Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis: स्पाइन के निचले हिस्से को दबाव से बचाएं
नई दिल्ली। टीम डिजिटल : Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis : ऐसे करें बचाव- पिछले लेख में हमने एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस में कॉडा इक्विना सिंड्रोम के होने की संभावनाओं को लेकर जानकरी दी थी। इस लेख में हम आपको कॉडा इक्विना सिंड्रोम से बचाव (cauda equina syndrome treatment without surgery) की विस्तृत जानकारी दे रहे हैं।
कॉडा इक्विना क्या है?
कॉडा इक्विना (cauda equina ) लुम्बर और सैक्लर स्पाइन नर्व है। यह स्पाइन के सबसे निचले हिस्से में नसों के एक गुच्छे के रूप में मौजूद होता है। नसें पूरे शरीर में विद्युत संकेत भेजने कीा कार्य करती है। कॉडा इक्विना घोड़े की पूंछ के आकार की तंत्रिका जड़ों का संग्रह होता है। कॉडा इक्विना तंत्रिकाओं की वजह से शरीर में हरकतें होती है। यानि शरीर का हिलना-डुलना इन्हीं पर निर्भर होता है।
पैरों और मूत्राशय में संवेदनाएं भी इन्हीं तंत्रिकाओं की वजह से महसूस होती है। कॉडा इक्विना तंत्रिका में किसी भी तरह की समस्या या इसपर पडने वाला अतिरिक्त दबाव नसों में दर्द, कमजोरी, असंयम और अन्य लक्षण पैदा कर सकती हैं। यदि समय रहते उपचार नहीं होता तो यह यह सिंड्रोम लकवा सहित कई स्थायी क्षति का कारण भी बन सकता है। तत्काल इस सिंड्रोम के उपचार करवाने से लकवा जैसी स्थायी क्षति से बचा जा सकता है। Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis
क्या कॉडा इक्विना सिंड्रोम लाइफ के लिए खतरा है?
कॉडा इक्विना सिंड्रोम जीवन के लिए खतरा नहीं है लेकिन इस समस्या को नजरअंदाज करने की वजह से कुछ ऐसी समस्या हो सकती है, जिसका उपचार नहीं किया जा सकता। इन स्थाई समस्याओं की वजह से इंसान का स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसके कारण शरीर मल और मूत्र त्याग करने पर नियंत्रण भी खो सकता है। वहीं सेक्स आदि क्रियाओं में समस्या हो सकती है। आमतौर पर इस सिंड्रोम का स्थाई समाधान सर्जरी के जरिए ही किया जा सकता है लेकिन अगर समय रहते इस सिंड्रोम की पहचान कर ली जाए तो सर्जरी से बचा भी जा सकता है।
कितने तरह के होते हैं कॉडा इक्विना सिंड्रोम?
कॉडा इक्विना सिंड्रोम दो प्रकार के हाते हैं। एक्यूट कॉडा इक्विना सिंड्रोम और क्रोनिक कॉडा इक्विना सिंड्रोम। एक्यूट कॉडा इक्विना सिंड्रोम में गंभीर लक्षण अचानक शुरू होते हैं। इसकी वजह से 24 से 48 घंटों के भीतर सर्जरी की जरूरत पड सकती है। क्रोनिक कॉडा इक्विना सिंड्रोम में समस्या लंबे समय से बनी रहती है। यदि सर्जरी के बाद भी नसें ठीक न हो और इस वजह से स्थाई क्षति हो गया हो तो यह क्रोनिक कॉडा इक्विना सिंड्रोम कहा जाता है।
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कॉडा इक्विना सिंड्रोम को दो हिस्सों में बांटा गया है
पूर्ण कॉडा इक्विना सिंड्रोम
पूर्ण कॉडा इक्विना सिंड्रोम मूत्र या मल या दोनों ही क्रिया को अनियंत्रित करने की वजह बन सकता है। मरीज पेशाब या शौच करने की शक्ति से नियंत्रण खो देता है। आम तौर पर पेशाब या शौच की इच्छा महसूस होती है लेकिन पूर्ण कॉडा इक्विना सिंड्रोम की वजह से मूत्र या शौच महसूस होना बंद हो जाता है। पूर्ण कॉडा इक्विना सिंड्रोम वाले लगभग 60 प्रतिशत लोगों को यह समस्या प्रभावित करती हे।
अधूरा कॉडा इक्विना सिंड्रोम
कॉडा इक्विना सिंड्रोम का यह प्रकार 40 प्रतिशत लोगों को प्रभावित करता है। इसमें कई बार शौच या पेशाब की अनूभूति कम होती है या अचानक से दोनों की बडी तीव्र इच्छा महसूस होने लगती है। इस स्थिति में पीडित व्यक्ति अगर चाहे भी तो मूत्र या शौच को रोक नहीं पाता।
जनसंख्या के लिहाज से कितना गंभीर है कॉडा इक्विना सिंड्रोम?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि कॉडा इक्विना सिंड्रोम 65,000 लोगों में से लगभग 1 को प्रभावित करता है। यह पुरुषों को भी उतना ही प्रभावित करता है जितना महिलाओं को। Ankylosing Spondylitis के एंडवांस स्टेज के कुछ मरीजों को यह समस्या होती है। वहीं कई बार एएस के मध्यम स्टेज में भी यह समस्या मरीज को प्रभावित कर सकती है। एएस के जिन मरीजों का स्पाइन पूरी तरह से फ्यूज हो गया हो या कर्व हो गया हो, उन्हें इस समस्या से विशेषतौर पर सतर्क रहने की विशेषज्ञ सलाह देते हैं। Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis
क्यों होती है यह समस्या
- जन्म संबंधी विसंगतियाँ .
- लम्बर स्पाइनल स्टेनोसिस ।
- पीठ के निचले हिस्से में चोटें, जैसे कार दुर्घटना या बंदूक की गोली से जख्मी होना।
- लुम्बर स्पाइन या उसके आसपास के निचले क्षेत्र में हर्नियेटेड डिस्क होना (सबसे आम कारण है)
- पोस्टऑपरेटिव लम्बर स्पाइन सर्जरी जटिलताएँ।स्पाइनल धमनीशिरा संबंधी विकृतियां (एवीएम)।
- रीढ़ की हड्डी में रक्तस्राव .
- रीढ़ की हड्डी में संक्रमण (जैसे मेनिनजाइटिस ) या सूजन।
- रीढ़ की हड्डी में घाव या ट्यूमर.
कॉडा इक्विना सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Cauda Equina Syndrome)
- पैरों के पिछले हिस्से, नितंब, कूल्हे और भीतरी जांघों में सुन्नता या अलग-अलग संवेदनाएं
- पीठ या पैरों या दोनों में दर्द ( कटिस्नायुशूल )
- सेक्स करने में समस्या .
- मूत्र,मल या दोनों ही क्रिया में असंयम होना
- यूरिन रिटेंशन
- निचले अंगों में कमजोरी या लकवा
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द .
- निचले अंगों में जलन, चुभन, झुनझुनी या सुन्नता (पेरेस्टेसिया)।
- एकाग्रता से संबंधी समस्याएं
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कौन करता है इसका उपचार
कॉडा इक्विना सिंड्रोम का निदान या उपचार न्यूरोसर्जन या ऑर्थोपेडिक स्पाइन सर्जन करते हैं। इसके अलावा फिजियोथेरेपिस्ट, भौतिक चिकित्सक. ऑकुपेशनल थेरेपिस्ट, सेक्स स्पेशियलिस्ट और
मनोचिकित्सकों की भी जरूरत पड सकती है।
निदान और परीक्षण (Diagnosis and Testing of Cauda Equina Syndrome)
चिकित्सक आपके लक्षणों के बारे में पूछताछ करते हैं। शारीरिक क्षमताओं का आकलन किया जाता है। आगे की जांच के लिए शारीरिक और इमेजिंग परीक्षण भी कराए जा सकते हैं। चिकित्सक मरीज के
खड़े होने और बैठने के तरीकों पर गौर करते हैं। इसके अलावा मरीजों को एडियों पर और पैर की अंगूलियों पर चलने को कह सकते हैं।
चिकित्सक मरीज के आगे और पीछे झुकने की क्षमता का भी आकलन करते हैं। इसके अलावा दोनों हाथों की तरफ भी झुकने की झमताओं को भी देखा जा सकता है। मरीज को लेटने और पैरों को ऊपर उठाने के लिए कहते हैं। चिकित्सक मरीज के गुदा की मांसपेशियों की जांच के लिए एक गुदा परीक्षण कराने के लिए भी कह सकते हैं। Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis
मशीनी परिक्षण
- कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन ।
- चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई)।
- मायलोग्राम .
इन दवाओं से कॉडा इक्विना सिंड्रोम के कारण मल-मूत्र की प्रभावित क्षमता में सुधार हो सकता है
- हायोसायमाइन
- ऑक्सीब्यूटिनिन
- टॉलटेरोडाइन
क्वाडा इक्विना सिंड्रोम से बचाव (prevention of cauda equina syndrome)
कॉडा इक्विना सिंड्रोम के सभी कारणों को रोकना संभव नहीं है लेकिन हर्नियेटेड डिस्क के जोखिम को कम किया जा सकता है। यह इस सिंड्रोम का सबसे आम कारण है।
- ऊँची एड़ी के जूते पहनने से बचें- इस प्रकार के जूते आपकी रीढ़ की हड्डी को ख़राब कर सकते हैं।
- धूम्रपान बंद करें- अन्य तंबाकू उत्पादों के उपयोग से भी बचें क्योंकि ये आपकी डिस्क को कमजोर कर सकते हैं।
- व्यायाम- ऐसे व्यायाम आज़माएं जो आपकी पीठ और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करें।
- ठीक से उठाओ – जब आप कुछ उठाएं तो कमर के बल झुकने के बजाय अपने घुटनों को मोड़ें और अपनी पीठ सीधी रखें।
- स्वस्थ वजन बनाए रखें – अतिरिक्त वजन आपकी पीठ के निचले हिस्से पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
- अच्छी मुद्रा का अभ्यास करें- इससे आपकी रीढ़ की हड्डी पर तनाव कम हो जाएगा।
- स्ट्रेच करें- अपने शरीर को समय-समय पर स्ट्रेच करें, खासकर जब आप लंबे समय तक बैठे हों।
Cauda Equina Syndrome and Ankylosing Spondylitis
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