बिना जांच के एंटीबायोटिक्स देने पर बेअसर होने की संभावना अधिक
नई दिल्ली। टीम डिजिटल :
एंटीबायोटिक्स (antibiotics) अगर बिना जांच के मरीजों को दी जाए तो इसके बेअसर होने की संभावना बढ सकती है। इसके अलावा बिना मरीज के संक्रमण को जाने एंटीबायोटिक्स देने से इसकी खपत भी अधिक बढती है। एम्स नई दिल्ल्ली (aiims new delhi) के ट्रॉमा सेंटर (trauma centre) विशेषज्ञों के द्वारा किए गए अध्ययन (aiims research on antibiotics) में इस तथ्य का खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर एंटीबायोटिक्स जांच के बाद संक्रमण का सही तरह से पता लगाकर दी जाए तो यही दवा रामबाण साबित हो सकती है। इन दिनों सभी अस्पतालों में एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक बिना जांच एंटीबायोटिक्स देने की वजह से दवा के दुरउपयोग के साथ इसके खिलाफ प्रतिरोधकता भी पैदा होती है।
583 मरीज पर किया गया अध्ययन :
एम्स ट्रामा सेंटर (aiims trauma centre) के विशेषज्ञों ने आइसीयू में भर्ती 18 वर्ष से अधिक उम्र के 582 मरीजों पर अध्ययन किया। उन्होंने इस अध्ययन (aiims research on antibiotics) में ऐसे मरीजों को शामिल किया, जिन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। आईसीयू में भर्ती होने के 24 घंटों के भीतर अनुभव के आधार पर उन्हें एंटीबायोटिक्स और एंटी फंगल दवा दी गई।
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इसके ठीक उलट कुछ मरीजों की जांच कर उनके संक्रमण का पता लगाकर एंटीबायोटिक्स (antibiotics) और एंटी फंगल दवाएं दी गई। जिन मरीजों को बिना जांच के एंटीबायोटिक्स दिया गया, उनके उपचार में एंटीबायोटिक्स की खपत अधिक हुई और बाद में डॉक्टरों को अपनी दवा भी बदलनी पडी। वहीं जांच कर संक्रमण जानकर जिन मरीजों को दवा दी गई, उनपर दी गई दवा असरदार भी साबित हुई और उनकी खपत भी कम हुई। इसके अलावा ऐसे मरीज शीघ्र संक्रमण से मुक्त भी हो गए।
एंटीबायोटिक्स (antibiotics) के दुष्प्रभाव और गैरजरूरी इस्तेमाल को लेकर एम्स ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों का यह अध्ययन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नजीजतन, इसे इंडियन जर्नल आफ मेडिकल माइक्रोबायोलाजी में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में शामिल एम्स ट्रामा सेंटर के माइक्रो बायोलाजी विभाग की प्रोफेसर डा. पूर्वा माथुर के मुताबिक इस अध्ययन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (ICMR) की शोध परियोजना के तहत किया गया है।
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इसका उद्देश्य एंटीबायोटिक की खपत के उस पैटर्न का पता लगाना था, जो अक्सर आईसीयू मरीजों पर इस्तेमाल किया जाता है। इस अध्ययन से एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को नियंत्रित करने से संबंधित नीति निर्धारित करने में भी काफी मदद मिलेगी। प्रोफेसर माथुर के मुताबिक बिना कल्चर जांच के मरीजों को एंटीबायोटिक्स देना हवा में तीर चलाने जैसा है।
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