इसके कुछ कॉम्पोनेंट्स एआई पर आधारित हैं। इन मशीनों की मदद से जरूरत के मुताबिक मरीजों को हांथ और उंगलियों से संबंधित व्यायाम भी करवाना संभव है। व्यायाम के दौरान कितना गति रखना है, यह रोबोट खुद ही समझ लेता है। मरीजों पर किए गए इस मशीनी ट्रायल से मरीजों को रेकॉर्ड समय में ठीक करने में मदद मिली है।
रने लगता है।

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जल्द आएगा नैनो रोबोटिक्स का जमाना

चिकित्सा जगत में शीघ्र ही नैनो रोबोटिक्स (nano robotics) का इस्तेमाल शुरू होने वाला है। इस तकनीक की मदद से सर्जन को एआई आधारित रोबोटिक सर्जरी मशीन में मरीज से जुडे प्रोग्राम अपलोड करना होगा। जिसके बाद यह मशीन कई प्रकार की स्वचालित सर्जरियों को अंजाम देगा। विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मशीन की मदद से सर्जरी के दौरान शरीर के उस हिस्सों तक भी पहुंचना संभव हो जाएगा जहां मैन्यूअली सर्जरी के दौरान पहुंचना संभव नहीं है।

ब्रेन, हार्ट, लिवर, स्पाइन और मानव अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में भी इन मशीनों की दखल से सर्जरी पहले के मुकाबले कहीं अधिक जोखिम मुक्त हो सकेगा। ऐसी मशीनों की मदद से जहां सर्जरी के दौरान रक्तस्राव भी कम होगा, वहीं मरीजों को सर्जरी के जख्म से उबरने में भी कम समय लगेगा।

इन दिनों एम्स, सफदरजंग, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में रोबोटिक मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन यह एआई आधारित मशीने नहीं हैं। इन मशीनों के जरिए सर्जन सर्जरी को अंजाम देते हैं। जिसे सर्जन को ही मैन्यूअली कंट्रोल करना पडता है।

एआई पर लगातार हो रहे हैं शोध और अध्ययन

एम्स-आईआईटी के सहयोग तैयार एआई आधारित रोबोटिक ग्लव्स तैयार करने वाले डॉ. अमित मेहंदीरत्ता के मुताबिक किसी भी एआई डिवाइस को इस्तेमाल में लाने से पहले उससे संबंधित हजारों-लाखों की संख्या में डेटा जुटाया जाता है। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम तैयार किए जाते हैं।

यह ऐसे प्रोग्राम हैं जो डेटा के पैटर्न को समझकर उसके मुताबिक रिपोर्ट तैयार करने में सक्षम होते हैं। डॉ. अमित के मुताबिक देश में इस समय चिकित्सा क्षेत्र में एआई केवल सपोर्ट करने वाले एलिमेंट हैं। इन पर लगातार शोध और अध्ययन किए जा रहे हैं। वास्तव में एआई बेहद मजबूत और सक्षम उपकरण होते हैं।

15 वर्षों में एआई का तेजी से हुआ विकास

दिल्ली आईआईटी के इंजीनियर जगमाल सिंह के मुताबिक गत 15 वर्षों में एआई के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर विकास पाया गया है। इसे तैयार करने के लिए बच्चों की तरह शुरूआत से मशीन सीखनी पडती है। मशीन लर्निंग प्रोसेस में संबंधित डेटा अपलोड किया जाता है। इसके बाद यह पता लगाया जाता है कि मशीन विश्लेषण कर सही परिणाम दे रहा है या नहीं। लाखों डेटा अपलोड होने के बाद मशीन सटीक परिणाम देने लगती है।

AIIMS Artificial Intelligence : Paralyzed मरीजों के लिए AI बन सकता है वरदान

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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