अनजाने में की गई गलतियों से लोगों में बढ रही है Spine Problem
Bad Lifestyle Causes Spine Problem Increasing In Young People In Hindi: युवाओं में स्पाइन से संबंधित समस्याएं (Spine Problems) तेजी से बढ रही है। विशेषज्ञ इसके पीछे खराब जीवनशैली (Bad lifestyle) और फास्ट फूड ( Fast food) के बढते हुए चलन को मान रहे हैं।
उनका कहना है कि अनजाने में लोग कुछ ऐसी गलतियां कर रहे हैं, जिससे स्पाइन से संबंधित समस्याएं (Spine problem) अब तेजी से बढने लगी है। ऐसे में यह जरूरी है कि लोगों को स्पाइनल हेल्थ (Spinal Health) को लेकर जागरुक करने का प्रयास किया जाए।
Spine Problem : स्पाइन को नुकसान पहुंचा रही है लापरवाही
खासकर युवा वर्ग की आदतों को लेकर विशेषज गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। कम उम्र में ही युवाओं और किशोरों को स्पाइन से संबंधित समस्याएं (Spine Problem) होेने लगी है। इसके पीछे प्रमुख रूप से लापरवाह जीवनशैली (Careless lifestyle) को जिम्मेदार बताया जा रहा है।
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मोबाइल और लैपटॉप का इस्तेमाल (Use of mobile and laptop) करते समय लोग अपने पाश्चर (Pasteur) पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। घंटों एक स्थान पर बैठकर लोग मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे गर्दन पर अत्यधिक दबाव बनता है। नतीजतन, गर्दन की मांसपेशियां कमजोर (neck muscles weak) होने लगती है। वहीं स्पाइन में भी डिफॉर्मेटी की समस्या (Spine deformity) पैदा हो जाती है।
जानकारी के अभाव में कर रहे हैं गलती
डॉक्टरों का कहना है कि युवा वर्ग यह सब अनजाने में कर रहा है। अगर उन्हें समस्याओं के बारे में जानकारी और जागरूकता होती तो निश्चित रूप से ऐसा करने से बचते क्योंकि युवा वर्ग समझदार है।
ज्यादा समय झुककर बैठना (sitting in a bend), मोबाइल और लैपटॉप का लगातार इस्तेमाल और एक्सरसाइज की कमी स्पाइन की समस्याओं (Spine Problem) को ट्रिगर (Triggers) कर रही है। अगर इस मामले में शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो स्पाइन से संबंधित समस्याओं के मामले और तेजी से बढ सकते हैं।
इन आदतों से हो रहा है स्पाइन को नुकसान – Habits That Harming Spine Of Young People In Hindi
गलत पाश्चर (Wrong Pasteur )
अगर लंबे समय तक कोई झुककर बैठता है तो इसका सीधा असर सर्वाइकल स्पाइन (cervical spine) पर हो सकता है। यह समस्याएं (Spine Problem) लॉन्ग टर्म में प्रभावित करती है। ज्यादा समय तक गर्दन झुकाकर मोबाइल या लैपटॉप में काम करने से सबसे ज्यादा गर्दन वाले हिस्से पर अनावश्यक दबाव पैदा होता है।
इसकी वजह से गर्दन की स्पॉन्डिलाइटिस (Spondylitis of the neck) या नेक पाश्चर डिफॉर्मेटी (Neck Pasteur Deformity) की संभावना बढ जाती है। ये सभी समस्या ऐसी है कि बहुत ज्यादा स्थिति खराब हो जाने पर सिवाय सर्जरी के और कोई विकल्प नहीं बचता।
शारीरिक गतिविधियों में कमी (Decreased Physical Activity)
आज का युवा वर्ग शारीरिक गतिविधियों (Physical activities) के मामले में थोडा उदासीन है। ज्यादातर लोग शारीरिक गतिविधियों का मतलब जिम जाना ही समझते हैं लेकिन शारीरिक गतिविधि की परिभाषा थोडी अलग है। शारीरिक सक्रियता (Physical activity) के लिए यह जरूरी है कि आप लगातार बैठने या एक जगह स्थिर रहने से बचें।
अगर लगातार बैठकर काम करना मजबूरी है, तो कुछ-कुछ अंतराल पर स्ट्रैच (Stretch) करना भी जरूरी होता है। इससे मसल्स (Mussels), नर्व (Nerve) और जोडों (Joints) को अत्यधिक दवाब और शिथिलता (procrastination) से बचाने में मदद मिलती है। इसके अलावा शरीर में लचीलापन (flexibility) भी बना रहता है।
भारी बैग लेकर चलना (Carry Heavy Bags)
बैकपैक का जमाना है। ऐसे में ज्यादातर लोग पीठ या कंधों पर बैग लेकर चलते हैं। जरूरत पडने पर बैग लेकर ऐसे चलने में कोई बुराई नहीं है लेकिन इसके साथ स्पाइन हेल्थ (Spine Health) का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। स्पाइन पर अत्यधिक दबाव (Excessive pressure on the spine) के कारण वर्टिब्रा के बीच की कोमल कुशनिंग (Soft cushioning between vertebrae) के नुकसान होने की संभावना बढ जाती है।
दबाव होने के कारण स्पाइन के बीच के शाफ्ट हिस्से में सूजन (Inflammation in the soft part of the spine) की समस्या हो सकती है। जिसके कारण स्पाइन के आकार में भी परिवर्तन (changes in spine shape) होने की संभावना बढ जाती है।
गलत फुटवियर पहनना (Wearing Wrong Footwear)
महिलाएं और युवतियां ऊंची हील (High Heel) पहनती हैं। जो स्पाइन के लिए सही नहीं है। हालांकि, नियमित एक्सरसाइज करने वाले इसके दुष्प्रभाव से कुछ हदतक बच सकते हैं। ऊंची हील पूरे शरीर के संतुलन को प्रभावित करता है और इसका सबसे खराब प्रभाव रीढ की हड्डी (spinal cord) पर ही देखने को मिलता है। अधिक समय तक हील पहनने वाली महिलाओं में लॉन्ग टर्म प्रभाव (Long Term Effects) देखने को मिलता है।
तनाव और चिंता (Stress and Anxiety)
आज के समय में तनाव (Stress) के साथ जीवन जीना एक तरह की विवशता बन गई है। इसलिए जरूरी है कि तनाव प्रबंधन (stress management) की दिशा में भी ध्यान दिया जाए। अगर आप तनाव या दवाब वाले काम करते हैं, तो तनाव प्रबंधन कैसे किया जाए, इसकी भी जानकारी होनी चाहिए।
अत्यधिक तनाव का भी खराब प्रभाव स्पाइन पर होता है। तनाव की वजह से भी स्पाइन पर प्रेशर (pressure on spine) बनता है। नतीजतन स्पाइन में दर्द (Pain in the spine) की समस्या उभर सकती है। इसलिए जरूरी है कि तनाव से जितना हो सके बचें या फिर तनाव प्रबंधन के गुर भी सीखें।
नींद की कमी (Lack of Sleep)
स्पाइन से जुडी समस्याओं (Spine Problem) के पीछे नींद की कमी (Lack of sleep) को भी एक वजह माना जाता है। पर्याप्त नींद न लेने की वजह से भी स्पाइन पर अत्यधिक दवाब बन सकता है। बहुत कम लोग यह जानते हैं कि जब हम सो रहे होते हैं, तब शरीर मरम्मत कार्य में जुट जाता है।
दिनभर की भागदौड और थका देने वाले काम के बोझ से हमारे शरीर के कुछ ऊतक क्षतिग्रस्त (Tissue Damaged) हो जाते हैं। हमारे साने के दौरान शरीर सेल्फ हील की प्रक्रिया (Self Heal Process) के तहत इन ऊतक की मरम्मत (tissue repair) करता है। जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते तो मरम्मत की यह प्रक्रिया बाधित होती है और शरीर के मरम्मत कार्य (body repair functions) में भी बाधा पैदा होती है। कई बार इसका दुष्प्रभाव काफी गंभीर भी हो सकता है।