बिस्तर पर लेटे हुए मरीजों को डायरपर से मिलेगी आजादी
Delhi Aiims : लंबे समय तक बेडरिडेन रह रहे मरीजों (Bedridden Patients) के लिए दिल्ली एम्स का स्टूल मैनेजमेंट किट (AIIMS Stool Management Kit) बडी राहत साबित हो सकती है। ऐसे मरीजों में संक्रमण का उच्च जोखिम होता है। बिस्तर पर शौच कर रहे मरीजों को संक्रमण की वजह से अन्य तरह की समस्याएं चपेट में ले लेती है। ऐसे मरीजों को संक्रमण से बचाने के लिए दिल्ली एम्स ने विशेष उपकरण का निर्माण किया है।
Bedridden Patients में 22 प्रतिशत तक बढती है संक्रमण की संभावना
इस मामले में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, बेडरिडेन मरीजों में संक्रमण की संभावना (Possibility of infection in bedridden patients) 22 प्रतिशत तक बढ जाती है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग (Gastroenterology department of AIIMS) ने न्यूरोलॉजी (Neurology), जनरल गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी (General Gastrointestinal Surgery), एम्स के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल बायो डिजाइन (AIIMS School of International Bio-Design) और अन्य विभागों के साथ मिलकर स्टूल मैनेजमेंट किट (stool management kit) तैयार किया है।
इसके ट्रायल के परिणाम भी बेहतर पाए गए हैं। 30 जनवरी को एम्स के रिसर्च डे (AIIMS Research Day) के मौके पर इसे सार्वजनिक किया जाएगा। इस किट को इंस्टॉल करने के बाद बेडरिडेन मरीज को बार-बार डायपर, कपडे और बेडसीट बदलने की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा। इसके साथ ही संक्रमण को जोखिम भी पूरी तरह से शून्य हो जाएगा।
Delhi Aiims : मरीजों की देखभाल के स्तर में होगा सुधार
संबंधित मामले के विशेषज्ञों के मुताबिक, बिस्तर पर शौच करने वाले मरीजों को लेकर एक समय के बाद परिवार के सदस्यों की सेवा भावना भी प्रभावित हो जाती है। उन्हें शौच करवाना उनके लिए बडी समस्या साबित होने लगती है। अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी इस चुनौती से निपटने के लिए अतिरिक्त भुगतान करना पडता है।
कई बार उनके डायपर, कपडे और बेडसीट बदलने पडते हैं। इस उपकरण (AIIMS Stool Management Kit) की मदद से मरीजों की देखभाल में काफी आसानी हो जाएगी। वहीं, उनके रिकवरी की प्रक्रिया में भी तेजी आएगी।
मरीजों को किसी पर निर्भर रहने की नहीं पडेगी जरूरत
एम्स (Delhi Aiims) के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग (Gastroenterology department of AIIMS) के प्रोफेसर गोविंद मखारिया (Professor Govind Makharia) के मुताबिक, बिस्तर पर रहते हुए किसी भी मरीज के लिए मल त्याग करना आसान नहीं होता है। इससे संक्रमण की संभावनाएं तो बढती ही हैं, मरीजों के सम्मान को भी चोट पहुंचती है।
देश में हर साल हजारों मरीजों को लंबे समय तक बिस्तर पर रहकर ही मल त्याग करना पड़ता है। इस किट को मरीज के मलाशय से जोड दिया जाता है और मल सीधे बैग में पहुंच जाता है। जिससे संक्रमण का जोखिम भी पूरी तरह से खत्म हो जाता है। सबसे खास बात यह है कि मल त्याग करने के बाद उसे साफ करने के लिए मरीज को किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना होता है।
ऐसे काम करता है Aiims Stool Management Kit
उपकरण का एक हिस्सा शरीर के पिछले भाग में लगा दिया जाता है। इस हिस्से में एक विशेष तरह का ट्यूब होता है, जो शरीर के पिछले हिस्से (rectum) में जाकर मल के रास्ते को कवर कर लेता है। ऐसे में जब भी मरीज मल त्याग करता है, करीब डेढ़ मीटर पाइप के रास्ते वह बैग में इकट्ठा हो जाता है। बैग भरने के बाद आसानी से बैग बदला जा सकता है। इस उपकरण को एक बार लगाने के बाद इसे अधिकतम 29 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है।
Bedridden Patients के लिए चुनौतियां
- 22 प्रतिशत मरीजों में बढ़ जाता है संक्रमण को जोखिम
- 7 प्रतिशत मरीजों में संक्रमण की वजह से दूसरे रोगों के होने का बढता है खतरा
- संक्रामक रोगों की वजह से बढता है मौत का आंकडा
- आईसीयू वाले मरीजों को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहना पडता है भर्ती
- बेडरिडेन मरीजों को होने वाली बीमारियां | Diseases Occurring in Bedridden Patients
- बेडसोर (दबाव अल्सर)
- मूत्र पथ संक्रमण (यूटीआई)
- त्वचा संक्रमण
- मल के साथ खून रिसाव होना