एक मंच पर जुटे विशेषज्ञों ने लिया एनीमिया मुक्त भारत का संकल्प
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : देश के लिए एनीमिया (Anemia) एक बडी चुनौती है। विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ एम्स (Aiims) में जुटे और एनीमिया मुक्त भारत (anemia free india) का संकल्प लिया। इस खास मौके पर निर्धारित समय में तय लक्ष्य को किस तरह हासिल किया जा सकता है, इसपर न केवल मंथन किया गया बल्कि इस अभियान की सफलता के लिए बाकायदा खाका भी पेश किया गया।
बच्चों और युवाओं में एनीमिया चिंता का विषय
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (National Family Health Survey report on anemia) के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु के 67% बच्चों और 59% किशोरियों में 31% किशोरियों में खून की कमी है। यह आंकडा बच्चों और युवाओं के पोषण के दावों को मुंह चिढाने जैसा प्रतीत होता है। विशेषज्ञ इन आंकडों को लेकर खासे चिंतित हैं और इस समस्या का सामधान शीघ्र किए जाने की वकालत भी कर रहे हैं।
क्यों होता है एनीमिया
एनीमिया (anemia) लाल रक्त कोशिकाओं की कम संख्या या हीमोग्लोबिन की कम मात्रा के कारण होता है। इससे शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति भी प्रभावित होती है क्योंंकि रक्त के माध्यम से ही शरीर के हर हिस्से में आक्सीजन पहुंचता है। इसकी वजह से शारीरिक क्षमता प्रभावित होती है। थकान, कमजोरी और शारीरिक श्रम की क्षमता भी प्रभावित होती है। खास बात यह है कि बच्चों में खून की कमी का असर शरीर के साथ उनके मानसिक विकास पर भी होता है।
बैठक में विशेषज्ञों ने किया मंथन
बच्चों और किशोरों में एनीमिया (anemia) के उच्च बोझ के प्रबंधन के लिए “C2IQ” पर पूरे दिन की बैठक आयोजित की गई। एम्स (Aiims) नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में “C2IQ for Control of Anemia in Children (0-19 years): A time for Action – “Coverage, Continuity, Intensity and Quality” विषय पर विभिन्न संस्थाओं के विशेषज्ञों ने मंथन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड एडवांस्ड रिसर्च ऑन एनीमिया द्वारा किया गया।
कार्यक्रम को आयोजित करने में बतौर सहयोगी National Centre of Excellence and Advanced Research on Anemia Control (NCEAR-A), AIIMS, New Delhi in association with Pediatric and Adolescent Nutrition (PAN) Society, Indian Association for Adolescent Health (IAAH), Indian Academy of Pediatrics (IAP), Indian Public Health Association (IPHA) and UNICEF, India. NCEAR-A is technical support unit established by Government of India as part of Anemia Mukt Bharat (AMB) at Centre for Community Medicine (CCM), AIIMS शामिल रहे।
कार्यक्रम का उद्घाटन प्रो. एम. श्रीनिवास, निदेशक, एम्स (Aiims), नई दिल्ली द्वारा किया गया। वहीं सम्मानित अतिथि के तौर पर नीति अयोग के सदस्य प्रो. विनोद के. पॉल शिरकत कर रहे थे। इसके अलावा, सीसीएम, एम्स (Aiims), दिल्ली के प्रोफेसर और पूर्व प्रमुख पद्मश्री डॉ चंद्रकांत एस पांडव, INCLEN के कार्यकारी निदेशक प्रो. एन. के. अरोड़ा, ने वैज्ञानिक चर्चा सत्रों की अध्यक्षता की।
आईसीएमआर के डीजी डॉ. राजीव बहल, ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बैठक को संबोधित किया। ईएसआई मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के प्रोफेसर जगदीश चंद्र, ने पोषण संबंधी एनीमिया (anemia) पर विचार-विमर्श किया। कार्यक्रम में पूरे भारत से 150 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा MoHFW की AS & MD, (NHM) रोली सिंह, IAPSM के अध्यक्ष हरिवंश चोपडा, किशोर स्वास्थ्य के लिए भारतीय संघ के महासचिव के रूप में कार्य योजना के हस्ताक्षरकर्ता और सफदरजंग अस्पताल के सामुदाचिक मेडिसिन विभाग के निदेशक एवं एचओडी प्रो. जुगल किशोर, आईपीएचए के अध्यक्ष प्रो. संजय राय ने आईएपी और आईपीएचए संघों द्वारा बच्चों में एनीमिया के नियंत्रण के लिए कार्रवाई के आह्वान पर चर्चा की।
चर्चा में क्या रहा खास
- विशेषज्ञों ने सर्वसम्मति से देश में एनीमिया के उच्च बोझ के सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व का समर्थन किया।
- इस बात पर सहमति कायम हुई कि बच्चों में एनीमिया का नियंत्रण भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- विकसित भारत अभियान (anemia free india) @2047 की ओर कूच की शुरूआत पर सहमति
एनीमिया के नियंत्रण के लिए IAP, IPHA और IAAH द्वारा समर्थित कार्रवाई का खाका
1. बच्चों में एनीमिया को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में पहचान
2. प्रशिक्षण मॉड्यूल और ई-मॉड्यूल के समान उपयोग करके बच्चों में एनीमिया पर मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण
एएमबी टीओटी टूल किट, और प्रशिक्षकों को राष्ट्रीय से राज्य, जिले में प्रशिक्षित करने के लिए ब्लॉक स्तर पर कैस्केड मॉडल का उपयोग करना
3. पांच वर्ष से कम उम्र के, प्री-स्कूल और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए एएमबी के तहत एनीमिया का प्वाइंट-ऑफ-केयर परीक्षण
डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर का उपयोग करना। वर्तमान में एएमबी में केवल एनीमिया पीओसीटी स्क्रीनिंग का प्रावधान है
किशोर आयु समूह और इसे 0 से 19 वर्ष की आयु के सभी बच्चों तक बढ़ाया जाना चाहिए।
4. राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का सुदृढ़ीकरण
(आरकेएसके), प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (पीएम पोषण), एकीकृत बाल विकास सेवाएं
(आईसीडीएस) एनीमिया को संबोधित करने पर विशेष ध्यान देने वाली योजनाएं।
5. निजी स्कूलों के बच्चों और सरकारी स्कूलों से बाहर के बच्चों पर विशेष ध्यान
एनीमिया नियंत्रण के लिए समर्थित कार्यक्रम।
6. खाद्य प्रणाली को सक्षम करने वाले बच्चों में एनीमिया को नियंत्रित करने के लिए आहार संबंधी दृष्टिकोणों पर ध्यान केंद्रित करना
पर्यावरण नीति और कार्यक्रम।
7. ‘बेबी फ्रेंडली अस्पताल’ की तर्ज पर सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को ‘चाइल्ड फ्रेंडली’ अस्पताल में अपग्रेड करना
पहल’ और सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में एनीमिया के लिए सार्वभौमिक जांच पर विचार।
8. प्राथमिक और मध्य विद्यालय से उच्चतर माध्यमिक और वरिष्ठ विद्यालय तक विद्यालय भोजन कार्यक्रम का विस्तार करना
माध्यमिक स्तर, और इसे निजी स्कूलों तक भी बढ़ाया जा रहा है।
9. बच्चों में एनीमिया को मिशन मोड में संबोधित करना (प्रधानमंत्री सुरक्षित की तर्ज पर
मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) में हर महीने एक निश्चित दिन पर एनीमिया दिवस का आयोजन करके सभी निजी चिकित्सकों सहित चिकित्सा व्यवसायी और बाल रोग विशेषज्ञ को शामिल करना।
10. शिक्षा जगत, राज्य और राष्ट्रीय सरकारी एजेंसियों, नागरिक समाज सहित सभी हितधारकों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बच्चों के लिए एनीमिया एलायंस की स्थापना करना
Anemia free india : Aiims से शुरू हुई एनीमिया मुक्त भारत की पहल
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