मधुमेह diabetes : 3000 से अधिक लोगों के साथ किए गए अध्ययन का निष्कर्ष
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : देश में मधुमेह (diabetes) रोगियों की तादादा लगातार बढती जा रही है। यह स्थिति इसलिए चिंताजनक है क्योंकि अब इसकी चपेट में बडे पैमाने पर युवा भी आ रहे हैं। रीइमैजिनिंग डायबिटीज केयर रिपोर्ट 2022 में जो आंकडे सामने आए हैं, वे बेहद चौंकाने वाले साबित हो रहे हैं।
नए साल की शुरूआत से पहले जारी इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मधुमेह (diabetes) के लिए समाधान तलाशने वालों में से 38 प्रतिशत युवा आबादी है। विशेषज्ञों के मुताबिक रिपोर्ट के जरिए निकला यह निष्कर्ष भविष्य में मधुमेह के प्रसार का बेहद चिंताजनक संकेत है। जिसके बाद मधुमेह को नियंत्रित करने और विशेषकर युवा आबादी को इससे दूर रखने के लिए हरसंभव प्रयास गंभीरता से किए जाने चाहिए।
तीन हजार लोगों पर किया गया अध्ययन
यह अध्ययन 3000 से अधिक लोगों पर किया गया है। इस अध्ययन के लिए मधुमेह (diabetes) प्रबंधन कार्यक्रमों में नामांकित 3000 से अधिक लोगों का नमूना आकार, रिपोर्ट महामारी अनुपात तक पहुंचने से पहले मधुमेह (diabetes) की पुनर्कल्पना, पुनर्विचार और पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसके साथ ही यह रिपोर्ट डायबिटीज केयर सर्कल में होने वाली चूक को समझने में भी मददगार साबित हो सकता है। फिटरफ्लाई के डॉ अरबिंदर सिंघल के मुताबिक मधुमेह निदान और नियंत्रण के परिणामों को बेहतर बनाने और भारत में मधुमेह के बोझ को कम करने का एकमात्र तरीका प्रौद्योगिकी को बड़े पैमाने पर अपनाना है। डॉक्टरों, नियोक्ताओं, कल्याण और बीमा कंपनियों के साथ तालमेल बढाने की जरूरत है। इसके बाद ही आगे इस दिशा में बेहतर परिणाम पाने की उम्मीद कर सकते हैं।
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रिपोर्ट में खास :
- मधुमेह (diabetes) से पीडित लगभग 38 प्रतिशत लोग 31 से 45 वर्ष की श्रेणी में थे और लगभग 5 प्रतिशत 30 वर्ष से कम आयु के थे।
- गैर-महानगरों (45 प्रतिशत) के लोग भी अधिक जागरूक थे और मधुमेह के प्रबंधन के लिए नए जमाने के डिजिटल उपचारों का उपयोग कर रहे थे।
- 89 प्रतिशत से अधिक लोग अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त हैं।
- अध्ययन में शामिल लोगों में से 56 प्रतिशत में उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल पाया गया।
- 14 प्रतिशत में पीसीओएस या हाइपोथायरायडिज्म जैसी अंतर्निहित स्थितियां थीं।
- करीब 51 प्रतिशत लोगों का पिछले 5 वर्षों में मधुमेह का निदान किया गया।
- 18 से 30 वर्ष के आयु वर्ग के कम से कम 63 प्रतिशत लोगों में तनाव का स्तर अधिक था।
- इसमें से 58 प्रतिशत भावनात्मक बोझ का सामना करते हुए पाए गए।
- शेष मधुमेह (42 प्रतिशत) और चिकित्सक संकट (29 प्रतिशत) के प्रबंधन के तनाव के कारण था।
- खासबात यह है कि 60 वर्ष की आयु के बाद इन स्थितियों में कमी पाई गई और केवल 28% लोगों ने उच्च तनाव के स्तर का अनुभव किया।
मधुमेह diabetes के लिए समाधान तलाशने वालों में से 38 प्रतिशत युवा
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