लक्षणों को प्रबंधित करने में Ankylosing Spondylitis Test कर सकता है मदद
Ankylosing Spondylitis Test Name which done at regular intervals Blood Tests for Ankylosing Spondylitis : एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) एक प्रोग्रेसिव हेल्थ कंडीशन (Progressive health condition) है। जिसमें नियमित उपचार की जरूरत होती है।
दवाइयों के साथ एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के लिए कुछ जरूरी लैब टेस्ट (Some essential ankylosing spondylitis test) हैं, जिन्हें कुछ अंतराल पर करवाने की जरूरत पडती है।
ये टेस्ट बीमारी की तीव्रता (severity of illness) को समझने और डॉक्टर के लिए उपचार की योजना (Treatment plans) बनाने में मदद करते हैं। हम यहां आपको उन लैब टेस्ट (Ankylosing Spondylitis Test Name) की जानकारी दे रहे हैं, जिन्हें कुछ अंतराल पर करवाया जा सकता है।
ये हैं आवश्यक एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस टेस्ट – Essential Ankylosing Spondylitis Test
लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test)
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विशेषज्ञों के मुताबिक, एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (HLA B27 Positive) में ज्यादातर मरीजों को नियमित दवाइयां (regular medications) लेने की जरूरत पडती है। यह वे दवाएं होती हैं, जो एएस के लक्षणों (Ankylosing Spondylitis Symptoms), जैसे- दर्द और सूजन (pain and inflammation) को कम करने में मदद करती है।
प्रोग्रेसिव स्टेज (Progressive Stage) में ज्यादातर मरीजों को रेगुलर बेसिस पर पेन किलर्स और सूजन रोधी दवाइयां (Painkillers and anti-inflammatory medicines) लेनी पडती है ताकि उनके मूवमेंट (Movement) में दर्द और सूजन की वजह से बाधा न पडे।
जबकि, नियमित रूप से पेन किलर्स के इस्तेमाल (Regular use of painkillers) से इसके दुष्प्रभाव का भी जोखिम (risk of side effects) बना रहता है। ध्यान देने की बात यह है कि इन दवाइयों का दुष्प्रभाव लंबे समय के बाद पता चलता है।
इसलिए यह जरूरी है कि कुछ अंतराल पर एएस वॉरियर्स, लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test) करवाते रहें। विशेषज्ञ बताते हैं कि नॉर्मल प्रोसेस के तहत एएस वॉरियर्स को अपनी लिवर प्रोफाइल की जांच साल में एक बार जरूर करवानी चाहिए।
अगर कोई एएस वॉरियर ज्यादा पावर की पेन किलर (High power pain killer) ले रहा हो, तो उसे यह जांच (Blood Test) प्रत्येक 6 महीने में एक बार करवानी चाहिए।
किडनी फंक्शन टेस्ट (Kidney Function Test)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस में रेगुलर पेन किलर (Regular painkillers for ankylosing spondylitis) और सूजन रोधी दवाइयां (anti-inflammatory drugs) लेने से किडनी (Kidney) पर भी इसका असर पडता है। किडनी का काम रक्त में मौजूद विषैले तत्वों (toxic elements) को बाहर निकालना होता है।
ऐसे में दवाइयों में मौजूद केमिकल, जिन्हें शरीर को बाहर निकालने की जरूरत पडती है, इसकी जिम्मेदारी किडनी ही निभाता है। लंबे समय तक पेन किलर्स के इस्तेमाल (Long term use of painkillers) से सबसे अधिक दवाब में किडनी की ही कार्यप्रणाली (kidney function) रहती है।
ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि समय-समय पर किडनी फंक्शन की जांच (Kidney function tests) कराई जाए। बहुत कम लोग जानते हैं कि एक स्तर तक किडनी की खराबी (Kidney failure) को रिवर्स (Reverse) किया जा सकता है।
अगर समय रहते किडनी से संबंधित खराबी (Kidney related problems) का पता लग जाए तो किडनी फंक्शन को दवाइयों और जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle changes) कर रिस्टोर (Restore) किया जा सकता है।
विटामिन डी टेस्ट (Vitamin D Test)
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एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) में ज्यादातर मरीजों में विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency) पाई जाती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। विशषज्ञों के मुताबिक आज के समय में ज्यादातर सामान्य लोगों में भी विटामिन डी की कमी आम हो गई है क्योंकि लोग धूप का संपर्क कम ही हो पाता है।
ज्यादातर लोग फ्लैट्स में रहते हैं और अधिकांश फ्लैटों में सूर्य की रोशनी पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचती है। विशेषज्ञों की मानें तो एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस वॉरियर्स (HLA B27 positive Warriors) दर्द और सूजन (Pain and swelling) के कारण मूवमेंट (Movement) कम करते हैं।
सीमित मूवमेंट (restricted movement) के कारण वह सामान्य रूप से बाहर नहीं निकलते हैं। ऐसे में उनके शरीर में विटामिन डी की कमी (Vitamin D deficiency in the body) हो जाती है। हालांकि, विटामिन डी वाले खाद्य पदार्थों (Vitamin D foods) को भोजन में नियमित रूप से शामिल करने से इसकी कमी को कुछ हदतक पूरी की जा सकती है।
विटामिन डी के लिए सूर्य की रोशनी (Sunlight for Vitamin D) के संपर्क में आना सबसे बेहतर माना जाता है। विटामिन डी का स्तर (Vitamin D level) शरीर में सही मात्रा में बनाए रखना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह शरीर को कैल्शियम (calcium) को अवशोषित (Absorb) करने में सहायता करता है।
अगर शरीर में विटामिन डी की मात्रा कम है तो ऐसे में ज्यादातर लोगों में कैल्शियम की कमी (Calcium deficiency) भी होते पाया गया है। विटामिन डी के अभाव (Vitamin D deficiency) में शरीर पूरी तरह कैल्शियम का अवशोषण (Calcium absorption) नहीं कर पाता है।
ऐसे में आपके आहार से प्राप्त कैल्शियम (Calcium from diet) मल-मूत्र के जरिए शरीर बाहर निकाल देता है। यहां बता दें कि हड्डियों के स्वास्थ्य (Bone health) के लिए शरीर में विटामिन डी और कैल्शियम (Vitamin D and Calcium) की पर्याप्त मात्रा होना जरूरी है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों को वर्ष में दो बार विटामिन डी टेस्ट (Vitamin D Test) करवाना चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने आहार में विटामिन डी (Vitamin D in the diet) युक्त खाद्य पदार्थों को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।
विटामिन बी12 टेस्ट (Vitamin B12 Test)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (HLA B27 Positive) के ज्यादातर मरीजों में विटामिन बी12 की कमी (Vitamin B12 deficiency) अक्सर पाई जाती है। शरीर को स्वस्थ्य और बीमारियों से लडने में विटामिन बी 12 भूमिका (Vitamin B12 Role in Fighting Diseases) निभाता है।
इस पोषक तत्व के स्रोत बहुत सीमित हैं। कम ही ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिनके माध्यम से विटामिन बी12 प्राप्त किया जा सकता है। विटामिन बी12 को कोबालामिन (Cobalamin) भी कहा जाता है। यह शरीर के प्रमुख कार्यों (major body functions) को व्यवस्थित रखने में सहायता करता है।
इसके अलावा यह डीएनए संश्लेषण (DNA Synthesis), लाल रक्त कोशिका निर्माण (Red blood cell formation), तंत्रिका कार्य को व्यवस्थित (modulates nerve function) तो रखता ही है। सबसे बडी भूमिका यह भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित (converting food into energy) करने में निभाता है।
ऐसे में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस वॉरियर्स के लिए यह विटामिन (Vitamin for Ankylosing Spondylitis Warriors) बेहद महत्वपूर्ण होता है। विशेषज्ञों की मानें तो एएस वॉरियर्स को साल में दो बार इस टेस्ट को कराना चाहिए। वहीं, विटामिन बी12 वाले खाद्य पदार्थों (Vitamin B12 rich foods) का भी नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
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