Ankylosing Spondylitis Tips बनाएगा आपके जीवन को आसान
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Ankylosing Spondylitis Tips : अगर आप एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) का सामना कर रहे हैं, तब तो आप इससे होने वाली असुविधाओं को भी जानते होंगे। क्रॉनिक गठिया और सूजन वाली यह बीमारी एक ही जगह पर लंबे समय तक स्थिर रहने से ज्यादा बढती है।
शिकागो, आईएल में नॉर्थवेस्टर्न मेडिकल ग्रुप के रुमेटोलॉजिस्ट और एक एसोसिएट प्रोफेसर, आर्थर एम. मैंडेलिन, (एम.डी., पीएच.डी) के मुताबिक “रीढ़ में और उसके आसपास सूजन शरीर की दर्द प्रतिक्रिया को प्रभावित करती है। एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) का लक्षण और दर्द रात में, सुबह या लंबे समय तक निष्क्रियता के बाद अनुभव होता है। आप कुछ टिप्स को अपनाकर अपनी जिंदगी को आसान बना सकते हैं। अगर आपने नियमित रूप से इन टिप्स को फॉलो किया तो यह भी संभव है कि आप पहले से राहत में रहेंगे और आपकी दवा में होने वाले खर्च को भी कम कर सकेंगे।
निष्क्रियता से इसलिए बिगड जाते हैं एएस के लक्षण
अक्सर आपने यह महससू किया होगा कि एक ही स्थान पर लंबे समय तक निष्क्रिय रहने से एएस (Ankylosing Spondylitis) से होने वाला दर्द, जो आमतौर पर रीढ की हड्डी में महसूस होता है, वह बढ जाता है। न्यूयॉर्क शहर में हॉस्पिटल फॉर स्पेशल सर्जरी में रुमेटोलॉजिस्ट मेलानी एच. स्मिथ (एम.डी., पीएच.डी) के मुताबिक “यदि आप किसी एक ही स्थिति में बहुत लंबे समय तक रहते हैं, जैसे कि कई घंटों तक सीधे बैठे रहना, तो इससे कठोरता और दर्द होगा क्योंकि सूजन कोशिकाएं और प्रोटीन जोड़ों में जम जाते हैं।” “यह सबसे पहले सुबह के समय उभरता है क्योंकि कुछ प्रतिरक्षा कोशिकाएं रात में अधिक सक्रिय होती हैं, जो सुबह तक सूजन कोशिकाओं और प्रोटीन का संचय बनाती हैं।”
Ankylosing Spondylitis Tips से सुधरेगी जीवन की गुणवत्ता
डॉ. मैंडेलिन के मुताबिक, “सामान्य नियम यह है कि गति में बने रहने से और नियमित व्यायाम करने से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। दुर्भाग्स से मरीज राहत के लिए सबसे पहली प्राथमिकता एएस (Ankylosing Spondylitis) की दवाओं को ही देते हैं। एएस की दवा (Ankylosing Spondylitis Medicines) आपके लक्षणों को कम जरूर करती है लेकिन व्यायाम आपके शरीर में एएस की वजहों को कम करती है। डॉ. स्मिथ सलाह देते हैं कि जब आप काम कर रहे हों तो प्रत्येक 30 मिनट में दो मिनट का ब्रेक लेने की आदत बना लें। अगर हो सके तो आप टहले और बैठने के बजाए कुछ समय तक खडे रहकर ही अपना काम करें। इससे खून और श्लेष द्रव (synovial fluid) दोनों का संचार बढ़ता है। यह जोडों में चिकनाई बनाए रखता है। आप इसके लिए स्मार्टवॉच पर अलार्म सेट कर सकते हैं, जो आपको तय समय पर संकेत दे देगा।
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कंप्यूटर पर काम करने वाले बरते विशेष सावधानी
यदि एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) का प्रभावी ढंग से इलाज नहीं किया जाता है, तो रीढ़ की हड्डी में लंबे समय तक सूजन के कारण इसमें टेढापन आने लगता है। इससे स्पाइन का लचीलापन कम होने लगता है। डॉ. स्मिथ के मुताबिक कीबोर्ड पर लंबे समय तक काम करते समय किसी के भी आगे की ओर झुकने या कंधे मोड़ने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। हर 30 मिनट से एक घंटे में, आप अपनी मुद्रा में सुधार करें। “अपनी छाती को खोलने के लिए अपने कंधों को पीछे और नीचे घुमाएं।” “अपनी ठुड्डी को पीछे खींचकर अपने सिर को अपनी रीढ़ के साथ संरेखित करें और अपने सिर को ऊपर की ओर उठाकर कुछ देर स्थिर रखें।
जब भी बैठने में असुविधा का अनुभव हो, तो इन दो स्ट्रेच को आज़माएं
बैठे हुए ट्रंक रोटेशन:
सीधे बैठें और अपने बाएं हाथ को कुर्सी की सीट के पीछे और अपने दाहिने हाथ को बाएं आर्मरेस्ट या सीट के बाईं ओर रखें। धीरे से अपने धड़ को बाईं ओर घुमाएं। यहां समान रूप से सांस लेते हुए 10 तक गिनने तक रुकें। फिर केंद्र पर लौटें, किनारे बदलें और दोहराएं।
फर्श तक पहुँचें:
लंबा होकर बैठें, धीरे से आगे की ओर झुकें, अपनी बाहों को फर्श की ओर रखें। धीरे-धीरे रोल करें और इसे तीन से पांच बार दोहराएं।
एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की यह टिप्स (Ankylosing Spondylitis Tips) जैसे, खड़े होकर ब्रेक लेना, यह आपकी मांसपेशियों को ढीला करने में मदद करती है। डॉ. मैंडेलिन के मुताबिक “कार्य दिवस के दौरान अपनी स्थिति बदलने की आदत लंबे समय तक बैठे रहने से होने वाली परेशानियों से निपटने में मदद कर सकती है। एप्लाइड एर्गोनॉमिक्स जर्नल में प्रकाशित एक शोध से पता चला है कि खड़े होकर डेस्क वर्क करने से असुविधा को कम करने में मदद मिल सकती है। शोध में पाया गया है कि इस तरह का प्रयोग आसान भी है और लाभकारी प्रभाव भी देता है।
नेक स्ट्रेचिंग :
आप नियमित अंतराल पर अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ स्ट्रेच करते रहें। अपनी नाभी को अपनी रीढ की ओर खींचे, इसमें अपनी मुख्य मांसपेशियों को शामिल करें। यह प्रयोग आपकी रीढ को सहारा देने में मदद करता है। जिससे इसमें आने वाली समस्या की रफ्तार रोकने में मदद मिलती है। यह प्रयोग लगभग पांच सकेंड तक करते हुए रूकें, फिर आराम से इसे दोहराते रहें।
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सांस से संबंधित यह प्रयोग करें :
एएस (Ankylosing Spondylitis) आपकी गहरी सांस लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। यह फेफडे को पूरी तरह फैलने में रूकावट डाल सकता है। डॉ. स्मिथ के मुताबिक हालांकि दवाएं इसमें मदद कर सकती हैं, फेफडों की क्षमता नहीं बढा सकती है। ऐसे में बैठने या खड़े होने पर कुछ गहरी सांस लेने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ सकती है। इस प्रयोग को शुरू करने के लिए गहरी सांस छोडें। फिर धीरे-धीरे अपनी नाक से चार गिनकर धीमी गति से सांस लें। फिर सांस को आगे चार गिनने तक रोकें। इसके बाद आगे चार गिनकर धीरे-धीरे अपनी मुंह से सांस छोडें। इस प्रक्रिया को जब तक आप करना चाहें, दोहराते रहें।
नींद की समस्या से ऐसे निपटें :
एएस (Ankylosing Spondylitis) से पीड़ित लगभग 65% से 90% लोग अपने लक्षणों के आधार पर नींद में कुछ हद तक समस्या की शिकायत करते हैं। डॉ. स्मिथ के मुताबिक एएस से पीड़ित हर किसी के लिए सोने की कोई एक सबसे अच्छी स्थिति नहीं है लेकिन पीठ के बल सोना फायदेमंद हो सकता है। ऐसा करने से आपकी रीढ़ की प्राकृतिक वक्रता को बनाए रखने में मदद मिलती है। ” एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस की यह टिप्स (Ankylosing Spondylitis Tips) आजमाएं, अपने घुटनों के नीचे एक छोटे तकिए को सहारा बनाकर रखें। अगर आपके बिस्तर का गद्दा 10 साल से अधिक पुराना है, तो एक नए गद्दे को खरीदने की दिशा में विचार करें। आपका गद्दा मध्यम रूप से मजबूत समर्थन प्रदान करने वाला होना चाहिए। यह न तो अधिक सख्त होना चाहिए और ज्यादा नरम भी नहीं होना चाहिए।
बिस्तर पर रहते हुए करें यह व्यायम :
आप बिस्तर पर रहते हुए भी इन हल्की स्ट्रेचिंग के साथ गतिशीलता में सुधार करना शुरू कर सकते हैं और यह आपके शरीर को आराम देता है।
घुटनों से छाती तक:
अपने बिस्तर पर लेटें, अपने पैरों को मोड़ें और घुटनों अपनी छाती की ओर खींचें। धीरे से अगल-बगल से हिलाएं, जिससे आपके पैर एक तरफ से दूसरी तरफ मुवमेंट हो सकें।
स्पाइनल ट्विस्ट:
अपनी पीठ के बल लेटें और अपने हाथों को बगल की ओर फैलाएं। अपने बाएं पैर को मोड़ें और धीरे-धीरे अपने बाएं घुटने को अपने सीधे दाहिने पैर के ऊपर से पार करें। केवल उतना ही करें जो सहनीय लगे। कुछ क्षणों के लिए रूकें और फिर इसी प्रक्रिया को विपरीत दिशा में दोहराएं।
दिन भर में इस तरह की कुछ स्वस्थ हरकतें करने से आप एएस के साथ खुदको बेहतर महसूस करेंगे। इससे आपको काम करने में मदद मिल सकती है। वहीं रात की नींद भी बेहतर आएगी। एएस मरीजों के लिए बेहतर नींद जरूरी है क्योंकि नींद की अवस्था में शरीर खुद की मरम्मत करता है। नींद में समस्या होने से आपके शरीर में मरम्मत का कार्य प्रभावित होता है और यह आपकी समस्या को और अधिक बढा सकता है।
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