Wednesday, February 5, 2025
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Genetic Test : महिलाओं के लिए बेहद जरूरी क्यों हैं ये जेनेटिक टेस्ट 

परिवार में महिलाओं का अगर स्वास्थ्य अच्छा है तो नई पीढी की नींव हर तरह से मजबूत होती है।

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खुद के साथ अगली पीढी को भी जेनेटिक बीमारियों (Genetic Diseases) के खिलाफ मिले सुरक्षा कवच 

Genetic Test, Genetic test in hindi, Genetic Test Benifits, Womens Health Tips : महिलाएं परिवार का बेहद अहम हिस्सा होती हैं। उन्हें परिवार की बुनियाद कहें तो गलत नहीं होगा। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ्य महिला (Women’s mental and physical health) परिवार के लिए उन्नति की राह खोल सकती है लेकिन वही महिला अगर बीमार रहने लगे तो पूरा परिवार दवाब की स्थिति में आ जाता है। संपूर्ण परिवार को स्वस्थ्य और प्रसन्न रहने में महिलाओं की विशेष भूमिका होती है।

परिवार में महिलाओं का अगर स्वास्थ्य अच्छा है तो नई पीढी की नींव हर तरह से मजबूत होती है। ऐसे में जरूर है कि महिलाओं के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखा जाए। उन्हें स्वस्थ रखने में जेनेटिक टेस्ट की बडी भूमिका (The role of genetic testing)  हो सकती है।
Genetic Test : महिलाओं के लिए बेहद जरूरी क्यों हैं ये जेनेटिक टेस्ट 
Genetic Test : महिलाओं के लिए बेहद जरूरी क्यों हैं ये जेनेटिक टेस्ट
जेनेटिक टेस्ट का फायदा (benefits of genetic test) यह है कि यह आपको भविष्य में होने वाली बीमारियों (future diseases) के प्रति अगाह करता है और संभावित बीमारियों (potential illnesses) के प्रति आपको सावधान और जागरूक रहने का मौका भी देता है।
महिलाओं में होने वाली बीमारियां (common Diseases in women), जैसे पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (Polycystic Ovarian Syndrome), हार्ट (Heart diseases), कैंसर (Cancer) और हड्डियों से जुडी बीमारियों (Bone related diseases) और संभावनाओं के बारे में पहले से सतर्क करता है। यहां हम ऐसे कुछ जेनेटिक टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

हार्ट से जुड़ी बीमारियां

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (American Heart Association) ने यह पाया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में हार्ट से जुड़ी बीमारियों का जोखिम (Heart disease risk in women) अधिक होता है। जेनेटिक टेस्ट के जरिए ऐसी बीमारियों की संभावनाओं के बारे में सटीकता से जानने में मदद मिलती है। जेनेटिक टेस्ट के जरिए हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया (hypercholesterolemia), यूएफएस 1 (UFS 1) और टीआई एमपी 3 (ti mp3) जैसी बीमारी का पहले पता लगाकर इनसे बचने के प्रयास किए जा सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर

जेनेटिक टेस्ट स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर (Breast and ovarian cancer) से जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचानने का भी महत्वपूर्ण जरिया हो सकता है। यूएस-सीडीसी (US-CDC) के मुताबिक, लगभग 10 प्रतिशत स्तन कैंसर (Breast Cancer) जेनेटिक कारणों (Genetic Causes) से ही होते हैं। इसका समय रहते उपचार कराना बेहद जरूरी होता है।

Genetic Test : न्यूबॉर्न स्क्रीनिंग

ये टेस्ट नवजात बच्चे के जन्म के तत्काल बाद की जाती हे। इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाने में मदद मिलती है कि नवजात को भविष्य में किस तरह की जेनेटिक बीमारियां होने का खतरा (Risk of genetic diseases) है। बचपन से ही उन बीमारियों के प्रति सावधानी बरतने और जरूरत पडने पर पहले ही उसका उपचार तय करने से बच्चों में आगे चलकर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
यहां बता दें कि ज्यादातर जेनेटिक बीमारियों का कोई प्रभावी उपचार (Effective Treatment) नहीं है। अर्थराइटिस (Arthritis), रूमेटाइड अर्थराइटिस (rheumatoid arthritis) और डायबिटीज (Diabetes) जैसी जेनेटिक बीमारियां (Genetic diseases) आज लोगों के स्वास्थ्य के लिए बडी चुनौती साबित हो रहे हैं।

Genetic Test : फार्माकोजेनोमिक्स टेस्ट (Pharmacogenomics Tests)

फार्माकोजेनोमिक्स टेस्ट के जरिए हमें इस यह जानकारी होती है कि कौन सी दवाएं किसी व्यक्ति के लिए फायदेमंद है और कौन सी दवाएं लेना सुरक्षित हो सकता है। मानव शरीर की संरचना जटिल है, जिस दवा से एक को फायदा हो रहा है, जरूरी नहीं है कि उसी दवा से उतना ही फायदा दूसरे व्यक्ति को भी हो। महिलाओं में होने वाली पुरानी बीमारियों (Chronic diseases in women) के इलाज में यह टेस्ट बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 13 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस (PCOS) से प्रभावित हैं। इस बीमारी की वजह से महिलाओं का वजन बढ़ता (women gain weight) है, मुंहासे से संबंधित समस्या (Acne related problems) होती है और उनमें बांझपन (Infertility) तक की चुनौती का सामना करना पड सकता है। जेनेटिक टेस्ट होने पर अगर इसकी संभावना है तो पहले ही सावधानी बरतने में मदद मिल जाती है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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