Friday, March 29, 2024
HomeAnkylosing SpondylitisAnkylosing Spondylitis : सही जानकारी हो तो नियंत्रित कर सकते हैं लक्षण

Ankylosing Spondylitis : सही जानकारी हो तो नियंत्रित कर सकते हैं लक्षण

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

Ankylosing Spondylitis के स्टेज

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Ankylosing Spondylitis : सही जानकारी हो तो नियंत्रित कर सकते हैं लक्षण- यदि Ankylosing Spondylitis (AS) से पीडित हैं और इसका पता आपको हाल ही में चला है, तो यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। AS से पीडित मरीज को इस समस्या के बारे में ​जितनी जल्दी हो सके ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करनी चाहिए “

हलांकि, Ankylosing Spondylitis (AS) रोग जानलेवा तो नहीं है लेकिन अगर एडवांस स्टेज की ओर बढ चला तो जिंदगी में समस्याओं का सिलसिला ही चल पडता है। ऐसे में इस बीमारी को स्टेज वाइज समझना बेहद जरूरी हो जाता है। खासकर के नए एस से पीडित लोग अगर समय रहते इसकी जानकारी लेकर सचेत हो जाएं और इस रोग की प्रगति यानि, प्रोगरेशन को रोकने की दिशा में प्रयास शुरू कर दें तो वह काफी हदतक इसके दुष्प्रभाव से खुद को बचाकर रख सकते हैं।

केवल इतना ही नहींं अगर एएस एडवांस ​स्थिति में पहुंच गया तो शारीरिक ही नहीं आर्थिक बोझ तले भी दबना पड सकता है क्योंकि एडवांस स्टेज में इसकी प्रगति को रोकने का एकमात्र प्रभावी उपचार बायोलॉजिक्स ही रह जाता है। बाजार में यह दवा काफी महंगी उपलब्ध है। आपमें से कुछ पाठकों को यह भी लग सकता है कि यह सबकुछ तो उनको पता ही है तो आखिर यहां नया क्या बताया जा रहा है लेकिन यह जानकारी नए एस मरीज के लिए मागदर्शन का काम कर सकती है और वह आने वाली परेशानियों से खुद को बचा सकते हैं।

इसलिए हम यह बताने के बजाए सीधे Ankylosing Spondylitis के स्टेजों के विषय में आपको बताते हैं। यह बीमारी ऑटो इम्यून रूमेटिक डिसऑर्डर (auto immune rheumatic disorder) तो है ही साथ ही यह क्रॉनिक इंफलामेटरी श्रेणी में भी आता है। इसके विभिन्न स्टेज, प्रगति की दर, और रोग का निदान प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होते हैं।

इसे भी पढें : जेनेटिक बीमारियों की भविष्यवाणी करता है यह स्वास्थ्य विश्लेषण

क्या कॉम्बिनेशन प्रोटोकॉल से मिलेगी ऑटोइम्यून बीमारी के मरीजों को राहत

कॉम्बिनेशन प्रोटोकॉल के बारे में दावा किया जा रहा है कि ऑटोइम्यून बीमारियों से पीडित मरीजों के लिए यह

आइए अब इसके स्टेजों के विषय में बताते हैं:
AS के तीन चरण हैं, और प्रत्येक चरण में अलग-अलग स्तर पर दुष्प्रभाव सामने आता है।

प्रारंभिक आंक्यलोसिंग स्पॉन्डिलाइटिस

एएस (AS) के शुरुआती चरणों में, आपको हल्के पीठ दर्द और जकड़न का अनुभव हो सकता है। यह आमतौर पर आपके sacroiliac जोड़ों के पास, पीठ में पहले हल्के प्रभाव के साथ शुरू हो सकता है। जिसे अक्सर लोग आम दर्द समझकर नजरअंदाज करने की भूल कर देते हैं।

यहां ध्यान देने की बात यह है कि अगर इस तरह के दर्द के साथ सुबह उठने के बाद 30 मिनट या उससे अधिक समय तक जकडन की स्थिति बनी रहे तो दर्द को नजरअंदाज न करके विशेषज्ञ यानि फजिशियन या रूमेटोलॉजिस्ट से परामर्श लेनी चाहिए।

कई बार शुरूआती लक्षणों में ही मरीज को दर्द के साथ जलन भी महसूस हो सकती है। एस के शुरुआती चरणों में अधिकांश लोग ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाओं जैसे नेप्रोक्सन या इबुप्रोफेन के साथ सूजन को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। शुरूआती स्तर पर इन दवाओ का मरीजों को लाभ भी मिलता है।

 

नियमित एक्सरसाइज लक्षणों में सुधार कर सकता है:

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के सभी चरणों में व्यायाम महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक अवस्था में आपकी स्थिति के लिए नियमित व्यायाम शुरू करना मील का पत्थर सा​बित हो सकता है। शुरूआती अवस्था में आप फिजिशियन से भी परामर्श ले सकते हैं। वहीं फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में एक्सरसाइज करना भी विशेष राहत दे सकता है।

मच्छरजनित रोगों से निपटने में मदद करेंगे कीट वैज्ञानिक 

डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, लिम्फोटिक फाइलेरिया और जीका वायरस जैसी मच्छरजनित बीमारियों से निपटने के

इसे भी पढें : कॉफी मीठी पीएं या फिकी उम्र बढाने में मददगार है

प्रगतिशील एंकिलोज़िंग स्पोंडिलिटिस:

जैसे-जैसे एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) का प्रभाव बढता है, आपको अपनी रीढ़ के दोनों किनारों पर अधिक दर्द और जकड़न का अनुभव हो सकता है। यह दर्द आपकी पीठ के बीच और गर्दन तक फैली हुई हो सकती है। इस दौरान स्टिफनेश और दर्द के कारण आपकी मूवमेंट पर भी असर पड सकता है। इस स्थिति में आने के बाद पॉश्चचर डिफारर्मिटी यानि शरीर में झुकाव की प्रक्रिया शुरू होने लगती है क्योकि फयूजन (जोडो के जुडने की प्रक्रिया) इसकी वजह से शरीर को सीधा रखने में परेशानी होती है।

यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि अगर आपको कमर में या गर्दन में दर्द है और कमर और गर्दन को थोडा झुकाकर चलने में आराम मिलता है, अगर आप लगातार आराम के लिए कमर और गर्दन को झुकाकर चलेंगे और नार्मल पॉश्चर मेंटेन करने का प्रयास नहीं करेंगे तो रीढ की हड्डी और गर्दन झुक सकता है।

ज्यादातर मरीजों में रोग के इसी स्टेज में आंखों की सूजन यानि यूविआईटिस शुरू होती है। इसके साथ ही अगर पेट की समस्या भी हो रही है तो और अधिक सतर्क हो जाएं क्योंकि यह अल्सरेटिव कोलाइटिस के संकेत हो सकते हैं। अल्सरेटिव कोलाइटिस भी एक तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है। इसका भी कोई प्रभावी उपचार नहीं है। कुलमिलाकर एएस के इस स्टेज में कई तरह की अन्य बीमारियों के भी होने का खतरा अधिक बना रहता है।

यूविआइटिस के लक्षण :
आँख लाल होना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता, धुंधली दृष्टि, आंख या आंखों में दर्द

यह वह स्टेज है, जहां से प्राथमिक और मि​डिल स्टेज दवाएं बेअसर होने लगती हैं लेकिन ऐसा हर मरीज के साथ हो ही जाए इसकी गारंटी नहीं है। कुछ लोग लंबे समय तक इन दवाओं की सहायता से ही दर्द से मुकाबला करते रहते हैं लेकिन जिन मरीजों के लक्षण इन दवाओं से नियंत्रित नहीं होते, उन्हें रूमेटोलॉजिस्ट बायोलॉजिक्स लेने की सलाह दे सकते हैं।

इसे भी पढें : इन बीमारियों के प्रति जागरूक रहें anky

क्या भारत में भी हो गई मंकीपॉक्स वायरस की एंट्री

यूरोप से कोलकाता लौटे एक युवक में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण दिखाए दिए हैं। जिसके बाद यह पता

losing Spondylitis मरीज

बायोलॉजिक्स आपको दर्द, सजून और अन्य परेशानियों से राहत दिलाता है। साथ ही यह जोडों में फयूज होने से भी बचाता है। इससे बचना प्रत्येक एएस मरीजों के लिए बेहद जरूरी है। यहां बता दें कि बायोलॉजिस्क एएस के साथ सोरायसिस और कैंसर मरीजों के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसमें ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर इनहिबिटर (TNFi) जैसे एनब्रेल (etanercept) और Humira (adalimumab) शामिल हैं। यदि वे प्रभावी नहीं हैं, तो आईएल -17 अवरोधक नामक बायोलॉजिस्क लेने की सलाह आपके चिकित्सक आपको दे सकते हैं।

एडवांस एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस :

अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए, तो एएस एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है। एडवांस एएस के दौरान, आपकी रीढ़ की हड्डी के जोड़ों के फ्यूज़ होने से आपकी रीढ़ की हड्डी की गति गंभीर रूप से सीमित हो जाती है। हड्डियों की वृद्धि जोड़ों के बीच प्रकट होती है, गतिशीलता (मोबिलिटी) को सीमित करती है और रीढ़ की हड्डी में दर्द का कारण बनती है। बाद में रीढ की हडडी आगे की ओर झुक जाती है।

एडवांस एएस की जटिलता :

पोश्चर डिफार्मिटी

एडवांस स्टेज का प्रभाव जैसे-जैसे आगे बढता है जोडों के फ्यूज होने की रफ्तार भी तेज होने लगती है। अगर इसके बाद भी सावधानी नहीं बरती गई तो मरीज का शरीर आगे की ओर इतना झुक सकता है कि उसे आगे देखने, चलने कई बार सामान्य तरीके से खाने-पीने में भी परेशानी का सामना करना पड सकता है। इस स्टेज में भी जहां तक हो सके चिकित्सक मोबिलिटी बनाए रखने के लिए फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह देते हैं।

ऑस्टियोपोरोसिस और रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर:

एडवांस एएस से पीडित मरीजों को सामान्य लोगों के मुकाबले ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। इससे रीढ की हड्डी में फ्रैक्चर भी हो सकता है। केवल इतना ही नहीं रीढ की हड्डी में असामान्य झुकाव की वजह से गिरने के दौरान गर्दन या कमर के हिस्से में जोखिम वाला फ्रैक्चर भी हो सकता है।

ज्यादातर ऐसे मामलो में स्पाइन या न्यूरो सर्जन सर्जरी की सलाह देेते हैं और इस तरह की सर्जरियां बेहद ज​टिल होती है औ इस दौरान लगवाग्रस्त होने का भी जोखिम बना रहता है।

हलांकि, लगातार उन्न्त होती चिकित्सा प्रक्रिया की बदौलत सर्जरी के दौरान इन खतरों को काफी हदतक कम करने का भी दावा विशेषज्ञ अब करते हैं। दरअसल, अब न्यूरोमॉनिटरिंग के साथ ऐसी सर्जरियों को किया जाता है। सर्जरी के दौरान गडबडी महसूस होने पर न्यूरो या स्पाइन सर्जन तत्काल बचाव के कदम उठाते हैं। एडवांस स्टेज के मरीजों को उनकी बोन हेल्थ के विषय में साल में एक बार DEXA स्कैन कराने की भी सलाह उनके चिकित्सक दे सकते हैं।

इसे भी पढें : 

वैज्ञानिकों ने ढूंढ ली हेपेटाइटिस ए की प्रभावी दवा, आखिर क्या है सच 

वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस ए वायरस की प्रभावी दवा ढूंढ ली है। इस  दावे में आखिर कितनी सच्चाई है। क्

रिब्स में दर्द और सांस लेने और हृदय संबंधी समस्याएं:

एडवांस स्तर के एएस में ज्यादातर मरीज एएस के दर्द से ज्यादा अन्य समस्याओं से परेशान रहते हैं। उन्हें प्रमुख रूप से रिब्स में दर्द के साथ सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। एडवांस एएस की स्थिति पसलियों की स्थिति में परिवर्तन कर देता हे। कई मरीजों में पसलियों की फलैक्सिबिलिटी प्रभावित हो सकती है। जिसके कारण रिब्स और उसके साथ फेफडों की कार्यप्रणाली बाधित हो सकती है। यह स्थिति आगे चलकर फेफडों के फाइब्रोसिस के रूप में बदल सकती है।

शरीर में ऑक्सीन की कमी के और एडवांस एएस के चलते हार्ट की रक्त वाहिकाओं में भी सूजन पैदा हो सकती है। इससे कार्डियक फंक्शन प्रभावित हो सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो एडवांस स्टेज के एएस में मरीज को अपने रुमेटोलॉजिस्ट के साथ मिलकर रोग से लडने की जरूरत होती है।

इसके साथ ही दवा को समायोजित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण हो जाता है। आपको रोग की प्रगति के साथ दर्द को उचित रूप से प्रबंधित करने के तरीके खोजने की आवश्यकता हो सकती है। उपचार के मुख्य लक्ष्य जोड़ों और रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य को बनाए रखना, एएस की गंभीर जटिलताओं को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि आप जितना संभव हो सके काम करना जारी रख सकें। यानि खुद को सक्रिय रखें।

प्रोगेशन :

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस की प्रगति (प्रोगेशन) समय के साथ अधिक होने की संभवना बनी रहती है। ऐसी स्थिति में आपकी रीढ की हड्डी का दर्द अधिक गंभीर हो सकता है। दर्द पीठ के निचले हिस्से से लेकर गर्दन तक फैल सकता है। रीढ़ की हड्डी और कार्डियोरेस्पिरेटरी स्वास्थ्य को सही रखने के ​लिए एक्सरसाइ​ज नियमित रूप से करना आवश्यक हो जाता है। पीडित मरीज को कोशिश करनी चाहिए कि जितना हो सके वह अपना पोश्चर सीधा रखने का प्रयास करे। इसके साथ ही खुद को अधिक से अधिक सक्रिय बनाए रखने की भी जरूरत होती है।

ध्यान रहे आप आराम करते हैं तो एएस अपना काम तेजी से करता है और जब आप काम करते हैं तो एएस की गति मंद पड जाती है।

यूपी : गडबडियों के चलते 1.62 लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड  निरस्त

यूपी में आयुष्मान योजना में गडबडियों को खुलासा हुआ है। जिसके चलते 1.62 लाख आयुष्मान कार्ड निरस्त होने की

यही कारण है कि इसके मरीजो को डॉक्टर खुद को सक्रिय रखने ओर नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। यहां यह भी ध्यान रखें कि एएस का प्रभाव हर मरीज के शरीर पर एक जैसा हो यह निशि् चत नहीं है। इसलिए सुनी सुनाई बातों के अधार पर अपना उपचार खुद ही करने से बचें। अत्यधिक मात्रा में पेन किलर का इस्तेमाल या किसी के बताए गए दवा के इस्तेमाल से आपके वाइटल ऑर्गन्स जैसे लिवर और किडनी पर दुष्प्रभाव भी पड सकता है। इसलिए जब भी दवा लें अपने चिकित्सक की सलाह के अनुसार ओर नियमित रूप से लें।

अलग-अलग मरीजों पर इसका भिन्न प्रभाव का इससे भी प्रमाण मिलता है कि कुछ एएस पीडित लंबे समय तक दर्द रहित रहते हैं तो कुछ मरीजों को एक छोटे और अनिश्चित गैप के बाद दर्द शुरू होकर गंभीर स्थिति में पहुंच सकता है।

Ankylosing Spondylitis : सही जानकारी हो तो नियंत्रित कर सकते हैं लक्षण


डिस्क्लेमर – हमारा उददेश्य आपको एएस के प्रति जागरूक करना है। हम आपको भयभीत करना नहीं चाहते। आपसे निवेदन है कि आप भयभीत होने या घबराने के बजाए जागरूक होकर एएस का मुकाबला करें। हमारा ऐसा मानना है कि पहले से जानकारी होने के कारण आप एएस को अधिक समझदारी और व्यवहारिक तौर पर प्रबंधित करने में सक्षम होंगे। यह जानकारी एएस मरीजों के अनुभव और चिकित्सकों द्वारा शेयर की गई केस स्टडीज पर आधारित है।

[table “5” not found /]


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article