Thursday, February 6, 2025
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Parkinsons Disease के उपचार में शोधकर्ताओं को मिली नई जानकारी 

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लेवोडोपा (levodopa) के साथ दीर्घकालिक उपचार से मस्तिक के कार्य में होने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया का पता लगाया है।

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Parkinsons treatment में चिकित्सीय लाभ प्रदान कर सकता है Ketamine 

Parkinsons disease dopamine, Parkinsons disease ketamine, latest research on parkinsons : ब्रेन रीडिंग के दौरान वैज्ञानिकों को पार्किंसन के उपचार से संबंधित एक उन्नत और महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई है। यह जानकारी पार्किंसन के उपचार में कई रास्ते खोल सकता है।

एरिजोना विश्वविद्यालय (University of Arizona) के शोधकर्ताओं को पार्किंसंस रोग के उपचार (Treatments for Parkinsons Disease) में एक आम जटिलता से संबंधित उन्नत समझ हासिल करने में सफलता मिली है। यह जानकारी इस रोग में लेवोडोपा-प्रेरित डिस्केनेसिया (involuntary movements) से संबंधित है।

इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने लेवोडोपा (levodopa) के साथ दीर्घकालिक उपचार से मस्तिक के कार्य में होने वाले परिवर्तन की प्रक्रिया का पता लगाया है। इस दौरान उन्हें यह भी पता चला कि पार्किंसन के उपचार में केटामाइन (Ketamine) किस प्रकार से चिकित्सीय लाभ प्रदान कर सकता है। इस अध्ययन को स्वास्थ्य जर्नल ब्रेन (Health Journal Brain)  में प्रकाशित किया गया है।

लेवोडोपा-प्रेरित डिस्केनेसिया (Levodopa-induced dyskinesia)

यह पार्किंसंस रोग (Parkinsons Disease) के लिए दीर्घकालिक लेवोडोपा (Long-Term Levodopa) उपचार का एक दुष्प्रभाव है, जो अनैच्छिक, अक्सर अनियंत्रित, गतिविधियों से चिह्नित होता है।

लेवोडोपा-प्रेरित डिस्केनेसिया की उत्पत्ति (Origin of levodopa-induced dyskinesia)

मस्तिष्क में डोपामाइन (Dopamine) का स्तर कम होने की वजह से पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) होता है। इससे मरीज की गति बाधित होती है। लेवोडोपा, पार्किंसन का एक प्रमुख उपचार है। जिसकी मदद से मस्तिष्क में डोपामाइन को बहाल करने में मदद मिलती है।
Parkinsons Disease के उपचार में शोधकर्ताओं को मिली नई जानकारी 
Parkinsons Disease के उपचार में शोधकर्ताओं को मिली नई जानकारी
समय के साथ लेवोडोपा का दुष्प्रभाव डिस्केनेसिया (Dyskinesia, a side effect of levodopa) के रूप में सामने आता है। शोधकर्ताओं ने इस घटना को बेहतर ढंग से समझने के लिए मस्तिष्क क्षेत्र की गति को नियंत्रित करने वाले (Motor cortex) न्यूरॉन्स की गतिविधि को रिकॉर्ड किया।

मोटर कॉर्टेक्स (Motor cortex)

मस्तिष्क का वह क्षेत्र जो स्वैच्छिक गतिविधियों की योजना बनाने, उसे नियंत्रित करने और उसे लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है।

प्रचलित धारणा के विपरीत मिला परिणाम 

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं को अबतक प्रचलित धारणाओं (Prevalent beliefs) के विपरीत परिणाम प्राप्त हुए। धारणा थी कि कॉर्टेक्स सीधे तौर पर डिस्केनेसिया का कारण बनता है लेकिन अध्ययन में पाया गया कि इन प्रकरणों के दौरान यह कार्यात्मक रूप से डिस्कनेक्ट हो जाता है। इससे पता चलता है कि डिस्केनेसिया मोटर कॉर्टेक्स से स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले डाउनस्ट्रीम न्यूरल सर्किट (Downstream neural circuits) से उत्पन्न होता है।
“यह एक ऑर्केस्ट्रा की तरह है, जहां इसे कंडक्ट करने वाला छुट्टी पर चला जाता है। मोटर कॉर्टेक्स द्वारा उचित रूप से आंदोलन का समन्वय (coordination of movement) किए बिना, डाउनस्ट्रीम तंत्रिका सर्किट (Downstream neural circuits) को इन समस्याग्रस्त आंदोलनों को अपने आप ही उत्पन्न करने के लिए छोड़ दिया जाता है।”
– डॉ. स्टीफन कोवेन

केटामाइन की चिकित्सीय भूमिका का अन्वेषण

अध्ययन में डिस्केनेसिया के संभावित उपचार के रूप में केटामाइन नामक एनेस्थेटिक की भी जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि केटामाइन मस्तिष्क में असामान्य विद्युत पैटर्न (Electrical Patterns) को बाधित करता है और न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढाता है। ये परिवर्तन मोटर कॉर्टेक्स को गति पर नियंत्रण हासिल करने में सहायता कर सकते हैं।

न्यूरोप्लास्टिसिटी (Neuroplasticity)

यह मस्तिष्क वह क्षमता होती है, जो सीखने, चोट लगने या पर्यावरणीय परिवर्तनों के प्रत्युत्तर में नए तंत्रिका कनेक्शन बनाकर पुनर्गठित करती है।

अधिक लक्षित उपचार विकिसत करने की संभावना 

केटामाइन की एक खुराक ने शुरुआती परीक्षणों में कई हफ़्तों से लेकर कई महीनों तक लाभ प्रदान किए। इसे देखते हुए अब पार्किंसन (Parkinsons Disease) की और अधिक लक्षित उपचार विकसित करने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, इसके साइड इफ़ेक्ट को कम करते हुए चिकित्सीय प्रभाव को बनाए रखना और केटामाइन की खुराक को समायोजित करना निरंतर शोध का एक अलग विषय है।

नैदानिक ​​परीक्षण और निहितार्थ (Diagnostic tests and implications)

ये निष्कर्ष एरिजोना विश्वविद्यालय में  किए जा रहे चरण 2 नैदानिक ​​परीक्षण से मिलते-जुलते हैं, जिसमें पार्किंसंस रोगियों में डिस्केनेसिया के लिए कम खुराक वाले केटामाइन इन्फ्यूजन का परीक्षण किया जा रहा है। प्रारंभिक परिणाम आशाजनक पाए गए हैं। उम्मीद की जा रही है कि इससे पार्किंसन प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकेगी।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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