Tuesday, October 22, 2024
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बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस

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 बढ रहे हैं जुवेनाइल अर्थराइटिस के मामले 

 डिसेबिलिटी का कारण बन रहा है जुवेनाइल रूमेटाइड अर्थराइटिस

नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
आमतौर पर बडों की बीमारी कही जाने वाली अर्थराइटिस (Arthritis) बच्चों को भी चेपेट में लेने लगा है। कुछ वर्षों के आंकडों पर गौर करें तो बच्चों में अर्थराइटिस के मामले बढ रहे हैं। चाइल्ड हुड अर्थराइटिस या फिर जुवेनाइल अर्थराइटिस कही जाने वाली इस बीमारी को जुवेनाइल इडिओपैथिक अर्थराइटिस (जेआईए- juvenile idiopathic arthritis) कहा जाता है। वहीं इसे जुवेनाइल रुमेटाइड अर्थराइटिस (juvenile rheumatoid arthritis) के नाम से भी जाना जाता है।

जीवनभर की तकलीफ बन सकती है अर्थराइटिस :

बच्चों में अर्थराइटिस की वजह से उनके ज्वाइंट में हमेशा के लिए डैमेज हो सकते है। डैमेज के कारण बच्चे को जीवन जीने में काफी तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है और उन्हें जीवन भर अश्रितों की तरह जीना पड सकता है। बीमारी से पीड़ित बच्चे को चलने, सामान्य कामकाज करने में काफी परेशानी होने लगती है जो आगे चलकर डिसएबिलिटी (disability) अपंगता कारण बनती है। 

चुनौती बन रही है लाइलाज अर्थराइटिस :

बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
चाइल्डहुड अर्थराइटिस या बच्चों में अर्थराइटिस की बीमारी लाइलाज है। हैरानी की बात यह है कि बीमारी से पीड़ित कुछ बच्चों में यह बीमारी लंबे समय तक नहीं रहती लेकिन अगर जोड़ों में किसी प्रकार का नुकसान हो जाए तो वह जीवन की तकलीफ बन सकती है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि अर्थराइटिस पीडित बच्चों की देखभाल इसतरह की जाए कि ज्वाइंट की खराबी को टाला जा सके। 
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बच्चों में अर्थराइटिस के हैं कई प्रकार (Types of arthritis in children)

  •  अनडिफरेंशिएटेड जेआईए (undifferentiated JIA)
  • एंथेसिटिस रिलेटेड जेआईए (enthesitis-related JIA)
  • सिस्टमेंटिस ऑनसेट जेआईए (Systemic onset JIA)
  • पॉलीआर्टिकुलर जेआईए (polyarticular JIA)
  • सोरिएटिक जेआईए (psoriatic JIA)
  • ऑलीगोआर्टिकुलर जेआईए (oligoarticular JIA- juvenile idiopathic arthritis)

बच्चों में अर्थराइटिस के लक्षण

चाइल्डहुड अर्थराइटिस या बच्चों में अर्थराइटिस की बीमारी होने पर इसके लक्षण लंबे समय तक दिख सकते हैं। कुछ मामलों में लक्षण बेहद खराब स्थिति पैदा कर सकते हैं। जिसे फ्लेर्स (flares) कहा जाता है। कुछ मामलों में लक्षणों में सुधार भी देखने को मिलता है। इसे रिमिशन (remission) कहा जाता है। ऐसे में अर्थराइटिस से पीडित बच्चों की बेहतर देखभाल जरूरी हो जाती है। 
  •  थकान
  • भूख कम लगना
  • आंखों में जलन
  • सूजन
  • बुखार
  • स्टिफनेस व कठोरता
  • जोड़ों में दर्द
  • रोजमर्रा के काम में परेशानी जैसे, वाकिंग, ड्रेसिंग और खेलने में दिक्कत झेलना

अर्थराइटिस के इन दो स्टेज में पडती है सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत :

 

पहला बचपन व दूसरा बुढ़ापा है। यदि आपके बच्चों को इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे डॉक्टरी सलाह लेने के साथ बच्चों की बेहतर देखभाल होनी चाहिए। 

बच्चों में अर्थराइटिस के कारण :

बच्चों में अर्थराइटिस की समस्या क्यों होती है इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है। विशेषज्ञों के मुताबिक, चाइल्डहुड अर्थराइटिस इम्यून सिस्टम द्वारा सही तरह से काम नहीं करने से हो सकता है। इसके कारण बच्चों के जोड़ों में दर्द और जलन की समस्या होने के साथ शरीर में अन्य परेशानियां होती है। 
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बच्चों में अर्थराइटिस का इस तरह  किया जाता है निदान : 

चाइल्डहुड अर्थराइटिस और बच्चों में अर्थराइटिस की बीमारी का निदान शारीरिक जांच के साथ लक्षणों को पहचानने और एक्स-रे व लैब टेस्ट के जरिए किया जा सकता है। इस मामले में रुमेटाइड अर्थराइटिस के विशेषज्ञ उपचार करते हैं। बच्चों में अर्थराइटिस का पता लगाने वाले विशेषज्ञों को पीडिएट्रिक रुमेटोलॉजिस्ट (pediatric rheumatologists) कहा जाता है।

इन बच्चों को चाइल्डहुड अर्थराइटिस का रहता है जोखिम

आज के समय में बच्चों में अर्थराइटिस की बीमारी होने का कोई निर्धारित उम्र नहीं है। 

बच्चों में अर्थराइटिस से संबंधित जरूरी जानकारियां :

बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
पॉलीआर्टिकुलर जेआईए : बच्चों में अर्थराइटिस की समस्या में से यह समस्या भी एक है। इसमें पॉली का अर्थ होता है कई, इस बीमारी के होने से पांच या उससे अधिक ज्वाइंट प्रभावित होते हैं। इस बीमारी के भी दो प्रकार होते हैं। खून में मौजूद आरएफ रुमेटाइड फैक्टर (rheumatoid factor) के अनुसार इसे बांटा गया है। पहले को पॉलीआर्टिकुल जेआईए कहा जाता है, जिसमें रुमेटाइड फैक्टर निगेटिव होता है, वहीं दूसरे को भी पॉलीआर्टिकुलर जेआईए ही कहा जाता है, जिसमें रुमेटाइड फैक्टर पॉजिटिव होता है।

बीमारी से जुड़े कुछ अहम तथ्य : 

  •  बीमारी की वजह से थकान महसूस होता है।
  • यह बीमारी लड़कों की तुलना में लड़कियों में ज्यादा सामान्य है।
  • छोटे के साथ बड़े ज्वाइंट को प्रभावित करता है।
  • एक साल से लेकर 12 साल की उम्र में बीमारी के लक्षण दिखते हैं।
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सिस्टमेटिक जेआईए : बच्चों में अर्थेराइटिस के इस रूप से शरीर के कई हिस्सों प्रभावित होते हैं। आइडियोपैथिक अर्थराइटिस के मामलों में सबसे कम होने वाली बीमारी सिस्टमेक जेआईए ही है। 
सामान्य लक्षण : 
  • यह ज्वाइंट के आलावा दूसरे अंगों को भी प्रभावित करता है, जैसे स्किन, शरीर के आंतरिक अंग।
  • सामान्य तौर पर यह लड़के व लड़कियों को प्रभावित करता है।
  • इस बीमारी में कम मामलों में ही बुखार देखने को मिलता है।
  • ज्यादातर मरीजों में थकान और स्किन रैश की समस्या देखने को मिलती है।
ऑलीगोआर्टिकुल जेआईए : बच्चों में अर्थराइटिस के मामलों में यह समस्या सबसे सामान्य है। इसमें शरीर के कुछ खास ज्वाइंट ही प्रभावित होते हैं। इसे ऑलीगो, पॉसी नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ है : कुछ अधिक नहीं। यानि कुछ ज्वाइंट्स को प्रभावित करने वाली समस्या। ऑलीगोआर्टिकुलर अर्थराइटिस में प्रभावित होने वाले जोड के आधार पर इसे दो भागों में बांटा गया है। पहले को परसिस्टेंट ऑलीगोआर्टिकुलर अर्थराइटिस (Persistent oligoarticular arthritis) कहा जाता है। इस बीमारी के उभरने से लेकर छह महीने में ज्वाइंट्स में ज्यादा समस्या देखने को नहीं मिलती है। वहीं बीमारी के दूसरे प्रकार को एक्सटेंडेड ऑलीगोआर्टिकुलर अर्थराइटिस (Extended oligoarticular arthritis) कहते हैं। बीमारी के डायग्नोस होने के छह महीनों में पांच से अधिक ज्वाइंट प्रभावित होते हैं। उनमें भी बीमारी के लक्षण दिखाई पड सकते हैं। 
 बीमारी से जुड़े खास तथ्य :
  • दो से चार साल के बीच में बीमारी के लक्षण दिखने शुरू होते हैं।
  • शरीर के बड़े ज्वाइंट को यह प्रभावित करता है, जैसे घुटनों, एड़ी, कलाई, कोहनी।
  • इस बीमारी के कारण आंखों की समस्या यूविटिस की बीमारी हो सकती है, जिस कारण ऑंखों के भीतर जलन होती है।
  • लड़कों की तुलना में लड़कियों में यह बीमारी सामान्य है।
बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
बच्चों के ज्वाइंट को हमेशा के लिए डैमेज कर सकती है अर्थराइटिस
एंथेसिटिस रिलेटेड जेआईए : हडि्डयों के छोर, जहां वो दूसरे हड्‌डी से जुड़ती हैं उसी जगह तो एंथेसिस कहा जाता है, उसमें जलन की परेशानी होती है। बच्चों में अर्थेराइटिस की इस बीमारी को जुवेनाइल स्पॉन्डलाइसिस और जुवेनाइल स्पॉन्डेलोऑर्थोफेथिस (juvenile spondyloarthropathies) कहा जाता है।
इस बीमारी में खास लक्षण देखने को मिलते हैं। 
जैसे :
  •  यह बीमारी दर्द और लालीपन, आंखों की समस्या से संबंधित है, जिसे एक्यूट यूविटिस (acute uveitis) कहा जाता है।
  • लड़कियों की तुलना में यह बीमारी लड़कों को अधिक प्रभावित करती है।
  • इस बीमारी के कारण शरीर के बड़े ज्वाइंट जैसे पांव, स्पाइन व एंथीसिस को प्रभावित करता है।
  • छोटे बच्चों की तुलना में यह बीमारी युवावस्था में अधिक देखने को मिलती है।
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सोरिएटिक जेआईए : इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की ज्वाइंट में जलन और दर्द महसूस होता है। वहीं, स्किन की बीमारी सोरायसिस भी हो सकता है। बीमारी के होने पर सामान्य प्रकार के लक्षण दिखते हैं, जैसे :
  • पेरेंट्स को सोरायसिस की बीमारी हो उनके बच्चों में इस बीमारी की संभावना अधिक होती है।
  • हाथ व पांव के नाखून असमान्य रूप से उखड़ जाते हैं।
  • प्रारंभिक शिक्षा हासिल कर रहे बच्चे, दस साल की उम्र के बच्चों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है।
  • यह बीमारी ज्वाइंट के साथ उंगलियां, कलाई व पांव की उंगलियों को प्रभावित करता है।
  • बीमारी से पीड़ित बच्चों में एक ही समय में सोरायसिस व अर्थराइटिस के लक्षण नहीं उभरते हैं।
  • लड़कों की तुलना में यह बीमारी लड़कियों को अधिक प्रभावित करती है।
अनडिफ्रेंटशिएटेड जेआईए : यह बीमारी जूवेनाइल आइडियोपैथिक अर्थराइटिस की किसी भी श्रेणी में फिट नहीं होती है।
बच्चों में अर्थराइटिस के उपचार से जुडे महत्वपूर्ण तथ्य :

बीमारी से पीड़ित मरीजों का जल्द उपचार शुरू कर दिया जाए तो इसके नतीजे बेहतर हो सकते हैं। मरीजों के जीवन को आसान बनाया जा सकता है। डॉक्टर, नर्स, साइकोथैरेपिस्ट, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट, डायटिशियन, पोडिएट्रिस्ट, साइकोलॉजिस्ट व सामाजिक कार्यकर्ता बच्चे के इलाज में विशेष भूमिका निभाते हैं। वैसे तो अर्थराइटिस विभिन्न प्रकार के होते हैं। ऐसे में उपचार भी अलग-अलग तरीके से किया जाता है। 

बच्चों में अर्थेराइटिस के उपचार में प्रयोग होने वाली दवाएं : 

  •  बायोलॉजिक व बायोसिमिलर मेडिसिन
  •  नॉन स्टोराइडल एंटी इंफ्लिमेंटरी ड्रग्स
  • कार्टिकोस्टोरायड्स (corticosteroids)
  • क्रीम व मलहम
  • आंखों में जलन को कम करने के लिए आई ड्राप
  • एंटी रुमेटिक दवा
  • पेन रिलीवर
लेबोरेटरी टेस्ट 
बच्चों में अर्थराइटिस का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट और टिशू फ्लूड टेस्ट उपयोगी माना गया है।
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Photo : freepik


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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