मरीजों के बोझ से हांफने लगती हैं Delhi Aiims की व्यवस्था
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली (Delhi Aiims) में लगातार सुविधाओं के विस्तार की कोशिशें जारी है लेकिन जिस अनुपात में यहां मरीजों की तादाद है, उसके आगे एम्स प्रबंधन की ज्यादातर कोशिशे धराशाई होती हुई दिख रही है। दिल्ली एम्स की व्यवस्था (Delhi AIIMS facilities) यहां देशभर से उपचार के लिए आने वाले मरीजों की संख्या के आगे रह-रह कर हांफती हुए दिखाई देती है। दिल्ली एम्स में वेटिंग (Waiting in Delhi AIIMS) की समस्या क्रॉनिक बीमारी जैसी बनती जा रही है, जिसे ठीक करने के लिए प्रबंधन संसाधनों के विस्तार और तकनीक का इंजेक्शन तो लगाता है, बावजूद इसके मरीजों में वेटिंग की पीडा कम होने का नाम ही नहीं लेती है।
कई मामलों में दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) आने वाले मरीजों को एक-एक वर्ष की वेटिंग (Waiting in Delhi AIIMS) पीरियड का सामना करना पडता है। जानकार मानते हैं कि देश में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुविधाओं का विस्तार तो हो रहा है लेकिन आज भी राज्य स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था (state level medical system) कमजोर है। ऐसे में दिल्ली एम्स देश के लगभग हर राज्यों के मरीजों के लिए उपचार का अहम केंद्र बना हुआ है। जिसके कारण एम्स जैसे संस्थानों पर मरीजों का भारी दवाब है, जो सुविधाओं के विस्तार की तमाम कोशिशों के बाद भी मरीजों की उम्मीदों पर पूरी तरह खडा नहीं उतर पा रहा है।
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Aiims प्रबंधन के प्रयोगों के बाद भी धक्के खाने को मजबूर हैं मरीज
एम्स प्रशासन की कमान जब से प्रो. एम श्रीनिवास (AIIMS Director Prof. M Srinivas) ने संभाला है, तब से मरीजों की समस्या को कम करने के लिए उन्होंने कई प्रयोग किए हैं। प्रबंधन स्तर पर प्रयोगों का सिलसिला अब भी जारी है। चाहे संसाधनों का विस्तार (expansion of resources) करना हो या तकनीक के माध्यम से सेवाओं में तेजी लाना हो, एम्स प्रशासन हर जुगत आजमा रहा है। इन तमाम कोशिशों के वाबजूद दिल्ली एम्स में मरीजों को उपचार और जांच के लिए धक्के खाने पड रहे हैं। हालात यह है कि यहां एक्स-रे (X-Ray) सहित कई तरह की बुनियादी जांच के लिए भी मरीजों को कठिनाई हो रही है। एमआरआई जैसी जरूरी जांच के लिए एक साल की वेटिंग (Waiting in Delhi AIIMS) दी जा रही है। एम्स ने नई मशीनों की खरीद के लिए एक कमेटी गठित की थी लेकिन अभी तक नई मशीने लाई नहीं जा सकी हैं।
24 घंटे एमआरआई की सुविधा फिर भी एक साल की वेटिंग
एम्स प्रबंधन ने बीते साल अक्टूबर में सुविधाओं का विस्तार करते हुए एमआरआई (MRI) की सुविधा को 12 से बढाकर 24 घंटे कर दिया। जानकारी के मुताबिक एम्स नई दिल्ली (Aiims Delhi) में इन दिनों तीन एमआरआई मशीन उपलब्ध है। 12 घंटे जांच की व्यवस्था के तहत इन एमआरआई मशीनों की मदद से रोजाना करीब 35-40 एमआरआई की जाती थी। अब यह मशीने दिन-रात चलती हैं। समय बढाए जाने की वजह से एमआरआई जांच की संख्या में तेजी जरूर आई है लेकिन इसके बाद भी मरीजों को एक वर्ष के वेटिंग पीरियड का सामना करना पड रहा है।
एक्स-रे के लिए परेशान होते हैं दूर इलाकों से आए मरीज
एम्स में एक्स-रे एक स्लॉट में ही किए जा रहे हैं। जिसके कारण महज एक घंटे में ही 500 मरीजों से एक स्लॉट भर जाता है और शेष बचे हुए मरीजों को परेशान होना पडता है। स्थानीय मरीजों के पास दूसरे दिन का विकल्प तो होता है लेकिन इस समस्या की वजह से उन मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पडता है, जो दूर इलाकों से एम्स में उपचार के लिए आए हुए होते हैं। कई बार इस वजह से स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो जाती है कि मरीज और अस्पतालकर्मी के बीच बहस होने लगते हैं।
संसाधन और सुविधाओं को और बढाने के प्रयास में जुटा है एम्स
एम्स प्रशासन की ओर से लगातार संसाधन और सुविधाओं को बढाने की बात कही जा रही है। उपचार में जांच की अहमियत किसी मरीज के लिए क्या होती है, इन्हें इसका भी अंदाजा है। यह भी कहा जा रहा है कि आगे और भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी। फिलहाल एम्स में मरीजों को 24 घंटे जांच की सुविधा मिल रही है। रोजाना औसतन 54 जांच किए जा रहे हैं। न्यूरो एमआरआई स्कैन (Neuro MRI scan )के लिए मरीजों को 4 महीने की वेटिंग मिल रही है। जबकि, जनरल रेडियोलॉजी (General Radiology) में एक साल की वेटिंग का सामना करना पड रहा है। कार्डियो एमआरआई (cardio MRI) करवाने वाले मरीजों को जांच के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड रहा है। हालांकि, एम्स प्रबंधन की ओर से यह भरोसा भी दिलाया जा रहा है कि शीघ्र ही इन समस्याओं का समाधान निकाल लिया जाएगा।
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