एम्स का मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर इस साल के अंत तक तैयार हो जाने की संभावना है। कॉरिडोर शुरू होने से एम्स नई दिल्ली और झज्जर के बीच की दूरी कम हो जाएगी। घंटों का सफर मिनटों में तय करना संभव हो जाएगा।
नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के एम्स और हरियाणा के झज्जर के बीच की दूरी को कम करने के लिए विकसित किए जा रहे मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर का निर्माण इस साल के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है। इसके निर्माण से एक से दूसरे स्थान तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। एम्स नई दिल्ली से झज्जर की दूरी 60 किलोमीटर है। मेडिकल कॉरिडोर के शुरू हो जाने के बाद इस दूरी को मिनटों में तय करना संभव हो जाएगा।
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एम्स के अधिकारियों के मुताबिक वे कॉरिडोर के लिए दिल्ली पुलिस की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस कॉरिडोर का शुभारंभ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक कुछ हेल्थ टेस्ट एम्स के झज्जर केंद्र में अभी उपलब्ध नहीं हैं। मानव रहित हवाई व्हीकल (यूएवी) सेवा शुरू होने के बाद ड्रोन की मदद से नमूनों को परीक्षण के लिए दिल्ली परिसर लाना आसान हो जाएगा। इस मेडिकल ड्रोन कॉरिडोर से अंग प्रत्यारोपण के मामले में भी काफी सुविधा मिलेगी।
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यहां बता दें कि अंग प्रत्योरोपण के लिए डोनेटेड ऑर्गेन को एक निश्चित समय सीमा के भीतर अस्पताल पहुंचाने की अनिवार्यता रहती है। प्रत्योरोपण की सफलता के लिए इस अनिवार्यता का पालन करना बेहद जरूरी हो जाता है। इस ड्रोन कॉरिडोर की शुरूआत के बाद प्रत्योरोपण के लिए अंगों को त्वरित गति से एक से दूसरे परिसर पहुंचाना भी आसान हो जाएगा।
यहां बता दें कि बीते वर्ष भातर में कोविड टेस्ट के नमूने भेजने के लिए ड्रोन का उपयोग किया गया था। एक ड्रोन कॉरिडोर अलग-अलग हवाई क्षेत्रों से जुडा होता है। शुरूआती दौर में ड्रोन का उपयोग खून के नमूनों, ब्लड प्रोडक्ट और दवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाने और ले जाने के लिए किया जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो अन्य राज्यों द्वारा भी इस मॉडल को अपनाया जाएगा।