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नई दिल्ली : एम्स (AIIMS) निदेशक प्रो. रणदीप गुलेरिया अभी अपने पद पर बने रहेंगे। जानकारी के मुताबिक उन्हें अभी और तीन महीने की सेवा विस्तार दिया जा सकता है। गत 20 जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की न्युक्ति समिति (एसीसी) ने एम्स के निदेशक पद के लिए नामों के एक व्यापक पैनल की मांग की। जिसके बाद उम्मीद की जा रही है कि उन्हें कार्यकाल विस्तार दिया जा सकता है।
यहां बता दें कि प्रो. रणदीप गुलेरिया को 28 मार्च, 2017 में पांच साल के लिए नई दिल्ली एम्स (AIIMS) का निदेशक नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 24 मार्च को ही समाप्त हो गया था लेकिन उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था। इसी साल मार्च में एक खोज सह चयन समिति ने तीन नामों का चयन किया और बाद में उसे एम्स के शीर्ष निर्णायक संस्थान निकाय के द्वारा अनुमोदित तीन डॉक्टरों के नामों को अंतिम मंजूरी के लिए एसीसी को भेज दिया गया था।
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20 जून को कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत एवं पेंशन कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजे गए एक कार्यालय ज्ञापन में यह कहा गया है कि एसीसी के सक्षम प्राधिकारी ने इसके विचार के लिए नामों का एक व्यापक पैनल भेजने के अनुरोध के साथ तत्काल प्रस्ताव वापस करने का निर्देश दिया है।
सूत्र बताते हैं कि एम्स के जिन तीन डॉक्टरों के नामों की सिफारिश पहले की गई थी, उनमें एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख निखिल टंडन, एम्स ट्रॉमा सेंटर और हड्डी रोग विभाग के प्रमुख राजेश मल्होत्रा और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में प्रोफेसर प्रमोद गर्ग शामिल थे। इधर एम्स में निदेशक पद के लिए आंतरिक प्रतिपर्धा भी तेज होती दिख रही है। जिन लोगों के निदेशक बनने की संभावना है, वह भी अपने स्तर से कोशिशों में जुटे हुए हैं।


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जानकार बताते हैं कि एम्स निदेशक के पद के लिए किसी का चयन करने से पहले संबंधित व्यक्ति के बारे में कई पहलुओं पर विचार किया जाता है। उनकी सर्विस हिस्ट्री, उपलधियों पर काफी चर्चा की जाती है। इसके अलावा खासतौर पर यह देखा जाता है कि निदेशक पद के लिए जिस व्यक्ति का चयन किया जा रहा है, वह स्वच्छ छवि का होना चाहिए। वैसे जानकारों का यह भी कहना है कि एम्स निदेशक पद के चयन में लोकप्रियता भी एक बडा फैक्टर साबित होता है।
यहां बता दें कि एम्स निदेशक की नियुक्ति को लेकर अंतिम फैसला प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रीमंडल की नियुक्ति समिति करेगी। इस समिति में दिल्ली विश्विद्यालय के कुलपति योगेश सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, जैव प्रौद्योगिकी विभाग सचिव राजेश एस गोखले, सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार विजय राघवन शामिल हैं।
यहां बता दें कि प्रो. रणदीप गुलेरिया एक लोकप्रिय फेफडा रोग (पल्मोलॉजिस्ट) विशेषज्ञ हैं। कोरोनाकाल में उनकी सलाह आम लोगों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई है। प्रो. गुलेरिया ने प्रदूषण का फेफडे पर पडने वाले दुष्प्रभाव को लेकर कई महत्वपूर्ण अध्ययन भी किया है। उन्होंने अपनी विशेषज्ञता से कई उत्कृष्ट योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। खास बात यह है कि एम्स के डॉक्टर और कर्मचारी उनके विनम्र व्यवहार की काफी सराहना करते हैं।
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