Thursday, November 21, 2024
HomeNewsBone Marrow Transplant में फोर्टिस अस्पताल ने लगाई सेंचुरी

Bone Marrow Transplant में फोर्टिस अस्पताल ने लगाई सेंचुरी

भारत में बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (bone marrow transplant) की जरूरत लगातार बढ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक हर साल लगभग 2500 ऐसे ट्रांसप्‍लांट्स किये जा रहे हैं लेकिन यह आंकडे देश की वास्तविक जरूरत के 10 प्रतिशत से भी कम है।

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

ब्‍लड कैंसर और आनुवांशिक रोगों के उपचार मेें Bone Marrow Transplant (BMT) की उपयोगिता महत्वपूर्ण

Bone Marrow Transplant : फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड (Fortis Hospital Mulund Mumbai) ने 100 बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (BMT) सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह उपलब्धि ब्लड कैंसर और अनुवांशिक खून की बीमारियों (Blood cancer and hereditary blood diseases) से पीडित के मरीजों के लिए महत्पूर्ण साबित हो रही है।

हर साल हो रहे हैं 2500 ट्रांसप्लांट

भारत में बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (bone marrow transplant) की जरूरत लगातार बढ रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक हर साल लगभग 2500 ऐसे ट्रांसप्‍लांट्स किये जा रहे हैं लेकिन यह आंकडे देश की वास्तविक जरूरत के 10 प्रतिशत से भी कम है। इसके कई कारण हैं। जैसे, उपचार विकल्‍पों पर जागरूकता का अभाव, सीमित पहुंच, मरीजों की आर्थिक स्थिति और सही समय पर रोग-निदान का न होना।
फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड (मुंबई) में हीमैटोलॉजी, हीमैटो-ओन्‍कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट (BMT) के डायरेक्‍टर डॉ. सुभाप्रकाश सान्‍याल (Dr Subhaprakash Sanyal) ने अपनी टीम के साथ मिलकर खून की विभिन्‍न बीमारियों के मरीजों के लिये सफल बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स की एक श्रृंखला चलाई।
उनकी टीम में हीमैटोलॉजी एवं बीएमटी के कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. हम्‍जा दलाल, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की असोसिएट कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. अलीशा केरकर, इंफेक्शियस डिसीजेस की कंसल्‍टेन्‍ट डॉ. कीर्ति सबनीस, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के हेड डॉ. ललित धानतोले, शामिल थे। उन्‍होंने खून की जिन बीमारियों के लिये बीएमटी (BMT) किये, उनमें मल्‍टीपल मायलोमा (multiple myeloma), लिम्‍फोमा (lymphoma), ल्‍युकेमिया (leukemia), माइलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (myelodysplastic syndrome), माइलोफाइब्रोसिस  (myelofibrosis), अप्लास्टिक एनीमिया (aplastic anemia), आदि शामिल था।

ऐसे होता है Bone Marrow Transplant

भारत में बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (बीएमटी) की जरूरत लगातार बढ रही है
भारत में बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (बीएमटी) की जरूरत लगातार बढ रही है | Photo : Canva
बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट की प्रक्रिया (Bone marrow transplant procedure) पेचीदा है और यह गंभीर उपचार विधि में आता है। इसमें स्‍वस्‍थ खून बनाने वाली स्‍टेम सेल्‍स को मरीज के शरीर के बीमार या खराब बोन मैरो की जगह प्रत्यारोपित किया जाता है।
हॉस्पिटल की हीमैटोलॉजी टीम ने कई महीनों तक बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स की श्रृंखला पर काम किया। इसमें हेप्लो आइडेंटिकल (आधे मिलान वाले) ट्रांसप्‍लांट्स (haploidentical transplant) से लेकर असंबद्ध बोन मैरो ट्रांसप्‍लांट्स (unrelated bone marrow transplant) तक किये गये।
हर मरीज की निजी आवश्‍यकताओं पर आधारित चिकित्‍सा प्रबंधन की उन्‍नत तकनीकों का इस्‍तेमाल हुआ। बजुर्गों के मामले में इसे खासतौर से अपनाया गया। इनमें रिड्यूज्‍ड इंटेन्सिटी कंडीशनिंग (reduced intensity conditioning) और प्रीसाइज स्‍टेम सेल कलेक्‍शन (Precise Stem Cell Collection) शामिल था। इसका उद्देश्‍य था ट्रांसप्‍लांट्स की सफलता दर को बढ़ाना और प्रक्रिया के बाद की परेशानियों का जोखिम कम करना।

विदेशी मरीजों को भी मिला उपचार 

डॉ. सुभाप्रकाश सान्‍याल के मुताबिक हॉस्पिटल ने सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि केन्‍या, तंजानिया और बांग्‍लादेश से आने वाले मरीजों का भी इलाज किया। बीएमटी की जरूरत पर जागरूकता की कमी होने के कारण कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं। जिसके कारण विशेषज्ञों से परामर्श लेने में मरीज अक्सर देर कर देता है। खून की बीमारियों पर जागरूकता कार्यक्रमों समेत डॉ. सान्‍याल की कोशिशों ने उपचार की कमी को दूर करने और खून की बीमारियों के ज्‍यादा मरीजों तक पहुंचने में योगदान दिया है।

कैंसर रोगियों के लिए वरदान साबित हो रही है cART cell therapy 

बीएमटी (BMT) की विधियों में हालिया प्रगति से इलाज में काफी बदलाव आया है। इससे उपचार से मिलने वाले परिणाम में भी सुधार देखा जा रहा है। उपचार से होने वाले दुष्प्रभाव में भी कमी आई है। डॉ. सान्‍याल के मुताबिक, सीएआर टी-सेल थेरैपी अत्‍याधुनिक इम्यूनोथेरेपी (advance immunotherapy) है, जो कैंसर का मुकाबला करने के लिये इम्‍यून सिस्‍टम को आनुवंशिक तरीके से रिप्रोग्राम (Genetically reprogramming the immune system) करती है। इस प्रकार एग्रेसिव लिम्‍फोमा (aggressive lymphoma), ल्यूकेमिया (leukemia) और मल्‍टीपल माइलोमा  (multiple myeloma) के मरीजों को निजीकृत एवं लक्षित समाधान (Personalized and targeted solutions) मिलते हैं।


नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India Web Team
Caas India Web Teamhttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article