Friday, November 22, 2024
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दिल्ली के डॉक्टरों ने रोबोटिक बायपास सर्जरी से बचाई विदेशी जान

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दावा : पहली बार किसी मरीज की हुई रोबोटिक बायपास सर्जरी

ट्रिपल वेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज से पीड़ित था मरीज

नई दिल्ली।टीम डिजिटल :  
विदेशी नागरिक को उसके देश में जिस मर्ज के लिए ओपन हार्ट सर्जरी कराने की सलाह दी गई थी, दिल्ली के डॉक्टरों ने उसके हृदय रोग को रोबोटिक बायपास सर्जरी (robotic bypass surgery) कर ठीक कर दिया। इसतरह फिजी निवासी मरीज की जान बच गई। सर्जरी करने वाले डॉक्टरों का दावा है कि रोबोट तकनीक (robot technology) का सहारा लेकर पहली बार किसी मरीज की बायपास सर्जरी को अंजाम दिया गया है।  
दिल्ली के डॉक्टरों ने रोबोटिक बायपास सर्जरी से बचाई विदेशी जान
दिल्ली के डॉक्टरों ने रोबोटिक बायपास सर्जरी से बचाई विदेशी जान
नई दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के डॉक्टरों ने फिजी निवासी 64 वर्षीय मरीज का सफल रोबोटिक बायपास सर्जरी किया, जिन्हें बीते दो साल से सीने में तकलीफ थी, मरीज का शुगर लेवल अनियंत्रित था और किडनी खराब हो चुकी थी। बताया जा रहा है कि मरीज की इस हालत में सर्जरी करना बेहद जटिल और जोखिम भरा साबित हो सकता था। मरीज ट्रिपल वेसल कोरोनरी आर्टरी डिजीज (triple vessel coronary artery disease) से पीड़ित था। 
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जब मरीज को अस्पताल लाया गया था, तब जांच करने पर उसे मध्यम हृदय रोग होने का खुलासा हुआ। मरीज का हृदय पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पा रहा था, जिससे हृदय गति रुकने का जोखिम बना हुआ था। रोगी को अपने मूल देश में एक ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी गई थी लेकिन इस प्रक्रिया के लिए छाती की हड्डी काटे जाने, खून की कमी, गुर्दे की विफलता और शल्य चिकित्सा जैसी कई जटिलताओं के कारण वे तैयार नहीं हुए। 
डॉक्टरों का यह भी कहना था कि बायपास सर्जरी चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि रोगी में कई underlying co-morbidities जैसे, उच्च रक्तचाप, अस्थिर शर्करा स्तर और हृदय की कमजोर कार्यप्रणाली से संबंधित समस्याएं थी। मरीज की हालत बिगड़ने और उसके समग्र स्वास्थ्य प्रभावित होने के कारण उसे नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल रेफर किया गया था। यहां उन्हें रोबोटिक्स और मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (Robotics and Minimally Invasive Cardiac Surgery) विभाग के विशेषज्ञ सलाहकार डॉ. एमएम यूसुफ और डॉ मुकेश गोयल की देखरेख में भर्ती कराया गया था। 
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डॉक्टरों ने बताया कि शुरूआती पांच दिनों में पहले मरीज की किडनी स्थिर करने की कवायद की गई। इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने रोबोट-सहायता प्राप्त ट्रिपल वेसल कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी (Robot-assisted triple vessel coronary artery bypass surgery) को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में गहन निगरानी के तहत रखा गया। हालांकि कुछ दिनों में चिकित्सा प्रक्रिया के सफल परिणाम मिलने के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। फिलहाल वह खतरे से बाहर है और बिना किसी का सहारा लिए चल पा रहे हैं। 
दिल्ली के डॉक्टरों ने रोबोटिक बायपास सर्जरी से बचाई विदेशी जान
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रोबोट असिस्टेंड सर्जरी (robot assisted surgery) का नेतृत्व करने वाले डॉ. एमएम युसूफ के मुताबिक, “रोबोट असिस्ट सीएबीजी सबसे कम इनवेसिव कार्डियक प्रक्रिया है। यह अत्याधुनिक तकनीक और सर्जिकल विशेषज्ञता के बीच एक सहजीवन है। यह रोगियों को न्यूनतम कटौती, कम रक्तस्राव, कम दर्द, जल्दी ठीक होने और सक्रिय जीवन में त्वरित वापसी के अधीन करके बहुत कम और दीर्घकालिक लाभ प्रदान करता है। इस तरह की सर्जरी के परिणाम काफी बेहतर होते हैं और मरीज को लंबे समय तक इससे राहत रहती है।’’ बताया गया है कि डॉ. एमएम यूसुफ और उनकी टीम पिछले 2 वर्षों से चेन्नई के अपोलो अस्पताल में नियमित रूप से इस प्रक्रिया को कर रही है।
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संबंधित प्रक्रिया के बारे में बोलते हुए डॉ. मुकेश गोयल ने कहा कि “बीते काफी समय से हार्ट अटैक के मामले इमरजेंसी में बढ़ते जा रहे हैं। घर पर कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतें भी लगातार बढ़ रही हैं, जिसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जाते हैं लेकिन हकीकत यह है कि समय पर जांच और इलाज कराने से यह जोखिम टाला जा सकता है। यह जरूरी है कि हृदय रोगियों को लक्षणों में किसी भी गिरावट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि मिनिमली इनवेसिव कार्डियक सर्जरी (minimally invasive cardiac surgery) स्टर्नल स्प्लिट से बचाती है और जल्दी ठीक होने में मदद करती है।
वहीं, डॉ वरुण बंसल ने कहा कि “प्रौद्योगिकी ने स्वास्थ्य सेवा में एक आदर्श बदलाव की शुरुआत की है। जटिल सर्जरी करने से लेकर टेलीहेल्थ के साथ दूरस्थ देखभाल प्रदान करने तक, इसने चिकित्सा उपचार को अकल्पनीय ऊंचाइयों तक ले जाते हुए एक व्यापक परिवर्तन लाया है। भले ही सर्जरी में रोबोट का उपयोग नया नहीं है, लेकिन इस तरह के नवाचारों ने डॉक्टरों को कठिन चिकित्सा प्रक्रिया और सर्जरी को अधिक सटीकता, आराम और गति के साथ करने की सहूलियत मिलती है।’’ 
डॉक्टरों के अनुसार, मरीज केएम के बाद, भारत के एक अन्य रोगी (जिसे कोरोनरी धमनी की बीमारी थी) ने सफलतापूर्वक रोबोटिक असिस्ट टोटल आर्टियल ट्रिपल वेसल बाईपास सर्जरी करवाई और एक सप्ताह के भीतर अपने सक्रिय जीवन को पुनः प्राप्त कर लिया।
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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