Thursday, November 21, 2024
HomeAnkylosing SpondylitisAnkylosing Spondylitis Treatment : बेड रिडेन मरीज सर्जरी के बाद पैरों पर...

Ankylosing Spondylitis Treatment : बेड रिडेन मरीज सर्जरी के बाद पैरों पर खडा हुआ 

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

Ankylosing Spondylitis Treatment : गंगाराम अस्पताल के विशेषज्ञ ने किया Ankylosing Spondylitis मरीज की सर्जरी 

नई दिल्ली। टीम डिजिटल : Ankylosing Spondylitis Treatment : बेड रिडेन मरीज सर्जरी के बाद पैरों पर खडा हुआ –एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing Spondylitis) की वजह से महज 30 वर्ष की आयु में ही एक मरीज के कूल्हों के जोड (hip joint) पूरी तरह से फ्यूज हो चुके थे। फ्लेक्सियन सिकुडन के साथ ही नुकसान रीढ की हड्डी में भी दिख रहा था। ज्वाइन इस कदर फ्यूज हो चुके थे कि मरीज सामान्य रूप से कुर्सी पर भी बैठने में असमर्थ हो गया था।

उसे या तो लेटे रहना पडता था या सहारे की बदौलत खडा होना पडता था। मरीज बहुत मश्किल से महज कुछ कदम ही पैरों से चल पा रहा था। कुलमिलाकर देखा जाए तो एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीडित यह मरीज बेडरिडेन हो चुका था और उसकी मूवमेंट रिस्ट्रिक्ट हो चुकी थी।

एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing spondylitis) एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर के केंद्रीय जोड़ों में रीढ़, कूल्हों, घुटनों, कंधों और बाद में अन्य परिधीय जोड़ों पर इलाज शुरू हो जाता है। अगर अनुपचारित छोड़ दिया जाता है तो ये सभी जोड बीमारी से प्रभावित होकर फ्यूज हो जाते हैं। जिससे मरीज का आवागमन बुरी तरह से बाधित हो जाता है। इस तरह की बीमारियां अप्राकृति विकलांगता को बढाने में बडी भूमिका निभा रही है। 

[irp posts=”9744″ ]

7 घंटों तक चली जटिल सर्जरी 

Gangaram Hospital के डॉ. अनंत कुमार तिवारी और उनकी टीम ने एक साथ द्विपक्षीय हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी (bilateral hip replacement surgery) 7 घंटे में सफलतापूर्वक की और सर्जरी के अगले दिन बिना किसी कठिनाई के मरीज अपने पैरों पर चलने में कामयाब रहा। विशेषज्ञों की माने तो सर्जरी के बाद, एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing spondylitis) से पीडित मरीजों को ज्वाइंट डिस्लोकेशन, घाव भरने की समस्याओं और संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है। इन सभी पहलुओं का ध्यान रखते हुए ऐसे मरीज को विशेष शल्य चिकित्सा केंद्र में कुशल सर्जिकल टीम के साथ सर्जिकल प्रक्रिया को अंजाम दिया जाना जरूरी होता है।
[irp posts=”9735″ ]

एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस में बेहद आम है कूल्हों की समस्या 

Bedridden due to ankylosing spondylitis, was on his feet after surgery
Bedridden due to ankylosing spondylitis, was on his feet after surgery
सर गंगाराम अस्पताल के ज्वाइंट रिप्लेस्मेंट सेंटर के यूनिट हेड डॉ. अनंत कुमार तिवारी के मुताबिक एंकिलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing Spondylitis) के रोगियों में कूल्हे की समस्या बहुत आम है। इस बीमारी से पीडित मरीजों में करीब 50 प्रतिशत से थोड़ा अधिक कूल्हे के प्रभावित होने की समस्या से पीडित हो जाते हैं। अक्सर रीढ़ की हड्डी के आसपास होने वाली समस्याएं रिप्लेस्मेट सर्जरी की संभावनाओं को बढाने वाला साबित होता है।
डॉ. तिवारी के अनुसार कूल्हे को प्रभावित करने वाले गठिया के अन्य रूपों, जैसे कि पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस की तुलना में एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) के साथ कूल्हे की भागीदारी वाले अधिकांश लोगों को कम उम्र में ज्वाइंट रिप्लेस्मेंट की आवश्यकता होती है। पुराने ऑस्टियोअर्थराइटिस से पीडित मरीजों में आमतौर पर, 55 से 75 वर्ष की आयु के बजाय 30 और 45 वर्ष की उम्र के बीच हिप रिप्लेसमेंट, दर्द को कम करने के लिए किया जाता है लेकिन एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के मरीजों में केवल दर्द नहीं बल्कि ज्वाइंट फ्यूजन के कारण होने वाली मूवमेंट रिस्ट्रिक्शन को दूर करने के लिए भी हिप रिप्लेस्टमेंट सर्जरी की जरूरत पडती है।

फ्लेक्सन में सिकुडन और दर्द वाले मरीजों को पडती है हिप रिप्लेस्टमेंट की जरूरत

Bedridden due to ankylosing spondylitis, was on his feet after surgery
Bedridden due to ankylosing spondylitis, was on his feet after surgery
डॉ. तिवारी के मुताबिक एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing Spondylitis) मरीजों में हिप रिप्लेसमेंट के लिए एक सामान्य संकेत फ्लेक्सन सिकुड़न और दर्द है। जिसका अर्थ है कि “हिप थोड़ा सा मुड़ा हुआ है और रोगी पैर को सीधा नहीं कर सकता है। हिप रिप्लेसमेंट को एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों में सामान्य संयुक्त गति को बहाल करने के लिए एक विश्वसनीय समाधान के रूप में देखा जाता है।
यहां तक कि इस प्रक्रिया से खड़े होने मूवमेंट को बहाल कर स्पाइनल अलाइनमेंट को दुरूस्त करने में मदद मिलती है। ऐसे एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीज जिनके कूल्हे की गतिशीलता एक महत्वपूर्ण डिग्री तक प्रभावित नहीं हुई है, उन्हें दर्द को कम करने में रिप्लेस्टमेंट सर्जरी महत्वूपूर्ण भूमिका निभाती है।
[irp posts=”9721″ ]

इलाज के अभाव में मरीज की हुई थी ऐसी स्थिति 

डॉ. तिवारी के मुताबिक पिछले दो वर्ष से उचित उपचार नहीं मिलने की वजह से  मरीज के कूल्हे और रीढ़ दोनों पूरी तरह से आपस में जुड़ गए थे। रोगी दयनीय स्थिति में था और अपने दिन की गतिविधियों को करने में सक्षम नहीं था। जब वास्तविक सर्जरी और रिकवरी की बात आती है, तो कई कारकों के कारण एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing Spondylitis) से पीड़ित लोगों में हिप रिप्लेसमेंट अधिक जटिल हो जाता है।
[irp posts=”9713″ ]

एने​स्थीसिया के लिहाज से आसान नहीं होती है ऐसी सर्जरियां 

डॉ. तिवारी ने बताया कि एनेस्थीसिया के दृष्टिकोण से ऐसी सर्जरियां जटिल हो सकती हैं। अधिकांश एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (ankylosing Spondylitis) पीडित रोगियों में रीढ की हड्डी फ्यूज होती है और इसकी गतिशीलता प्रभावित हो चुकी होती है। जिसके कारण इंट्यूबेशन की प्रक्रिया (सर्जरी से पहले सांस की नली में ऑक्सीजन टयूब को डालने की प्रक्रिया) के लिए विशेष तकनीकों की आवश्यकता हो सकती है।
स्पाइनल एनेस्थीसिया जो सामान्य रूप से हिप रिप्लेसमेंट के लिए व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, एक फ्यूज्ड स्पाइन के साथ यह विकल्प शेष नहीं रह जाता है। यह स्थिति स्पाइनल कैनाल तक पहुंच को सीमित करता है। सर्जरी के दौरान स्पंजी हड्डियों से काफी खून बहता है इसलिए नियंत्रित हाइपोटेंसिव एनेस्थीसिया की अक्सर आवश्यकता होती है।
आमतौर पर एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीडित मरीजों में सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान कूल्हे के आसपास की हड्डी को हटाने की आवश्यकता होती है क्योंकि कूल्हे की बॉल और सॉकेट फ्यूज होकर सिंगल बोन में तब्दील हो चुकी होती है। इमेज इंटेंशिफिकेशन के तहत सॉकेट क्षेत्र को बहुत सावधानी से रिकन्सट्रक्ट किया जाता है। डॉक्टर के मुताबिक जॉइंट को बदलने के बाद भी इसके कॉन्ट्रैक्चर्स को दूर होने में महीनों लग सकते हैं।
Ankylosing Spondylitis Treatment : बेड रिडेन मरीज सर्जरी के बाद पैरों पर खडा हुआ 

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website). 

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India Web Team
Caas India Web Teamhttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article