Tuesday, February 18, 2025
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Antibiotic for IBD : आईबीडी की प्रभावी दवा की खोज में आगे बढ़े वैज्ञानिक 

वैज्ञानिकों ने एक क्लिनिकल ट्रायल (clinical trials) में दस्त के उपचार में काम आने वाली एंटीबायोटिक दवा (antibiotic for IBD) में नई आशा पाई है।

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दस्त के उपचार में काम आने वाली एंटीबायो​टिक साबित हो सकती है आईबीडी की प्रभावी दवा

Antibiotic for IBD, Scientists move forward in search of effective medicine for IBD, Inflammatory Bowel Disease : इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) के प्रभावी उपचार की खोज (Search for effective treatment) करते हुए वैज्ञानिकों को बडी कामयाबी मिली है।

वैज्ञानिकों ने एक क्लिनिकल ट्रायल (clinical trials) में दस्त के उपचार में काम आने वाली एंटीबायोटिक दवा (antibiotic for IBD) में नई आशा पाई है। संभव है कि आईबीडी के उपचार (Treatments for IBD) में यह दवा प्रभावी साबित हो।

क्या है आईबीडी? What is IBD?

इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) एक ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) है। इसमें बडी आंत में सूजन (inflammation of large intestine) होती है। जिसके कारण मरीज लगातार पेट दर्द  (stomach pain) की शिकायत करते हैं। उन्हें बार-बार डायरिया (Frequent diarrhea)  जैसी स्थिति का सामना करना पडता है।

वहीं स्टूल में म्यूकस (mucus in stool)  भी निकलता है। कई बार मरीज के स्टूल से खून (blood in stool)  भी आने की समस्या होती है। आईबीडी वाले मरीजों में एक सामान्य इंसान के मुकाबले बडी आंत में कैंसर का जोखिम (risk of colon cancer)  कई गुणा अधिक होता है।

आईबीडी के लक्षण (IBD Symptoms)

आईबीडी के कारण मरीज असामान्य रूप से थकान (Tiredness)  महसूस करता है। सही तरीके उपचार न होने पर मरीज का वजन असामान्य रूप से गिर सकता है। पेट में लगातार दर्द और पाचन की समस्या बनी रहती है।

मरीज को बार-बार शौच की इच्छा महसूस हो सकती है। आईबीडी के लक्षणों को केवल प्रबंधित किया जा सकता है लेकिन कई अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि इसके लिए उपलब्ध दवाइयां कुछ खास असर भी नहीं करती है।

क्लिनिकल ट्रायल से मिली नई उम्मीद (New hope found from clinical trials)

ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय (University of Birmingham, UK) के रिसर्चर ने यह पाया कि वैनकोमाइसिन (vancomycin)  नामक एंटीबायोटिक (Antibiotic) एक खास तरह की आईबीडी में प्रभावी (Effective in IBD)  साबित हो सकती है।

Antibiotic for IBD : आईबीडी की प्रभावी दवा की खोज में आगे बढ़े वैज्ञानिक 
IBD : आईबीडी की प्रभावी दवा की खोज में आगे बढ़े वैज्ञानिक

इस तरह की आईबीडी, प्राइमरी स्क्लेरोजिंग कोलांगाइटिस (PSC) नामक लाइलाज ऑटोइम्यून लिवर बीमारी (Incurable autoimmune liver disease) के कारण विकसित होती है।

क्रोहन्स (Crohn’s) और कोलाइटिस (colitis) जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, क्लिनिकल ट्रायल में इस दवा की मदद से कुछ मरीजों को आईबीडी से मुक्त करने में सफलता (Success in getting rid of IBD) भी मिली है।

आईबीडी के प्रभावी उपचार की खोज (Search for effective treatments for IBD) में इस रिसर्च को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यहां बता दें कि आईबीडी और पीएससी (IBD and PSC) का आपस में गहरा संबंध है। पीएससी से पीड़ित ज्यादातर मरीजों में आईबीडी विकसित होता है। वहीं, आईबीडी से पीड़ित 14 प्रतिशत रोगियों में भी पीएससी विकसित होता है।

क्लीनिकल परीक्षण के दौरान, प्रतिभागियों को चार सप्ताह तक मौखिक एंटीबायोटिक दवाएं (oral antibiotics) दी गई। इस उपचार के बाद लगभग 80 प्रतिशत रोगियों ने क्लिनिकल ​​छूट (Clinical remission) मिल गई। उनके सूजन संबंधी मार्कर्स (inflammatory markers) में भी महत्वपूर्ण रूप से कमी पाई गई।

वहीं, 100 प्रतिशत म्यूकोसल हीलिंग (Mucosal Healing) भी होता हुआ पाया गया। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि वैनकोमाइसिन दवा (vancomycin Antibiotic for IBD) कुछ पित्त अम्लों (bile acids) में बदलाव लाने में भी सक्षम है।

इन बदलाओं से संबंधित आगे अध्ययन जारी है। वैज्ञानिकों का लक्षय है कि आईबीडी से जुड़े पीएससी रोग के इलाज (Treatment of IBD-related PSC disease) को बेहतर बनाया जा सके।

एडवांस स्टेज में सर्जरी ही विकल्प 

आईबीडी के एडवांस स्टेज में पहुंचने पर इससे राहत पाने के लिए मरीजों के पास सर्जरी ही एकमात्र विकल्प शेष रह जाता है। लगातार वर्षों तक आईबीडी रहने से मरीजों में बडी आंत में कैंसर विकसित होने का जोखिम बना रहता है।

एआईएल में आईबीडी मरीजों के लिए राहत बन सकती है एंटीबायोटिक 

“हमारे निष्कर्षों से पता चलता है कि वैंकोमायसिन आईबीडी (Antibiotic for IBD) और ऑटोइम्यून लिवर रोग के इस चुनौतीपूर्ण संयोजन वाले रोगियों के लिए एक नया चिकित्सीय विकल्प प्रदान कर सकता है”।

– डॉ. मोहम्मद नबील कुरैशी, बर्मिंघम विश्वविद्यालय

 


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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