Wednesday, December 18, 2024
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Air Pollution Effects : सावधान.. ऐसे ही खतरनाक नहीं है वायु प्रदूषण, दिख रहा है इसका असर 

अध्ययन में भारत के वायु प्रदूषण के स्तर (Air Pollution Lavel in India) में बदलाव और मृत्यु दर के बीच संबंधों का जब विश्लेषण किया गया, तब चौंकाने वाले नतीजे सामने आए।

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इंसानी जीवन के लिए गंभीर चुनौतियां पैदा कर रहा है वायु प्रदूषण (Air Pollution Effects in India)

Latest Health and Madical Research News in Hindi : वायु प्रदूषण का प्रभाव (Air Pollution Effects in india) इंसानी जीवन के लिए चिंताजनक चुनौतियां पेश कर रहा है। वायु प्रदूषण अब सीधेतौर पर इंसानी जीवन के लिए बढता हुआ खतरनाक जोखिम बनता जा रहा है। इस बारे में हाल में की गई एक रिसर्च ​विशेष चिंता पैदा कर रही है। यह रिसर्च भारत में प्रदूषण और उसके प्रभाव से पैदा होने वाली स्वास्थ्य जोखिम पर आधारित है।

Air Pollution Effects : लाखों मौत की वजह

Air Pollution Effects : सावधान.. ऐसे ही खतरनाक नहीं है वायु प्रदूषण, दिख रहा है इसका असर
Air Pollution Effects : सावधान.. ऐसे ही खतरनाक नहीं है वायु प्रदूषण, दिख रहा है इसका असर (Photo : Canva)
कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट (Karolinska Institutet) के एक नए अध्ययन से यह जानकारी सामने आई है कि भारत में वायु प्रदूषण (Air Pollution in India) के लंबे समय तक संपर्क में रहने से लाखों मौतें होती हैं। शोध, में प्रकाशित द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ ने भारत में कठोर वायु गुणवत्ता नियमों को व्यवहार में लाने की वकालत की है। विशेषज्ञों के मुताबिक 2.5 माइक्रोमीटर व्यास से छोटे कणों, PM2.5 से युक्त वायु प्रदूषण, फेफड़ों और रक्तप्रवाह में असानी से प्रवेश करने में सक्षम हैं और यह समस्या भारत में यह एक बड़े स्वास्थ्य जोखिम के तौर पर उभरा है। शोधकर्ताओं ने अपने ताजा और नए अध्ययन में 10 साल की अवधि में इन कणों और मृत्यु दर के बीच के संबंधों की जांच की है। इस अध्ययन में 2009 और 2019 के बीच भारत के 655 जिलों के डेटा का इस्तेमाल किया गया है।
“हमने पाया कि PM2.5 सांद्रता में प्रत्येक 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वृद्धि से मृत्यु दर में 8.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
– पेट्टर लजंगमैन, शोधकर्ता, करोलिंस्का इंस्टीट्यूट (पर्यावरण चिकित्सा संस्थान)  

Air Pollution Effects : 3.8 मिलियन मौत

अध्ययन में वायु प्रदूषण के स्तर (Air Pollution Lavel in India) में बदलाव और मृत्यु दर के बीच संबंधों का जब विश्लेषण किया गया, तब चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। नतीजों से यह अनुमान लगाया गया है कि 2009 और 2019 के बीच भारत में लगभग 3.8 मिलियन मौत वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ऊपर वायु प्रदूषण के स्तर से जुड़ी हो सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा अनुशंसित कठोर दिशानिर्देशों के मुताबिक, केवल 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से तुलना करने पर यह आंकड़ा बढ़कर 16.6 मिलियन मौतों तक पहुंच जाता है। जिससे यह पता चलता है कि भारत में मौजूद मृत्युदर का यह आंकडा 25 प्रतिशत है।

वायु प्रदूषण के प्रभाव (Air Pollution Effects) में 1.4 अरब लोग

Air Pollution Effects : सावधान.. ऐसे ही खतरनाक नहीं है वायु प्रदूषण, दिख रहा है इसका असर
Air Pollution Effects : सावधान.. ऐसे ही खतरनाक नहीं है वायु प्रदूषण, दिख रहा है इसका असर (Photo : Canva)
अध्ययन में यह भी बताया गया है कि भारत की पूरी आबादी वैसे क्षेत्रों में रहती है जहां PM2.5 का स्तर WHO के दिशानिर्देशों से अधिक है। यानि, लगभग 1.4 अरब लोग साल-दर-साल वायु प्रदूषण के संपर्क में आते जा हैं, जो स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कुछ क्षेत्रों में, 119 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक का स्तर मापा गया, जो डब्ल्यूएचओ और भारत दोनों द्वारा सुरक्षित माने जाने वाले स्तर से कहीं अधिक है।पेट्टर लजंगमैन के मुताबिक, “परिणाम बताते हैं कि भारत में मौजूदा दिशानिर्देश स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उत्सर्जन को कम करने के लिए सख्त नियम और उपाय अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।”

वायु गुणवत्ता सुधार के लिए 2017 से चल रहा है कार्यक्रम

भारत में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार वर्ष 2017 से एक राष्ट्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रम चला रही है, लेकिन अध्ययन से पता चलता है कि कई क्षेत्रों में PM2.5 सांद्रता में अब भी वृद्धि जारी है। अध्ययनर्ता स्थानीय स्तर पर उत्सर्जन को कम करने और वायु प्रदूषण की लंबी श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए दोनों के महत्व पर जोर देते हैं। उनका कहना है कि PM2.5 कण सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। पेट्टर लजुंगमैन के मुताबिक, “हमारा अध्ययन ऐसे साक्ष्य प्रदान करता है जिनका उपयोग भारत और विश्व स्तर पर बेहतर वायु गुणवत्ता नीतियां बनाने के लिए किया जा सकता है।” अध्ययन को फॉर्मास ने वित्त पोषित किया है। यह अध्ययन भारत, स्वीडन, अमेरिका, इज़राइल और इटली के विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं के परस्पर सहयोग से किया गया है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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