Cauda Equina Syndrome जीवन की प्रत्याशा को कम कर सकती है
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Cauda Equina Syndrome : इससे बचकर रहें एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीज – एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस से प्रभावित होने वाले मरीजों की लाईफ एक्सपेक्टेंसी कितनी है? यह सवाल आमतौर से मरीजों के मन में चलता रहता है। इस रोग के कारण होने वाली दिक्कतोें को महसूस करते हुए अधिकतर लोग अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं और लगातार इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते हैं। विशेषज्ञों की माने तो यह एक जानलेवा बीमारी नहीं है और इससे पीडित मरीज अगर नियमित उपचार करवाए तो गुणवत्तापूर्ण जिंदगी भी जी सकता है लेकिन इसके बावजूद Ankylosing Spondylitis से प्रभावित मरीजों को अपने स्तर पर कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। इससे जुडी कुछ शारीरिक स्थिति और समस्याएं भी है, जो Ankylosing Spondylitis मरीजों की Life Expectancy को प्रभावित कर सकती है।
कॉडा इक्विना सिंड्रोम (Cauda Equina Syndrome)
एंकिलोजिंंग स्पॉन्डिलाइटिस के एडवांस स्टेज के मरीजों में इस कॉडा इक्विना सिंड्रोम के विकसित होने का जोखिम रहता है। यह एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। यह शारीरिक स्थिति रीढ की हड्डी के आधार (स्पाइनल बेस) पर स्थित नसों में चुभन या घाव के कारण विकसित होती है। हालांकि, यह समस्या आमतौर पर जीवन के लिए खतरा तो पैदा नहीं करता लेकिन मरीज के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। इस सिंड्रोम से पीडित मरीजों को लकवा और बाउल कंट्रोल जैसी स्थाई स्थिति से बचने के लिए तत्काल चिकित्सक से उपचार की जरूरत होती है।
कॉडा इक्विना सिंड्रोम में कुछ इस तरह के लक्षण प्रकट हो सकते हैं
- यूरिनरी इंकॉन्टिनेंस (मूल त्याग में समस्या)
- फीकट इंकॉन्टिनेंस (मल त्याग में समस्या)
- सेक्सुअल डिसफंक्शन
- पैरों में दर्द और कमजोरी
चेस्ट पेन
Ankylosing Spondylitis के मरीजों में चेस्ट पेन एक आम समस्या है। कई मरीजों में तो एएस की शुरूआत ही इन लक्षणों से होती है। सीने में दर्द जितना सामान्य है, उतना ही ध्यान देने योग्य भी है क्योंकि सीने में दर्द कई गंभीर समस्याओं का संकेत भी हो सकता है। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस वाले लोगों में अक्सर पसलियों और छाती को बनाने वाले जोड़ों में लंबे समय तक सूजन के कारण चेस्ट पेन होता है। सूजन छाती में बढने के कारण यह स्थिति को ज्यादा पेनफुल भी बना सकती है। एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के साथ होने वाला सीने का दर्द हार्ट अटैक की तरह हो सकता है। इसके अलावा यह फेफड़ों में सूजन भी पैदा कर सकता है।
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ऐसी स्थिति में क्या करें :
- सबसे पहले चिकित्सक से परामर्श लें।
- चिकित्सकी परामर्श के आधार पर नियमित रूप से ब्रीदिंग एक्सरसाईज शुरू करें।
- गहरी सांस लेने से संबंधित व्यायाम सांस लेने की क्षमता को बढाने में मदद करती है।
- इस व्यायाम से दर्द में आराम मिलता है।
फेफड़ों की क्षमता में गिरावट
एंकिलोज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस छाती और फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। कठोरता और सूजन और इसकी वजह से सांस लेने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इससे फेफडों को भी नुकसान पहुंचने का जोखिम बना रहता है। फेफडों के टिश्यू प्रभावित होने की वजह से फेफड़ों के ऊतकों और रक्त के बीच ऑक्सीजन की आपूर्ति में भी कमी आ सकती है। फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होने की वजह से शरीर कई श्वसन संबंधी जटिलताओं के प्रति संवेदनशील हो जाता हैं। चह स्थिति जीवन के लिए खतरा भी साबित हो सकता है। यहां तक कि साधारण सर्दी या श्वसन संक्रमण को भी ठीक होने में लंबा समय लग सकता है।
कैसे और कौन सी स्थिति कर सकती है प्रभावित
कार्डियो वॉस्कुलर समस्याएं से मृत्यु का जोखिम | 43 प्रतिशत अधिक |
सेरेब्रोवास्कुलर समस्याओं से मृत्यु का जोखिम | 60 प्रतिशत अधिक |
हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम | 35 प्रतिशत अधिक |
आंकडों का स्रोत : | स्पॉन्डिलाइटिस एसोसिएशन ऑफ अमेरिका |
Cauda Equina Syndrome : इससे बचकर रहें एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीज
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