Delhi सरकार ने हाई कोर्ट को दी जानकारी
Delhi News : दिल्ली सरकार (Delhi government) के 10,073 स्वीकृत बिस्तरों वाले 11 अस्पताल सूबे के विभिन्न हिस्सों में निर्मानाधीन हैं। इनमें से दो परियोजनाएं मार्च तक पूरी होने की संभावना है। यह जानकारी सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को दी है।
दिल्ली के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग (Health and Family Welfare Department of Delhi) ने एक हलफनामे के जरिए अदालत को बताया है कि 2021 से शुरू इंदिरा गांधी अस्पताल (Indira Gandhi Hospital) सहित इन 11 अस्पतालों पर अब तक कुल ₹2,691.31 करोड़ खर्च किए गए हैं।
चिकित्सा बुनियादी ढांचे पर बजट खर्च के बारे में अदालत के सवाल पर सरकार ने कहा कि उन्होंने वित्तीय वर्ष 2017-18 से अस्पतालों पर ₹21,436.80 करोड़ खर्च किए हैं।
निर्माणाधीन/विस्तार | स्वीकृत बिस्तर | पूर्ण होने की स्थिति | पूर्ण होने की उम्मीद |
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चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय | 610 | 88% | मार्च |
जीटीबी अस्पताल | 1912 | 82% | मार्च |
मादीपुर | 691 | 90% | मई |
शालीमार बाग | 1430 | 76% | मई |
किरारी | 458 | 0% | मई |
सुल्तानपुरी | 525 | 76% | मई |
सरिता विहार | 336 | 83% | मई |
रघुबीर नगर | 1565 | 49% | मई |
ज्वालापुरी | 691 | 90% | जून |
सिरसपुर | 1164 | 77% | जून |
हस्ताल (विकासपुरी) | 691 | 45% | दिसंबर |
यह हलफनामा उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान से शुरू की गई एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में प्रस्तुत किया गया था। जनहित याचिका वर्ष 2017 में शहर में एक नवजात शिशु की मौत पर एक मीडिया रिपोर्ट के बाद दायर की गई थी। उस दौरान बच्चे के परिवार को चार सरकारी अस्पतालों की खाक छानने के बाद भी वेंटिलेटर-युक्त बिस्तर नहीं मिल सका था।
मामले में पिछली सुनवाई के दौरान न्याय मित्र की भूमिका निभाते हुए वकील अशोक अग्रवाल ने इस घटना पर प्रकाश डाला था, जहां एक व्यक्ति चलती पुलिस वैन से कूद गया था और चार सरकारी अस्पतालों में इलाज से इनकार करने के बाद उसकी मृत्यु हो गई थी।
‘सुविधाओं की कमी’ को लेकर उठे थे सवाल
उच्च न्यायालय ने उस समय सरकार से सवाल किया था कि अस्पताल दुर्घटना पीड़ितों को क्यों लौटा रहे हैं और पर्याप्त वेंटिलेटर बिस्तरों की कमी क्यों है। अपने हलफनामे में, सरकार ने कहा कि वह राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Center) के माध्यम से एक केंद्रीय पोर्टल (central portal) विकसित करने पर कार्य कर रही है।
इससे अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता और प्रकृति पर वास्तविक समय की जानकारी मिलेगी। केंद्र ने अदालत को बताया कि उसे पोर्टल की स्थापना पर सैद्धांतिक रूप से कोई आपत्ति नहीं है। गंभीर देखभाल वाले मरीजों के लिए बुनियादी ढांचे की कमी पर अदालत की चिंताओं पर सरकार ने कहा कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए नए अस्पतालों का निर्माण कर रही है।