रिसर्च में साबित हुआ कि Single Use Plastic से Antibiotic Resistance पैदा (Reason) हो सकता है
Latest Health and Medical Research News in Hindi : सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic Cause) से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Antibiotic Resistance Cause) पैदा हो सकता है। यह जानकारी एक ताजा रिसर्च के जरिए सामने आई है। नैनो प्लास्टिक के कण (Nanoplastic particles cause) इंसानी शरीर में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस (Antibiotic resistance in human body) पैदा कर सकते हैं। अक्सर हम पानी की बोतलों के रूप में सिंगल यूज प्लास्टिक का ही इस्तेमाल (Use of single-use plastic in the form of water bottles) करते हैं और इसका यूज करके बेधडक इसे फेंक देते हैं। ये बोतलें सेहत के लिए गंभीर चुनौती बन कर उभर सकती है।
Antibiotic Resistance : पंजाब में की गई स्टडी
पंजाब के मोहाली (Mohali, Punjab) स्थित नैनो साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (Nano Science and Technology Institute) के वैज्ञानिकों ने अपनी इस स्टडी में यह पाया है कि सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों से निकलने वाले नैनोप्लास्टिक बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस को बढ़ाने की क्षमता है।
इस रिसर्च में प्लास्टिक प्रदूषण और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस (Plastic pollution and antibiotic resistance) के बीच एक नए और गंभीर संबंध को उजागर हुआ है। नैनो प्लास्टिक और सूक्ष्मजीव (Nano plastics and microorganisms) जैसे- बैक्टीरिया (Bacteria) वातावरण में साथ पाए जाते हैं। इंसानी आंत (human intestine) में इसका सह-अस्तित्व (coexistence) हो सकता है। रिसर्च में यह जांचने की कोशिश की कि क्या प्लास्टिक से निकले नैनो कण बैक्टीरिया के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं या नहीं? (Can nanoparticles released from plastic affect the behavior of bacteria or not?)
स्टडी में लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस बैक्टीरिया पर फोकस
शोधकर्ताओं ने अपनी इस स्टडी में विशेषतौर से लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस बैक्टीरिया (lactobacillus acidophilus bacteria) पर ध्यान केंद्रित किया। इसे इंसानी आंत के लिए लाभकारी बैक्टीरिया (Beneficial bacteria in the human gut) के तौर पर जाना जाता है। यह बैक्टीरिया शरीर के इम्यून सिस्टम (Immune System) को बेहतर रखने के लिए जरूरी है।
रिसर्चर्स ने सिंगल यूज प्लास्टिक बोतलों से निकले नैनो प्लास्टिक कणों (Nano plastic particles released from single-use plastic bottles) को पर्यावरण में पाए जाने वाले कणों (particles found in the environment) की तरह तैयार किया और यह पाया कि इन कणों के संपर्क में आने से बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस जीन का स्थानांतरण होता है।
स्टडी में यह भी जानकारी मिली कि नैनो प्लास्टिक बैक्टीरिया के बीच “क्षैतिज जीन स्थानांतरण” की प्रक्रिया (The process of “horizontal gene transfer” between nanoplastic bacteria) को बढ़ावा देता है, जिसमें बैक्टीरिया एक दूसरे से जीन शेयर (Gene Share) करते हैं। यह स्थानांतरण बैक्टीरिया के बीच एंटीबायोटिक रजिस्टेंस के फैलाव और प्रसार का कारण बन सकता है।
इस स्टडी में यह स्पष्ट हुआ कि नैनो प्लास्टिक से एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस की गंभीर चुनौती (Nanoplastics pose a serious challenge to antibiotic resistance) मिल सकती है। यह लाभकारी बैक्टीरिया (Good Bacteria/Beneficial Bacteria) को प्रभावित करने के साथ उन बैक्टीरिया में एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन के प्रसार (Spread of antibiotic resistance genes in bacteria) का कारण भी बन सकता है, जो रोगजनक (pathogenic) होते हैं। यह अध्ययन प्लास्टिक प्रदूषण और एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस के खतरों (Study links dangers of plastic pollution and antibiotic resistance) को एक साथ जोड़ता है और यह सुझाव देता है कि हमें इन दोनों समस्याओं से निपटने के लिए गंभीर रक्षात्मक उपाए करने की जरूरत है।
Antibiotic resistance : एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्या है?
एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब बैक्टीरिया इस तरह अपने आप को बदल लेते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं उनपर बेअसर हो जाती हैं। जिसके कारण बैक्टीरिया संक्रमण का उपचार (Treatment of bacterial infections) करना बेहद मुश्किल हो जाता है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक प्रकार का रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance) है। इसी तरह से कवक (Fungus), परजीवी (Parasites) और वायरस (Virus) भी खुद के लिए दवा प्रतिरोध (Drug resistance) विकसित कर सकते हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध खतरनाक है क्योंकि इससे बीमार लोगों के लिए उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं। इससे किसी बैक्टीरियल संक्रमण के प्रभावी उपचार (Effective treatment of bacterial infections) में देरी हो सकती है।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध के परिणाम
- गंभीर या लम्बी बीमारी
- मृत्यु का जोखिम बढ़ जाना
- दवा के गंभीर दुष्प्रभाव
- अस्पताल में लंबे समय तक रहने की जरूरत
- चिकित्सा लागत में वृद्धि