गैरआईसीयू कमरों पर जीएसटी (GST) लगाने के फैसले का राजस्व सचिव ने बचाव करते हुए कहा है कि इससे किफायती स्वास्थ्य सेवा बेअसर रहेगी।
नई दिल्ली : हाल ही में गैरआईसीयू कमरों पर जीएसटी (GST) लगाने के जीएसटी परिषद के फैसले का राजस्व सचिव ने बचाव किया है। कहा गया है कि जीएसटी लगने से किफायती स्वास्थ्य सेवा बेअसर रहेगी। वह उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिष्द (सीआईआई) के कार्यक्रम में बोल रहे थे।
राजस्व सचिव तरुण बजाज के मुताबिक 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैरआईसीयू कमरों पर जीएसटी (GST) लगाने के फैसले का असर आबादी के बड़े हिस्से को किफायती दर पर स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने पर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अस्पतालों के गैर-आईसीयू कमरों पर पांच प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (GST) लगाने का असर काफी कम होगा।
उद्योग मंडल फिक्की समेत कई संगठनों ने 5,000 रुपये से अधिक किराये वाले गैर-आईसीयू कमरों पर GST लगाने से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की लागत बढ़ने की आशंका व्यक्त की थी। यहां बता दें कि जीएसटी परिषद ने पिछले सप्ताह हुई बैठक में अस्पतालों के गैरआईसीयू कमरों के किराये पर पांच प्रतिशत कर लगाने का निर्णय लिया था।
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बजाज के मुताबिक पानीपत या मेरठ जैसे छोटे शहरों में कम ही ऐसे अस्पताल होंगे, जहां कमरों का किराया 5,000 रुपये से अधिक होगा। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि देश भर के अस्पतालों में भी कितने कमरों का किराया इस दायरे के तहत आता है। उन्होेंने कहा कि मुझे लगता है कि इस तरह के अस्पतालों की तादाद बहुत कम होगी।
ऐसे में अगर मैं कमरे के किराये पर 5,000 रुपये खर्च कर सकता हूं तो 250 रुपये जीएसटी भी दे ही सकता हूं। उन्होंने कहा कि इस प्राप्त राजस्व का इस्तेमाल आर्थिक रूप से लाचार लोगों के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस शुल्क की वजह से किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी, ऐसे दावों को लेकर वह हैरान हैं। मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता जिससे किफायती स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी।
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इस बीच स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के संगठन नैटहेल्थ ने सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। संगठन की ओर से कहा गया है कि बोम्मई समिति की अनुशंसाएं आने के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाना चाहिए। नैटहेल्थ ने अपने बयान में कहा कि कर छूट की व्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खत्म करना एक प्रशंसनीय कदम है लेकिन इसे अंतिम उत्पादन चरण पर हटाने और कच्चे माल एवं मध्यवर्ती स्तर पर हटाने के बीच फर्क तय किया जाना चाहिए। ऐसे करोें से स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र पर अतिरिक्त बोझ पडता है।
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