Friday, November 22, 2024
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Aiims Research : गंगा की अमृत धारा में एंटिबायोटिक होने के मिले पुख्ता प्रमाण

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एम्स : रोग का भी नाश करती है पापनाशिनी गंगा

नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
Antibiotics in the Amrit Dhara of the Ganga : पौराणिक तथ्यों को लेकर आजलकल लोग बहुत भ्रमित रहते हैं। अक्सर इन तथ्यों के पीछे प्रमाण की मांग की जाती है, जो अब प्रमाणित भी होने लगा है। गंगा(Ganga) पापनाशिनी है, यह तो हिंदू धर्म को मानने वाले जानते हैं लेकिन गंगा रोगनाशिनी है या नहीं, इसकी प्रमाणिकता को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती थी लेकिन देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा एवं शोध संस्थान (AIIMS Institute of Medicine and Research), एम्स (Aiims) के विशेषज्ञों ने इस भ्रम से पर्दा उठा दिया है। 
एम्स (Aiims) के विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं कि गंगा रोगनाशिनी भी है। गंगा की अमृत धारा में ऐसे औषधीय गुण (Antibiotics in the Amrit Dhara of the Ganga )  पाए जाते हैं जो एंटीबायोटिक्स से भी अधिक प्रभाव पैदा करते हैं। गंगाजल संक्रमण के उपचार में रामबाण साबित हुआ है। यही कारण है कि गंगाजल कभी खराब नहीं होता। अब यहां यह सोचने की जरूरत है कि हमारे पूर्वज जिन्हें हम ऋषिमुनि कहते थे, वह कितने समृद्ध वैज्ञानिक रहे होंगे और उनका ज्ञान किस स्तर का रहा होगा कि हजारो वर्ष पहले ही उन्होंने गंगा और उसके जल की उपयोगिता पर पूरा ग्रंथ ही लिख डाला है। 
Aiims Research : गंगा की अमृत धारा में एंटिबायोटिक होने के मिले पुख्ता प्रमाण
Aiims Research : गंगा की अमृत धारा में एंटिबायोटिक होने के मिले पुख्ता प्रमाण
एम्स (Aiims Research) विशेषज्ञों ने यह प्रमाणिक तरीके से जाना है कि गंगाजल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया (bacteria found in gangajal) तमाम तरह के संक्रमण के उपचार में मौजूदा एंटिबायोटिक दवाइयों से भी अधिक कारगर साबित हो सकते हैं। जबकि, आज के दौर के कई एंटीबायोटिक यूरिन इन्फेक्शन, गंभीर बर्न इंजरी, सर्जरी के दौरान लगे कट, निमोनिया जैसे लंग इन्फेक्शन, डायबिटीज जैसी समस्याओं के उपचार में प्रभावहीन होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक गंगाजल इस तरह की समस्याओं में बेहद कारगर औषधि साबित हो सकती है। 
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चार वर्ष पहले शुरू हुआ था प्रयोग का सिलसिला 

Aiims Research : गंगा की अमृत धारा में एंटिबायोटिक होने के मिले पुख्ता प्रमाण
Aiims Research : गंगा की अमृत धारा में एंटिबायोटिक होने के मिले पुख्ता प्रमाण
 
एम्स के माइक्रोबायॉलजी विभाग (Department of Microbiology) के विशेषज्ञों ने 4 वर्ष पहले गंगाजल पर प्रयोग (Research on gangajal) शुरू किया था। विशेषज्ञों ने अपने रिसर्च के लिए वाराणसी के विभिन्न घाटों से गंगाजल का नमूना इकट्ठा किया। रिसर्च के दौरान वह यह देखकर हैरान रह गए कि गंगाजल में एक ऐसे बैक्टीरिया की मौजूदगी है, जिसका डीएनए ड्रग-रेजिस्टेंट इन्फेक्शन का इलाज करने में प्रभावी साबित हो सकता है। विशेषज्ञों ने इस बैक्टीरिया को ‘सूडोमोनस एरुजिनोसा’ (‘Pseudomonas aeruginosa’) नाम दिया है।
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दुष्प्रभाव का भी नहीं रहेगा जोखिम

गंगाजल में पाया गया नया बैक्टीरिया इंसानों के इम्यून सिस्टम को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाएगा। इसके ठीक उलट आज के दौर में उपलब्ध एंटीबायोटिक्स से दुष्प्रभाव का जोखिम बना रहता है। इसके अलावा यह एंटीबायोटिक शरीर में मौजूद गुड बैक्टीरिया को भी नष्ट कर देते हैं। 
  •  डॉ. निशा राठौर, सदस्य, रिसर्च दल, एम्स 
इन दिनों कई एंटीबायोटिक असरहीन हो रहे हैं। सेफ्टाजिडाइन, इमिपेनेम और एमिकासिन जैसे एंटीबायोटिक संक्रमण के इलाज में प्रभावहीन साबित हो रहे हैं। संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया भी ड्रग-रेजिस्टेंट होने लगे हैं। उनपर दवाओं का प्रभाव खत्म होता जा रहा है। अब कुछ ही ऐसे एंटीबायोटिक हैं, जिनका प्रभाव उपचार में होता हुआ दिखता है। यह एक बडी समस्या है और इससे इलाज में होने वाला खर्च भी बढता है। 
  • डॉ. रमा चौधरी, माइक्रोबायॉलजी डिपार्टमेंट हेड, एम्स 
 

2019 में ड्रग-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया इन्फेक्शन से 13 लाख मौत 

विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स के खिलाफ प्रतिरोधी क्षमता (drug-resistant bacterial infection) हालिस करने लगे हैं। जिससे एंटीबायोटिक्स के प्रभावहीन होने का खतरा बढता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडों के मुताबिक 2019 में ड्रग-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया संक्रमण की वजह से विश्व में करीब 13 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है। 
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