पिछले कुछ वर्षों में बढ गए हैं Autoimmune Disease के मामले
Autoimmune Disease Cause, Treatment and Prevention : ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune Disease) के मामले पिछले कुछ वर्षों में बढ गए हैं। इसके पीछे जीवनशैली, जलवायु परिवर्तन जैसे कई कारणों को जिम्मेदार माना जा रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune diseases in women) ज्यादा हो रही हैं। आखिर इसके पीछे क्या कारण (Cause) हो सकता है? इस लेख में हम इन विषयों को समझने का प्रयास करेंगे।
क्या होती है ऑटोइम्यून बीमारियां ? (What is autoimmune diseases)
जब शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune system) भ्रमित होकर खुद के स्वस्थ्य उत्तकों (Healthy tissues) पर हमला करता है, इस स्वास्थ्य स्थिति को ऑटोइम्यून बीमारियां कहा जाता है। दुनियाभर में ऑटोइम्यून बीमारियों के कई रूप हैं। इन बीमारियों में मरीजों के महत्वूपर्ण अंग प्रभावित होते हैं। हालांकि, ज्यादातर ऑटोइम्यून बीमारियां जानलेवा नहीं होती हैं लेकिन यह मरीज के जीवन की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। इन बीमारियों के प्रभाव से विकलांगता (Disability) भी हो सकती है। जिससे प्रभावित मरीज का जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
ऑटोइम्यून बीमारियों से महिलाएं अधिक प्रभावित क्यों होती हैं?
(Why are women more affected by autoimmune diseases?)
हार्मोन के कारण (Hormone)
महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन ज्यादा मात्रा में पाई जाती है। एस्ट्रोजन इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है और इसकी प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है। यह हार्मोन, प्रतिरक्षा प्रणाली को विशेष रूप से ज्यादा सक्रिय करता है। इससे ऑटोइम्यून बीमारियों की संभावना बढ जाती है। दूसरी ओर पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की अधिकता होने की वजह से यह इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है।
जेनेटिक कारण (Genetic cause)
महिलाओं में दो X क्रोमोसोम (XX) की मौजूदगी होती है। जबकि, पुरुषों में XY क्रोमोसोम होता है। X क्रोमोसोम में प्रतिरक्षा से संबंधित कई जीन पाए जाते हैं। चूंकि महिलाओं में दो X क्रोमोसोम होते हैं, इस वजह से ऑटोइम्यून रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था (Pregnancy)
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल से संबंधित परिवर्तन होते हैं। इन बदलावों के कारण महिलाओं का इम्यून सिस्टम बच्चे की रक्षा करने के लिए बदलता रहता है। यह इम्यून सिस्टम की संवेदनशीलता को और बढ़ा सकता है, जिससे ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
सामाजिक कारण (Social cause)
महिलाओं का सामाजिक जीवन पुरुषों से अलग होता है। उनमें होने वाला तनाव, खानपान की आदतें और हार्मोनल परिवर्तन (जैसे माहवारी, गर्भावस्था और मेनोपॉज) भी ऑटोइम्यून बीमारियों के खतरे को बढ़ाता है।
महिलाएं ऑटोइम्यून बीमारियों से कैसे बचें?
How to avoid women autoimmune diseases?
1. पोषण से भरपूर भोजन लें
एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन से भरपूर आहार (जैसे फल, सब्जियां, नट्स) प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखने में मदद करता है। अपने आहार में इनकी मात्रा को बढाकर महिलाएं ऑटोइम्यून बीमारियों के जोखिम को कुछ हदतक कम कर सकती हैं।
2. तनाव से बचकर
ज्यादा तनाव हार्मोन असंतुल की वजह बन सकता है। इसलिए तनाव को कम करना महिलाओं के लिए जरूरी हो जाता है। इनसे बचने के लिए महिलाएं मेडिटेशन और योग का सहारा ले सकती हैं।
3. पर्याप्त नींद
शरीर और दिमाग को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है। जब हम सोते हैं तो शरीर अपनी क्षति की पूर्ति करता है। यानि, सोती हुई अवस्था में शरीर क्षतिग्रस्त हो चुके कोशिकाओं को सेल्स की मरम्मत करता है। पर्याप्त नींद नहीं लेने की वजह से शरीर का यह चक्र प्रभावित होता है। जिससे ऑटोइम्यून बीमारियों का जोखिम बढ सकता है।
4. शारीरिक सक्रियता
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है। महिलाओं को नियमित स्तर पर व्यायाम करनी चाहिए। रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों से ज्यादातर महिलाएं ही पीडित होती हैं। ऐसे में इस तरह की ऑटोइम्यून रूमेटिक डिसऑर्डर से बचने के लिए महिलाओं को नियमित व्यायाम करनी चाहिए।
निष्कर्ष
ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा महिलाओं में अधिक होने का कारण उनमें मौजूद हार्मोन, उनकी जेनेटिक संरचना होती है। इन बीमारियों से बचने के लिए इन्हें अपनी जीवन शैली और आहार को विशेषतौर से संतुलित करने की जरूरत है। ऐसा करने से महिलाएं ऑटोइम्यून बीमारियों के खतरे से बच सकती हैं।