गैजेट के साथ ज्यादा समय बिताने से कूबड और मुडे हुए पंजों का बढ गया है जोखिम
शरीर की संरचना बिगाड रहे हैं मोबाइल जैसे गैजेट्स
नई दिल्ली।टीम डिजिटल :
भविष्य में कूबड और मुडे हुए पंजों (humpbacked and with folded claws) वाले इंसानों वाली यह दुनिया हो सकती है। कूबड वाली पीठ, मुडे हुए पंजेे और 90 डिग्री तक मुडी हुई कोहनी, छोटा दिमाग और पलकों की दोहरी परत…क्या भविष्य के इंसान ऐसे ही होंगे? दरअसल, इस सवाल ने दुनियाभर के विशेषज्ञों को सकते में डाल दिया है। दरसअसल, इस चिंता के पीछे इलेक्ट्रानिक गैजेट्स का अत्यधिक इस्तेमाल है। इनके अत्यधिक इस्तेमाल का दुष्प्रभाव अब सामने आने लगा है।
टेक्नोलॉजी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल इंसान को कूबड और मुडे हुए पंजों (humpbacked and with folded claws) वाले लोगों में तब्दील कर रहा है। इंसान शारीरिक रूप से बदल रहा है। अमेरिका के प्रमुख संस्थानों के विशेषज्ञों के शोध के आधार पर स्मार्टफोन, लैपटॉप और टेलीविजन के ज्यादा उपयोग से मानव संरचना में संभावित बदलाव पर एक शोध किया गया है और इसकी 3डी इमेज भी तैयार की गई है।
[irp posts=”8252″ ]
लगातार एक स्थिति में बैठने से कूबड़ निकलने का जोखिम
मैपले हॉलिस्टिक्स की स्वास्थ्य विशेषज्ञ कैलेब बैके के मुताबिक दफ्तर और घर में एक ही स्थिति में घंटों बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। जिसके कारण पीठ सीधी नहीं रह पाती और झुकने लगती है। सिर को आधार देने के लिए गर्दन की मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव बन जाता है। लगातार लंबे समय तक इस तरह की स्थिति में रहने के कारण शरीर उसी हालत को स्वीकार करने लगता है। इससे कूबड़ निकलने का खतरा बढ जाता है।
फोन के ज्यादा इस्तेमाल से मुड़ रही हैं उंगलियां
मेड अलर्ट हेल्प की डॉक्टर निकोला के मुताबिक, स्मार्टफोन हर समय हमारे साथ रहता है। हमें जब उसकी जरूरत नहीं होती तब भी हम फोन को हाथों में पकडे रहते हैं। इसे पकड़ने के लिए हमारे पंजे लगातार एक खास स्थिति में रहते हैं। इससे लोगों की उंगलियां मुड़ रही हैं। वहीं, इसकी वजह से लोगों की कुहनियां हमेशा 90 डिग्री पर स्थिर हो सकती हैं। जैसेे हम मोबाइल से बात करते हुए अपनी कुहनियों को मोडते हैं। यह स्थिति कुहनी के नसों पर लगातार दबाव पड़ने की वजह से होती है।
खराब जीवनशैली की वजह से घट रही है दिमाग की क्षमता
तकनीकि विशेषज्ञ जैसन ओ ब्रायन के मुताबिक, खराब जीवनशैली अपनाने की वजह से दिमाग की क्षमता कम हो रही है। लोगों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि वह तकनीक का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं। तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल दिमाग को कम इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसके पीछे मुख्य वजह है।
[irp posts=”8216″ ]
नीली किरणों की वजह से दोहरी पलकों का हो सकता है विकास
यूनिवर्सिटी ऑफ टोलेडो की डॉक्टर कसून रत्नायके के मुताबिक, डिजिटल डिवाइसों से नीली किरणें सबसे ज्यादा निकलती हैं। यह किरणें अनिद्रा की प्रमुख वजह बन गई हैं। लोगों को सिर दर्द और आंखों की रोशनी कम होने की समस्याएं हो रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए शरीर दोहरी पलकों को खुद ही विकसित कर सकता है। शरीर रोशनी की अधिकता को रोकने के लिए ऐसा कर सकता है।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website. Photo : freepik |