भारतीय पौराणिक चिकित्सा ग्रंथों में मौजूद हो सकता है कई असाध्य बीमारियों का उपचार
नई दिल्ली। Aiims Delhi : देश के सबसे बडे सरकारी अस्पताल और शोध संस्थान एम्स (Aiims Delhi) अब आधुनिक चिकित्सा (modern medicine) के साथ पौराणिक चिकत्सा पद्धतियों (ancient medical practices) की ओर रुख कर रहा है। संस्थान में शीध्र ही आध्यात्मिक मेडिसिन विभाग (Department of Spiritual Medicine) की शुरूआत हो सकती है। एम्स प्रशासन ने इसके लिए एक कमेटी भी गठित की है। बताया जा रहा है कि बदलत दौर में एम्स प्रशासन उपचार की संभावनाओं से जुडे हर उस पहलुओं पर ध्यान देगा, जो बीमार मरीजों को राहत देने की दिशा में फायदेमंद साबित होगी।
विवादों को दरकिनार कर एम्स (Aiims Delhi) ने की कमेटी गठित
हालांकि, एम्स (Aiims Delhi) प्रशासन की यह पहल आंशिक रूप से विवादों में भी घिरती हुई दिख रही है। संस्थान के कुछ फैक्टली आध्यात्मिक मेडिसिन विभाग (Department of Spiritual Medicine) से संबंधित इस निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ वरिष्ठ फैकल्टी पूछ रहे कि इस अध्यात्मिक मेडिसिन विभाग की कमान कौन संभालेगा। कुछ वरिष्ठ फैकल्टी ने तो तंज भी कसना शुरू कर दिया है कि ऐसा लगता है कि एम्स में अब अध्यात्मिक गुरूओं की नियुक्ति होगी।
बरहाल, एम्स (Aiims Delhi) प्रशासन इन तमाम चुनौतियों के बीच अपने निर्णय पर कायम दिख रहा है। एम्स निदेशक ने तमाम विवादों और संभावनाओं को किनारे करते हुए अपने बयान में यह कहा है कि करीब एक वर्ष से कुछ वरिष्ठ फैकल्टी की ओर से एम्स प्रशासन को इस तरह के सुझाव मिल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि एम्स में अंग प्रत्यारोपण मेडिसिन, चिकित्सा शिक्षा और आध्यात्मिक मेडिसिन विभाग की शुरूआत होनी चाहिए।
इन तीनों विभागों को शुरू करने के लिए एम्स ने डीन (एकेडमिक) के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। जिसमें डीन (शोध), डीन (परीक्षा), एसोसिएट डीन और रजिस्ट्रार शामिल हैं। कमेटी सभी फैकल्टी और हित धारकों के साथ विस्तृत चर्चा करेगी। इसके आधार पर तीनों विभागों को स्थापित करने के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा। एम्स ने कमेटी को अपनी सिफारिश देने के लिए 31 अक्टूबर का वक्त दिया है।
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एम्स की मीडिया डिविजन की चेयरपर्सन डॉ. रीमा दादा के मुताबिक प्रत्यारोपण विभाग शुरू होने से लिवर, किडनी, हृदय, आंत इत्यादि प्रत्यारोपण की सुविधाओं का विस्तार होगा। इन सबका लाभ मरीजों को मिलेगा। संस्थान में इन सबके लिए पहले से फैकल्टी उपलब्ध हैं। वहीं, कुछ फैकल्टी की नियुक्ति भी की जाएगी। यह चिकित्सा शिक्षा में नए तरह का बदलाव है। उन्होंने कहा कि इस कदम से संस्थान बेहतर और कुशल डॉक्टरों को तैयार कर सकेगा। आध्यात्मिक मेडिसिन विभाग में फैकल्टी कौन होंगे, यह कमेटी तय करेगी।
ऐसा होगा एम्स का विष्णु दशावतार मॉडल
जानकारी के मुताबिक, दशावतार मॉड्यूल के तय मानकों को हर हालत में सभी को मानना होगा। इस मॉडल पर एम्स में काम शुरू हो चुका है। इस मॉडल के नतीजे बेहद सकारात्मक पाए गए हैं। इससे मरीजों की रिकवरी दर में भी तेजी रिकॉर्ड की गई है। आगे जो भी अनुभव इससे प्राप्त होगा, उसके आधार पर इसमें और अधिक सुधार भी किए जाएंगे।
अवतारों के नाम, सिंबल और गाइडलाइंस
मत्स्य अवतार : सुरक्षा
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर इलाज।
इलाज के दौरान मरीजों को न हो किसी तरह का कोई इंफेक्शन।
सख्ती से एंटीबायोटिक प्रोटोकॉल लागू किया जाता है।
कूर्मावतार : स्थायित्व
अस्पताल में दी जा रहीं स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता रहे बरकार।
मिले एनएबीएच मानकों पर खरा उतरना।
नवाचार पर काम करना।
वराह अवतार : बचाव
तत्काल राहत दिलाने के लिए अलग से फैकल्टी की हर वक्त तैनाती।
बड़े स्तर की आग की आपदा से बचने के लिए 15 बेड का हर वक्त अलग से इंतजाम।
विभाग का हर स्टाफ आग से बचाव के लिए तैयार।
नरसिंह अवतार : साहस
सुरक्षित वातावरण और सटीक रणनीति से इलाज।
मरीजों में इलाज के दौरान निर्णय क्षमता का विकास।
गंभीरतम सर्जरी के लिए हर हाल में तैयार रहना।
वामन अवतार : मानवता
आयुष्मान भारत समेत दूसरे माध्यम से गरीबों को बेहतर इलाज दिलवाना।
टीम वर्क से काम।
सांस्कृतिक मानवता व विविधता का मिलान।
परशुराम अवतार : नीति परायणता
मरीजों के अधिकारों को बनाए रखना।
डिजिटल रिकार्ड तैयार करना।
अंगदान व रक्तदान की जरूरत होने पर रिश्तेदारों को वरीयता देना।
रामावतार : सदाचार
उपचार और शोध में 100 फीसदी नैतिकता का पालन करना।
मरीजों के मेडिकल रिकाॅर्ड की गोपनीयता बनाए रखना।
अच्छे चिकित्सकीय अभ्यास का पालन करना।
कृष्णावतार : करूणा
सभी मरीजों के प्रति दयाभाव।
एसिड से जले मरीजों में विश्वास जगाना।
दिव्यांगों को क्षेत्र विशेष में मिले हर सुविधा।
बुद्ध अवतार : आत्मज्ञान
हर महीने स्टाफ का प्रशिक्षण।
मरीजों के फीडबैक के आधार पर गुणवत्ता में सुधार।
मरीजों को मनोवैज्ञानिक समर्थन व सलाह।
कल्कि अवतार : न्याय
मरीजों को इलाज में लगने वाले समय व खर्च की जानकारी।
मरीजों को भर्ती करने व सर्जरी में पारदर्शिता।
100 फीसदी तक साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना।
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