Friday, March 29, 2024
HomeAnkylosing Spondylitisएएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद

एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

एएस के एडवांस स्टेज के मरीजों में विकसित हो सकता है बम्बू स्पाइन

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : 
एएस (AS) से पीडित मरीज अपने स्पाइन (Spine) को बेहतर तरीके से समझ लेते हैं, तो बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) के विकास को रोकने में मदद मिल सकती है। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। अक्सर जानकारी के अभाव में मरीजों की समस्या एडवांस स्टेज में पहुंच जाती है और उसके बाद कई और समस्याएं भी विक​सित होने का खतरा बना रहता है। यहां हम आपको स्पाइन और बम्बू स्पाइन से संबंधित कुछ जरूरी जानकारियों को साझा कर रहे हैं।
[irp posts=”8168″ ]

बम्बू स्पाइन क्या है?

एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) को समझने के लिए स्वस्थ स्पाइन के घटको को समझना जरूरी है। मनुष्य की स्पाइन में 33 हड्डियों का एक स्तंभ होता है, जिसे कशेरुक (vertebrae) कहा जाता है जो आपकी रीढ़ की हड्डी सुरक्षा करता है। इसके अलावा इसमें तंत्रिकाओं (nerves) का एक बंडल होता है, जो आपके शरीर और आपके मस्तिष्क के बीच संकेत भेजता है। कशेरुक निकायों (vertebral bodies) के बीच लचीली डिस्क होती हैं जिन्हें इंटरवर्टेब्रल डिस्क (intervertebral disc) कहा जाता है, यह कशेरुक के लिए कुशन का काम करती है।
 इसकी वजह से रीढ़ में लचीलापन बना रहता है। कशेरुक भी स्नायुबंधन (ligaments) द्वारा समर्थित होता है। यह पीठ को अधिक झुकने से रोकता है। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों में स्पाइन की संरचना में असामान्यताएं विकसित हो जाती है। “एंकिलोसिस” हड्डियों के संलयन को संदर्भित करता है और “स्पॉन्डिलाइटिस” का मतलब है ” रीढ़ की सूजन या बीमारी।”

इम्यून सिस्टम के बागी होने से क्यों होती है स्पाइन प्रभावित? 

एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) आमतौर पर बैक्टीरिया और वायरस जैसे बाहरी आक्रमणकारियों के संक्रमण से लडती है। एएस के मामले में यही प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के खिलाफ बागी हो जाती है। इम्यून सिस्टम जब स्पाइन को प्रभावित करती है, तो इसकी रिपेयरिंग का निर्धारित चक्र टूट जाता है। नतीजतन सूजन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। आगे चलकर यह स्नायुबंधन और डिस्क को कठोर हड्डी में बदलकर कशेरुकाओं को एक साथ फ्यूज कर देता है।
[irp posts=”8200″ ]
 इस प्रक्रिया को ऑसिफिकेशन (ossification) कहते हैं। ऑसिफिकेशन और परिणामी एंकिलोसिस – हड्डी का संलयन (bone fusion) – धीरे-धीरे पीठ को अत्यंत कठोर कर देता है। समय के साथ स्पाइन का लचीलापन सीमित होने लगता है। एक्स-रे जैसी इमेजिंग परीक्षणों पर एंकिलोज़्ड स्पाइन बम्बू (Bamboo) जैसा दिखता है। इसी वजह से इस स्थिति को बम्बू स्पाइन (Bamboo Spine) कहते हैं। 

बम्बू स्पाइन के कारण होने वाली समस्या : 

एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
एएस: अपने स्पाइन को समझिए, बम्बू स्पाइन को रोकने में मिलेगी मदद
एएस (AS) से संबंधित पीठ दर्द सामान्य तौर पर sacroiliac जोड़ों में शुरू होता है। यह ज्वाइंट पीठ के निचले हिस्से को कूल्हों से जोड़ता है। इन जोड़ों में सूजन को सैक्रोइलाइटिस (sacroiliitis) कहा जाता है। दर्द पीठ के निचले हिस्से और फिर अंत में मध्य-पीठ (thoracic spine) और ऊपरी पीठ (cervical spine) तक फैल सकता है। इसका दर्द नितंब या कूल्हे में महसूस कर सकते हैं। 
[irp posts=”8194″ ]

स्पाइन में फ्रैक्चर का बढ जाता है जोखिम : 

एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों की स्पाइन में फ्रैक्चर (fracture in the spine) की संभावना अधिक होती है। स्पाइन के झुक जाने की वजह से यह खतरा बढ जाता है। उपचार के बिना, स्पाइन  विकृत हो सकता है और प्राकृतिक वक्रता खो सकती है।
स्पाइन के अप्राकृतिक झुकाव को किफोसिस (kyphosis) कहते हैं। लंबे समय तक प्रतिरक्षण प्रणाली के हमले के कारण स्पाइन सहित अन्य जोडों या हड्डियों में ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) की समस्या भी हो सकती है। बम्बू स्पाइन और ऑस्टियोपोरोसिस दोनों होने पर फ्रैक्चर का जोखिम कई गुणा अधिक बढ जाता है। जिसके कारण जरा सी चोट या दवाब से हड्डी टूट सकती है। 
[irp posts=”8166″ ]

इस तरह होती है बम्बू स्पाइन की जांच :

रेडियोग्राफिक इमेजिंग 
लक्षण और उनकी शारीरिक परीक्षा 
एक्स-रे 
एमआरआई 
सीटी स्कैन 
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from Social Bar Menu on the Top of the Website.Photo : freepik

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article