Sunday, September 8, 2024
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Lungs की बीमारियों से बचना है तो अपने आहार में इस सुपर फूड को जरूर करें शामिल

कोरोना महामारी ने फेफडों की बीमारियों के प्रति अधिक सचेत किया है। फेफडों के स्वास्थ्य को उच्च प्राथमिकता पर रखने की जरूरत है। नियमित रूप से अपने आहार में एक पोषक तत्व शामिल करने से कई बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है।

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Lungs Health पर नए रिसर्च में वैज्ञानिकों ने दी है बडे काम की सलाह

फेफडों का स्वास्थ्य (Lungs Health) हमारे लिया कितना महत्वपूर्ण हैं, यह हमने कोरोना महामारी (corona epidemic) काल में देखा है। इस महामारी की शुरूआत से ही फेफडों का स्वास्थ्य दुनिया भर में उच्च प्राथमिकता (high priority) बनी हुई  है। लोगों में फेफडों के स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता में भी पहले के मुकाबले बढोत्तरी हुई है।

फेफडों की स्थितियां (Lungs Health) अक्सर पर्यावरण और जीवनशैली से प्रभावित होती है। ऐसे में हमें इसे स्वस्थ्य रखने की हर प्रकार से कोशिश करनी चाहिए। वैज्ञानिकों ने अपने ताजा रिसर्च में फेफडों को स्वस्थ्य (Lungs Health) रखने के लिए एक आसान और मानक तरीका बताया है। जिसे आजमाकर आप फेफडों से संबंधित कई बीमारियों की जोखिम से बच सकते हैं।

सीओपीडी मौत का तीसरा सबसे बडा कारण

Lungs की बीमारियों से बचना है तो अपने आहार में इस सुपर फूड को जरूर करें शामिल
Lungs की बीमारियों से बचना है तो अपने आहार में इस सुपर फूड को जरूर करें शामिल | Photo : freepik

क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मनरी डिजीज (COPD) और धूम्रपान से प्रेरित फेफड़ों का कैंसर इस वक्त दुनिया के लिए महत्वपूर्ण चिंता का विषय बनी हुई है। सीओपीडी और अस्थमा के साथ फेफड़ों से संबंधित क्रॉनिक बीमारियां (chronic diseases) एक वैश्विक हेल्थ थ्रेट बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, सीओपीडी (COPD) दुनिया भर में मौत का तीसरा प्रमुख कारण साबित हो रही है। इस तरह की बीमारियों (Lungs Health) की मुख्य वजह क्रोनिक इन्फ्लेमेशन (chronic inflammation) है। इससे फेफडों के उत्तकों (tissues) को नुकसान होता है और कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

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अध्ययन के लेखक और कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University) में पोषण विज्ञान प्रभाग के निदेशक, पेट्रीसिया ए कैसानोए (Patricia A. Cassanoe) के मुताबिक, “हम कैंसर और हृदय रोग के मामले में आहार की भूमिका को लेकर अब काफी कुछ जान चुके हैं लेकिन फेफडों की क्रोनिक बीमारियों में आहार की भूमिका के बारे में अभी आम लोगों के बीच ज्यादा जानकारियां नहीं है। ऐसे में इस विषय पर अधिक से अधिक जानकारी लोगों के बीच आनी जरूरी है। कैसानोए के मुताबिक “इस अध्ययन में ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3) का फेफडों से जुडी बीमारियों में लाभकारी होने के प्रमाण को और अधिक बल मिला है।”

कई तरह से फायदेमंद है ओमेगा-3 फैटी एसिड

अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि अगर नियमित रूप से ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega-3) वाले खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जाए तो सीओपीडी (COPD) अस्थमा सहित फेफडों से जुडे कई क्रोनिक रोगों का जोखिम कम किया जा सकता है। ओमेगा-3 फैटी एसिड कैंसर से भी बचाव करता है। ऐसे में मानव जीवन के लिए इसकी उपयोगी महत्वपूर्ण हो जाती है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड, एक जरूरी पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (polyunsaturated fats) हैं। यह सेलुलर स्वास्थ्य (cellular health) में महत्पूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक (cleveland clinic) के अनुसार, ओमेगा-3 फैटी एसिड कुशल कोशिका प्रबंधन (cell management) में और इसकी कार्यप्रणाली को बेहतर रखने में विशेष योगदान देते हैं।

वहीं, कोशिका झिल्ली (cell membrane) के निर्माण, संरचना को बेहतर बनाने के साथ कोशिका-से-कोशिका संचार (cell-to-cell communication) को भी मजबूती प्रदान करता है। सैल्मन (मछली), अखरोट और अलसी जैसे खाद्य पदार्थों में ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी मात्रा में पाई जाती है। सूजन को कम करने के साथ इससे कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।

ताजा अध्ययन में साबित हुई ओमेगा-3 फैटी एसिड की उपयोगिता

Lungs की बीमारियों से बचना है तो अपने आहार में इस सुपर फूड को जरूर करें शामिल
Lungs की बीमारियों से बचना है तो अपने आहार में इस सुपर फूड को जरूर करें शामिल | Photo : freepik

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) द्वारा की गई हालिया शोध और जून 2023 में पीयर-रिव्यू अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन (Peer-reviewed American Journal of Respiratory and Critical Care Medicine) में प्रकाशित, ओमेगा -3 और पुरानी फेफड़ों की बीमारियों पर आधारित अध्ययन में ओमेगा-3 (Omega 3) फैटी एसिड की उपयोगिता सिद्ध हुई है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि नियमित रूप से इस शक्तिशाली पोषक तत्व को आहार में शामिल करने से हमें फेफडों की क्रॉनिक बीमारियों के साथ कई अन्य बीमारियों के प्रति सुरक्षा कवच मिलता है।

ऐसे किया अध्ययन

ओमेगा-3 और फेफड़ों के स्वास्थ्य (Lungs Health) पर उनके प्रभाव पर शोध को दो व्यापक चरणों में बांटा गया था। पहला चरण, एक लॉन्गिट्यूडिनल अध्ययन (longitudinal study) था, जिसमें दो दशकों तक 15,000 से अधिक प्रारंभिक स्वस्थ अमेरिकियों की निगरानी की गई थी। इस अध्ययन में एक महत्वपूर्ण खोज यह थी कि उच्च ओमेगा -3 (Omega 3) रक्त स्तर वाले व्यक्तियों में इसकी कमी वाले लोगों के मुकाबीले फेफड़ों की कार्यक्षमता में धीमी गिरावट पाई गई। इस मामले में वसायुक्त मछली में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले डीएचए (DHA) या डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड (docosahexaenoic acid) का सबसे महत्वपूर्ण कोरिलेशन पाया गया।

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दूसरा चरण आनुवंशिक विश्लेषण (genetic analysis) पर केंद्रित था, जिसमें यूके बायोबैंक से 500,000 यूरोपीय लोगों का एक विशाल नमूना शामिल किया गया था। शोधकर्ताओं ने आहार में ओमेगा-3 सेवन का प्रतिनिधित्व करने वाले आनुवंशिक मार्करों (genetic markers) की खोज की। इस विश्लेषण में पहले से प्राप्त ओमेगा-3 फैटी एसिड से संबंधित निष्कर्षों की पुष्टि हुई। इसमें यह साबित हुआ कि उच्च ओमेगा -3 स्तर, विशेष रूप से डीएचए, बेहतर फेफड़ों के कार्य से जुड़ा हुआ है।

भोजन में ऐसे बढाए ओमेगा-3 की मात्रा

यू.एस. कृषि विभाग वर्तमान में प्रत्येक सप्ताह मछली की दो सर्विंग की सिफारिश करता है। यदि आप अपने आहार में ओमेगा -3 को बढ़ाना चाहते हैं तो क्लीवलैंड क्लिनिक में पंजीकृत आहार विशेषज्ञ, अन्ना टेलर, पूरक आहार के बजाय खाद्य स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह देते हैं। सैल्मन, हेरिंग, सार्डिन और शेलफिश जैसी वसायुक्त मछली को आहार में शामिल कर आसानी से इसका स्तर बढाया जा सकता है। शाकाहारी लोगों के लिए अलसी का तेल और चिया बीज इस आवश्यक फैटी एसिड की स्वस्थ खुराक प्रदान करते हैं।

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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

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