चिकनगुनिया के आंकडे चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
देश में चिकनगुनिया (Chikungunya) के मामलों ने चिंता बढा दी है। चिकनगुनिया के बढते हुए संदिग्ध मामलों ने विशेषज्ञों को बेचैन कर दिया है। आशंका जताई जा रही है कि देशभर में चिकनगुनिया के मामले जल्दी ही डेंगू के मामलों को भी पीछे छोड सकते हैं। विशेषज्ञों ने मच्छरों के प्रजनन को रोकने से संबंधित सभी जरूरी प्रयासों को और अधिक तेज करने और सतर्क रहने की सलाह दी है।
नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल (NVBDCP) के आंकडों पर नजर डाले तो पता चलता है कि डेंगू के साथ अब चिकनगुनिया (Chikungunya) ने भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक चिकनगुनिया राजधानी दिल्ली के साथ पूरे देश में प्रभावी हो रहा है। चिकनगुनिया के संदिग्ध मामलों ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड दिए हैं। दिल्ली के ज्यादातर अस्पतालों में अधिकतर मरीज मच्छर जनित बीमारियों के ही भर्ती हैं। नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006 में देश में चिकनगुनिया के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए थे। इसके बाद 2022 चिकनगुनिया के ज्यादा मामलों वाला दूसरा साल साबित हो रहा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों के आंकडों से यह पता चलता है कि चिकनगुनिया के मुकाबले डेंगू के मरीजों के मामले ज्यादा रहे है। वर्ष 2017 से देखा जाए तो चिकनगुनिया (Chikungunya) के आंकडे कम रिकॉर्ड किए गए हैं। इसके अलावा चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों की संख्या भी कम ही रिकॉर्ड की गई है। जबकि, साल 2022 में आंकडों ने चौंकाते हुए डेंगू के मामले की बराबरी कर ली है।
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एनवीबीडीसीपी के मुताबिक इस वर्ष 31 अक्टूबर तक चिकनगुनिया (Chikungunya) के 5320 मामलों की पुष्टि हो चुकी हैं। वहीं संदिग्ध मरीजों की तादाद 108957 तक जा पहुंची है। अगर पिछले वर्ष के आंकडों पर गौर करें तो पाते हैं कि 2021 में चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीजों की संख्या 119070 थी और पुष्टि वाले मामले 11890 थे। वर्ष 2020 में भी चिकुनगुनिया का प्रभाव कम था।
पोस्ट चिकनगुनिया इफैक्ट है दर्दनाक :
दिल्ली नगर निगम के पूर्व एडिशनल एमएचओ डॉ. सतपाल के मुताबिक चिकनगुनिया (Chikungunya) के अधिकतर मामलों में जीवन का खतरा नहीं रहता है लेकिन इस बीमारी मेें होने वाली समस्याओं का सामना करना भी आसान नहीं होता। पोस्ट चिकनगुनिया इफैक्ट लोगों को लंबे समय तक परेशान कर सकता है। मरीजों को जोडों में दर्द की समस्या भी लंबे समय तक हो सकती है। अगर समय पर उपचार नहीं लिया जाए तो यह समस्या अर्थराइटिस या गठिया में भी तब्दील हो सकती है।
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