Ankylosing Spondylitis पर किए गए Latest Research में वैज्ञानिकों को मिली नई जानकारी
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Ankylosing Spondylitis : अर्ली डायग्नोसिस के लिए मिला नया मार्कर – वैज्ञानिकों ने एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylsoing Spondylitis) को लेकर किए गए नए अध्ययन (Latest Research) में एक नया खुलासा किया है। इस अध्ययन से एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के अर्ली डायग्नोसिस (Early diagnosis of ankylosing spondylitis) में मदद मिल सकती है।
वैज्ञानिकों के इस नए अध्ययन के अनुसार, हड्डी रोग के लिए एक रक्त परीक्षण, जो अल्कलाइन फॉस्फेट (ALP) नामक एंजाइम के स्तर को मापता है, रेडियोग्राफ़िक परीक्षाओं में असामान्यताएं देखे जाने से पांच साल पहले एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस में रोग प्रगति का अनुमान लगा सकता है।
जांचकर्ताओं ने अपने विश्लेषण में यह लिखा है कि “यह न केवल हड्डी-विशिष्ट बायोमार्कर (bone-specific biomarkers) खोजने के लिए उपयोगी है, जो रेडियोग्राफिक प्रगति (radiographic progress) की भविष्यवाणी करता है बल्कि सक्रिय हड्डी चयापचय (active bone metabolism) की अवधि का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी उपयोगी है। जिसे एएस (Ankylosing Spondylitis) की रेडियोग्राफिक प्रगति का मूल्यांकन करने वाले नैदानिक और प्रयोगात्मक अध्ययनों में संबोधित किया जाना चाहिए।”
क्यों होते हैं रेडियोग्राफिक परिवर्तन
विशेषज्ञों के मुताबिक, रेडियोग्राफिक परिवर्तन सूजन, मरम्मत, नई हड्डी के निर्माण होने के कारण हो सकते हैं। एएस गठिया का एक गंभीर रूप है जो रीढ़ की हड्डी और सैक्रोइलियक जोड़ों की कठोरता से पहचाना जाता है – जहां रीढ़ का आधार पेल्विस से मिलता है। यह रोग रीढ़ की हड्डी में सूजन और नई हड्डियों का निर्माण जोड़ों में अकड़न और दर्द की समस्या पैदा करता है।
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एएस में रेडियोग्राफिक परिवर्तन (radiographic changes in AS) घटनाओं के अनुक्रम (sequence of events) के कारण होते हैं। जिनमें रीढ़ में सूजन, मरम्मत और नई हड्डी का निर्माण की प्रक्रिया शामिल होता है। यहां तक की रेडियोग्राफ़ के जरिए शरीर में होने वाले रोगजनक परिवर्तन के खुलासे से पहले ही ज्यादातर मरीजों में बायोमार्कर्स (biomarkers) से संबंधित परिवर्तनों का भी पता चलता है।
हालांकि, पिछले अध्ययनों में रेडियोग्राफ़िक प्रगति से पहले सूजन के मार्करों में बदलाव का आकलन किया जा चुका है। शोधकर्ताओं के अनुसार, “किसी भी अध्ययन ने एएस के रोगियों (Ankylosing Spondylitis Patients) में हड्डी के चयापचय (bone metabolism) में परिवर्तन के समय और रेडियोग्राफ़िक प्रगति के बीच संबंध का मूल्यांकन नहीं किया है।” अस्थि चयापचय, अस्थि निर्माण और अस्थि अवशोषण की एक गतिशील प्रक्रिया है।
ऐसे किया अध्ययन
इस संबंध को निर्धारित करने के लिए, दक्षिण कोरिया के शोधकर्ताओं ने 1,122 एएस रोगियों (Ankylosing Spondylitis Patients) के मेडिकल रिकॉर्ड का मूल्यांकन किया। इन सभी मरीजों को एक ही केंद्र में जनवरी 2001 से दिसंबर 2018 तक उपचार दिया गया था। ज्यादातर मरीज लगभग हर छह महीने में बाह्य रोगी विभाग (OPD) में आते थे और कम से कम प्रत्येक दो वर्ष में रीढ की जांच करवाते थे।
इन मरीजों की औसत आयु 32 वर्ष थी। जिनमें मुख्य रूप से पुरुष (88.4%) थे और औसतन 8.2 वर्षों तक उनका follow up किया गया। मरीजों का फॉलो-अप करते हुए शोधकर्ताओं ने सूजन के मार्करों, रोग गतिविधि और रेडियोग्राफ़ के लिए डेटा इकट्ठा किया।
Modified Stokes Ankylosing Spondylitis Spinal Score (mSASS) का उपयोग करते हुए अध्ययन में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों का औसत 4.58 बार मूल्यांकन किया गया।
आम तौर पर ज्यादातर मरीजों में mSASS बढ़ा हुआ पाया गया, हालांकि अध्ययन की शुरुआत में यह स्कोर रोगियों के बीच अत्यधिक परिवर्तनशील (highly variable) थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, एएलपी (ALP) का रक्त स्तर – A potential marker of bone turnover – तीन महीने के अंतराल में आठ वर्षों तक इकट्ठा किया गया। bone turnover हड्डी के पुनर्जीवन की एक प्रक्रिया है, जिसके बाद नई हड्डी रिप्लेश होती है।
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अध्ययनकर्ताओं ने यह पाया कि स्पाइनल रेडियोग्राफिक परिवर्तनों से पहले पांच साल और तीन महीने में रक्त में ALP का स्तर रेडियोग्राफी में देखी गई एएस की प्रगति (mSASS) के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुडा हुआ है। उन्होंने यह नोट किया कि यह सी-रिएक्टिव प्रोटीन (a marker of inflammation), और रेडियोग्राफिक प्रगति की परिभाषित तुलना में लंबी अवधि है। जो रीढ़ की हड्डी की परीक्षाओं के दो साल के अंतराल से संबंधित है।
जिसके बाद शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि “एएस रेडियोग्राफिक प्रगति पर बायोमार्कर खोज या चिकित्सीय अनुसंधान के लिए [पांच से अधिक] वर्षों के दीर्घकालिक संभावित नैदानिक और प्रयोगात्मक अध्ययन की आवश्यकता होती है,”
हालाँकि, अध्ययन की कुछ सीमाएँ भी हैं, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि ALP अन्य अंगों द्वारा भी उत्पादित किया जा सकता है। अध्ययन में अन्य कारकों पर भी विचार नहीं किया गया, जो bone turnover को प्रभावित कर सकते हैं। जैसे कि ऑस्टियोपोरोसिस (कमजोर, भंगुर हड्डियां), और न ही उन दवाओं पर विचार किया गया, जो हड्डी के चयापचय (bone metabolism) को प्रभावित कर सकते हैं।
शोधकर्ताओं की टीम ने यह भी नोट किया कि भविष्य में हड्डी के चयापचय (bone metabolism) के लंबे अध्ययन की आवश्यकता है, साथ ही एएस में रेडियोग्राफिक प्रगति के लिए संभावित उपचारों का निर्धारण भी किया जाना चाहिए।
Ankylosing Spondylitis : अर्ली डायग्नोसिस के लिए मिला नया मार्कर
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