Wednesday, February 5, 2025
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भारत में Mental Health: चिंताजनक स्थिति में है अनदेखी स्वास्थ्य समस्या 

मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर और व्यापक मुद्दा है, जिसे अनदेखा करना समाज और देश दोनों के लिए घातक हो सकता है। भारत को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे सामाजिक कलंक से मुक्त करना चाहिए।

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भारत में तेजी से बढ रही है मानिसक स्वास्थ्य (Mental Health) से संबंधित समस्याएं

Mental Health, Mental Health in India, Mental Health 2025 : मानसिक स्वास्थ्य आज के समय की महत्वपूर्ण लेकिन अनदेखी स्वास्थ्य समस्या बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, मानसिक स्वास्थ्य का मतलब केवल मानसिक रोगों की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है, जहां व्यक्ति अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सके, दैनिक जीवन की समस्याओं का सामना कर सके और सामाजिक योगदान दे सके। भारत में जहां लगभग 1.4 अरब की आबादी है और इनमें मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं तेजी से बढ रही है।

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) की स्थिति: चौंकाने वाले आंकड़े

1. भारत में मानसिक स्वास्थ्य से ग्रसित लोग

    नेशनल मेंटल हेल्थ सर्वे (NMHS) 2016 के अनुसार, भारत में लगभग 13.7% लोग मानसिक विकारों से ग्रस्त हैं।
    10.6% लोग हल्के से मध्यम अवसाद से पीड़ित हैं।

2. डिप्रेशन और आत्महत्या

  •  WHO के अनुसार, भारत में हर 4 में से 1 व्यक्ति अपने जीवनकाल में किसी न किसी रूप में अवसाद का अनुभव करता है।
  • नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या की दर 12.5 प्रति 1 लाख जनसंख्या थी।

3. बच्चों और किशोरों में मानसिक स्वास्थ्य

  •    यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 15-24 वर्ष के लगभग 14% किशोर किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं।
  • परीक्षा का तनाव और सामाजिक दबाव इसकी प्रमुख वजहें हैं।

4. महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य

  •    महिलाओं में अवसाद, चिंता और PTSD (पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) की दर पुरुषों की तुलना में दोगुनी है।

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क्यों बढ रहे हैं पुरुषों में आत्महत्या (Suicide in Men) के मामले ?

भारत में Mental Health: चिंताजनक स्थिति में है अनदेखी स्वास्थ्य समस्या 
भारत में Mental Health: चिंताजनक स्थिति में है अनदेखी स्वास्थ्य समस्या
भारत में आत्महत्या की घटनाएं एक गंभीर सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या हैं, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करती हैं। हालांकि, आंकड़े दर्शाते हैं कि पुरुषों में आत्महत्या की दर महिलाओं की तुलना में अधिक है।

आंकड़े और विश्लेषण

पुरुष आत्महत्या दर

 नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में आत्महत्या करने वाले कुल 1,64,033 लोगों में से 1,18,979 पुरुष थे, जो कुल आत्महत्याओं का लगभग 72.5% है।

महिला आत्महत्या दर

 उसी वर्ष, आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 45,026 थी, जो कुल आत्महत्याओं का लगभग 27.5% है।

विवाहित व्यक्तियों में आत्महत्या

2021 में, 1,64,033 आत्महत्याओं में से 81,063 विवाहित पुरुष और 28,680 विवाहित महिलाएं थीं, जो दर्शाता है कि विवाहित पुरुषों में आत्महत्या की दर विवाहित महिलाओं की तुलना में अधिक है।

आयु वर्ग

पुरुषों में आत्महत्या के मामले 18-29, 30-44, और 45-59 वर्ष की आयु समूहों में अधिक पाए गए हैं, जबकि महिलाओं में 18-29 वर्ष की आयु समूह में आत्महत्या की घटनाएं अधिक हैं।

आत्महत्या के प्रमुख कारण

पुरुषों में

  • बेरोजगारी
  • आर्थिक समस्याएं
  • पारिवारिक विवाद
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

महिलाओं में

  • पारिवारिक समस्याएं
  • वैवाहिक विवाद
  • दहेज संबंधित मुद्दे
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण (Causes of Mental Health Problems)

1. सामाजिक दबाव और अपेक्षाएं

   – समाज में सफलता की परिभाषा, करियर और व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता की अपेक्षाएं मानसिक दबाव बढ़ा रही हैं।

2. आर्थिक अस्थिरता

   बेरोजगारी, गरीबी और कर्ज के कारण तनाव बढ़ रहा है।

3. शहरीकरण और अकेलापन

   बड़े शहरों में बढ़ती जनसंख्या, काम का बोझ और परिवार से दूरी भी मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।

4. पारिवारिक समस्याएं

   घरेलू हिंसा, तलाक और रिश्तों में अस्थिरता मानसिक समस्याओं को जन्म देती हैं।

5. डिजिटल युग की चुनौतियां

   सोशल मीडिया पर बढ़ती निर्भरता और ऑनलाइन बुलीइंग मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

 मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) पर भारत की नीति और प्रयास

1. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP)

  •    यह 1982 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को विकेंद्रित करना और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इसे शामिल करना है।

2. मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017

  •  इस अधिनियम ने मानसिक रोगियों के अधिकारों को कानूनी मान्यता दी।
  • इसमें आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों को आपराधिक नहीं माना गया।

3. काउंसलिंग और हेल्पलाइन सेवाएं

  •    कई हेल्पलाइन जैसे कि AASRA और iCall मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रदान करते हैं।

4. मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान

  •     सरकार और गैर-सरकारी संगठन (NGO) मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
  • स्कूल और कॉलेजों में मानसिक स्वास्थ्य सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियां

1. डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों की कमी

    भारत में प्रति 1 लाख जनसंख्या पर केवल 0.75 मनोचिकित्सक हैं, जबकि WHO की सिफारिश 3 प्रति 1 लाख है।

2. सामाजिक कलंक (Stigma)

    मानसिक बीमारियों को लेकर समाज में गलत धारणाएं और भेदभाव मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बाधा हैं।

3. स्वास्थ्य बजट में कम निवेश

    भारत का मानसिक स्वास्थ्य पर खर्च कुल स्वास्थ्य बजट का केवल 0.05% है।

4. ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाओं की कमी

   अधिकांश मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं शहरी क्षेत्रों में केंद्रित हैं।

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) में तकनीकी भूमिका

1. एप्स और ऑनलाइन काउंसलिंग

   कई मोबाइल एप्लिकेशन जैसे कि Wysa और InnerHour मानसिक स्वास्थ्य समर्थन प्रदान करते हैं।

2. टेलीमेडिसिन

    ग्रामीण क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के लिए टेलीमेडिसिन एक उपयोगी माध्यम है।

3. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)

    AI आधारित टूल्स मानसिक बीमारियों की पहचान और इलाज में मदद कर रहे हैं।

मानसिक स्वास्थ्य सुधार के लिए उपाय

1. जागरूकता फैलाना

   समाज में मानसिक स्वास्थ्य के बारे में मिथकों और गलतफहमियों को दूर करना।

2. स्कूल और कॉलेज स्तर पर शिक्षा

    छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व के बारे में शिक्षित करना।

3. सरकार का अधिक निवेश

    मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक बजट आवंटित करना।

4. सामुदायिक समर्थन

    परिवार और दोस्तों का समर्थन मानसिक स्वास्थ्य सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 निष्कर्ष

मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) एक गंभीर और व्यापक मुद्दा है, जिसे अनदेखा करना समाज और देश दोनों के लिए घातक हो सकता है। भारत को मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और इसे सामाजिक कलंक से मुक्त करना चाहिए। तकनीकी विकास और सामुदायिक प्रयासों से यह संभव है कि मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे लोग बेहतर जीवन जी सकें। मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर ही हम एक सशक्त और खुशहाल समाज की नींव रख सकते हैं।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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Chhatrapati 'Ankur'
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Chhatrapati 'Ankur' is a popular senior journalist. He has worked in many renowned dailies. He has been honored with Indrapastha Gaurav Award, Swami Vivekananda Award etc. He has 18 years of experience in journalism. During this, he has worked on several reporting beats. Of these, health has been the main beat. Apart from journalism, Chhatrapati 'Ankur' is also a music maestro. He is proficient in singing Indian classical music. Apart from this, he is also proficient in playing the sitar. Not only this, apart from all these works, while discharging social responsibilities, he is also making a major contribution in the welfare of patients with autoimmune diseases.
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