Wednesday, February 19, 2025
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Climate Change Health Impact : सिमट रहा है मौसम, बिगड़ रहा है स्वास्थ्य, कैसे बचेंगे आप?

जलवायु परिवर्तन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य (Overall Health)  और जीवन की गुणवत्ता (Quality of life) को प्रभावित कर रही है।

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जीवन के लिए कैसी-कैसी चुनौती खड़ी कर रहा है Climate Change

Climate Change Health Impact, Effects of Climate change for Health, Immune System : जलवायु परिवर्तन का असर दुनियाभर में अनेक रूपों में देखने को मिल रहा है। जलवायु परिवर्तन का स्वास्थ्य पर प्रभाव (Effects of climate change on health) एक ऐसा विषय है, जिसपर और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
जलवायु परिवर्तन हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य (Overall Health)  और जीवन की गुणवत्ता (Quality of life) को प्रभावित कर रही है। हैरानी की बात यह है कि हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Effects of climate change) को महसूस तो कर रहे हैं लेकिन इसके कारणों के प्रति अनजान हैं।
जलवायु परिवर्तन इंसानी स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित कर रही है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यहां मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (Effects of climate change on human health) के कुछ अनछुए पहलुओं को उजागर कर रहे हैं कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ प्रोफेसर (डॉ) जुगल किशोर (Community Medicine Specialist Professor (Dr) Jugal Kishore)।

Climate Change Health Impact : मौसम चक्र बदलने से स्वास्थ्य के लिए कैसी चुनौती?

मौसम (weather) और स्वास्थ्य (health) एक दूसरे से जुडे हुए विषय हैं। जिस तरह स्वस्थ जीवन (healthy life) के लिए बेहतर जीवनशैली (improved lifestyle), पौष्टिक आहार (nutritious food) और अच्छा मानसिक स्वास्थ्य (Good mental health) जरूरी है। उसी तरह बेहतर स्वास्थ्य काफी हदतक जलवायु पर भी निर्भर करता है।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जब भी मौसम बदलता है तो संक्रमण (Infection) से  बीमार होने के मामले बढ जाते हैं। हर मौसम में कुछ खास तरह के संक्रमण सक्रिय हो जाते हैं। इस तरह की स्थिति और संक्रमण से बचने के लिए शरीर सामान्य रूप से खुद को मौसम के अनुरुप समायोजित (adjusted) करता है।
इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) की बहुत बडी भूमिका होती है। एक स्थिति तक शरीर खुद को वातावरण और परिवर्तन के अनुसार ढाल लेती है लेकिन जब बात सामान्य से अधिक तक पहुंचती है तो फिर संक्रमण और बीमारियां शरीर पर हावी होने लगती है।

Effects of Climate change for Health : क्या हैं प्रतिरक्षा प्रणाली के भेद, जिसे आपको जानना चाहिए?

जलवायु परिवर्तन और बढती बीमारियों (Climate change and growing diseases) के बीच जीने के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर तरीके से समझें। सामान्य रूप से लोगों को यह पता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली बीमारियों से बचाने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
Climate Change Health Impact : सिमट रहा है मौसम, बिगड़ रहा है स्वास्थ्य, कैसे बचेंगे आप?
Climate Change Health Impact : सिमट रहा है मौसम, बिगड़ रहा है स्वास्थ्य, कैसे बचेंगे आप?
जलवायु और मौसम में होने वाले असमान्य प्ररिवर्तन के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली किस तरह से प्रतिक्रिया करती है? हमारे लिए यहां इसे समझना जरूरी है। दरअसल, मौसम में होने वाला प्राकृतिक, नियमित और सामान्य परिवर्तन को हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली आसानी से प्रबंधित कर लेती है लेकिन मौसम, जलवायु या जीवनशैली में किसी भी तरह के असामान्य परिवर्तन होते ही हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली असहज हो जाती है।
वातावरण में अचानक 6 से 7 डिग्री तक तापमान होने वाली वृद्धि असामान्य मानी जाती है। इस असामान्य परिवर्तन से इंसान के साथ जानवर और पेड-पौधे भी प्रभावित होते हैं। हीट वेव (Heat Wave) और कोल्ड वेब (Cold Wave) के उदाहरण से इसे हमें बेहतर समझ सकते हैं।

Immune System : प्रतिरक्षा प्रणाली का यह भेद क्या जानते हैं आप?

प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) हमारे शरीर की सुरक्षा कवच है। बीमारियों से बचाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है लेकिन कई बार प्रतिरक्षा प्रणाली की अति सक्रियता (overactivity of the immune system) से भी स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पडता है।
यानि, असहज प्रतिरक्षा प्रणाली (dysfunctional immune system) हमें बीमार भी कर सकती है। ऑटोइम्यून बीमारियां (Autoimmune diseases) इसका सबसे बडा उदाहरण है। जिनमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रमित होकर महत्वपूर्ण अंगों के साथ कोशिकाओं (cells) और उत्तकों (tissues) को प्रभावित करने लगती है।
यही कारण है कि कुछ वर्षों में ऑटोइम्यून बीमारियों के मामले (Autoimmune disease cases) अचानक बढे हैं। यह भेद हमें समझ जाना चाहिए कि असामान्य रूप से जलवायु परिवर्तन (Unusual climate change) या मौसम में अचानक से होने वाले उतार-चढाव हमारे प्रतिरक्षा प्रणाली को असहज करते हैं। नतीजतन, वह अतिसक्रिय हो जाता है।
इससे हमारे शरीर और स्वास्थ्य में परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। इम्यून सिस्टम की असामान्य सक्रियता (abnormal activation of the immune system) का ही नतीजा होता है कि मौसम बदलते ही हमें सर्दी-जुकाम (Cold and cough), अस्थमा (Asthma), एलर्जी (Allergies) , बुखार (Fever), जोडों में दर्द और सूजन (Joint pain and inflammation) जैसी समस्याएं प्रभावित करने लगती है।
इम्यून सिस्टम असामान्य रूप से सक्रिय होने की पहचान हमारे शरीर में मौजूद लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) से की जा सकती है। ऐसी स्थिति में लिम्फ नोड्स बढ जाते हैं।

कोविड जैसी बीमारियां जलवायु परिवर्तन का ही नतीजा 

आप देख रहे होंगे कि पिछले कुछ वर्षों में कई ऐसी बीमारियों के मामले सामने आने लगे हैं, जिनका नाम भी किसी ने नहीं सुना होगा। इन बीमारियों के सक्रिय होने के पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक प्रमुख कारण है।
दरअसल, जिस तरह इंसानी शरीर हर परिस्थिति में खुद को जिंदा रखने के लिए संघर्ष करता है, जरूरी बदलाव करता है, ठीक उसी तरह वायरस (Virus), बैक्टीरिया (Bacteria) और पैरासाइट (Parasite) भी खुद के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए समय-समय पर परिवर्तन करते रहते हैं। इसे ‘म्यूटेशन’ (Mutation) कहते हैं।
कोरोना (Covid), बर्ड फ्लू (Bird Flu), इबोला (Ebola), एमपॉक्स (Mpox) जैसी बीमारियां वायरस में होने वाले इसी म्यूटेशन का नतीजता हैं। वायरस, बैक्टीरिया और पारासाइट्स इंसानी शरीर पर निर्भर रहते हैं। य
ही कारण है कि जब भी जलवायु और मौसम में किसी तरह का असामान्य परिवर्तन होता है, तब यह सभी प्रभावित होते हैं और खुद को बचाने के लिए जरूरी परिवर्तन यानि म्यूटेशन की प्रक्रिया (mutation process) से गुजरते हैं ता​कि, यह इंसान को संक्रमित होने के काबिल बन सकें।

इन चुनौतियों से कैसे बचे इंसान 

इस तरह की चुनौतियों से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को सामान्य बनाए रखें। उन सभी आदतों से बचें जो प्रतिरक्षा प्रणाली को असामान्य करने में भूमिका निभाती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक मुद्दा है और व्यक्तिगत स्तर पर जलवायु को बेहतर रखने के लिए सिर्फ अपने प्रयास ही कर सकते हैं लेकिन परिवर्तन से पैदा हुई स्वास्थ्य चुनौतियों (Health challenges) से बचने के लिए आप जरूर उपाय कर सकते हैं।
इसके लिए जरूरी है कि आप कुछ संकेतों को पहचान कर खुद को उसके अनुसार ढालने की कोशिश करें। जैसे जब ड्राई ह्यूमिडिटी (Dry Humidity) हो तो पानी अधिक पीएं। जब ठंड से गर्मी की ओर मौसम स्वीच हो रहा हो तो एकदम से कपडों की संख्या कम न करें।
अपनी दिनचर्चा को बेहतर और नियमित रखें। प्रतिदिन व्यायाम करें। बाहरी भोजन, रेडी टू ईट (Ready to Eat) और फास्ट फूड (Fast food) जितना हो सके कम खाएं। मौसमी फल (Seasonal Fruits) और सब्जियों को भरपूर मात्रा में सेवन करें।
संक्रमण और बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि हम पर्याप्त नींद लें। ताकि, शरीर को आराम मिल सके। सोते समय शरीर अपने सेल्स और टिश्यू को रिपेयर करता है। नींद की खराब गुणवत्ता हृदय रोग और कैंसर जैसे जोखिम को बढावा दे सकते हैं।
शरीर में विटामिन डी (Vitamin D), विटामिन बी12 (Vitamin B12), कैल्शियम (Calcium) और विटामिन सी (vitamin C) की उचित मात्रा बनाए रखें। ये कुछ सामान्य तरीके अपनाकर जलवायु परिवर्तन (Climate Change), प्रदूषण (Pollution) या संक्रमण (Infection) से काफी हदतक बचा जा सकता है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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Dr. Jugal Kishore
Dr. Jugal Kishorehttps://www.caasindia.in
Dr. Jugal Kishore is a medical educator and emerged as public health institution; born in a village of New Delhi in 1967. After completing his schooling, medical graduation and postgraduation in Community Medicine, he got the opportunity to develop department of Community Medicine in BP Koirala Institute of Health Sciences in Nepal and the Center for Occupational & Environmental Health at Lok Nayak Hospital, New Delhi. He has worked in various institutions with remarkable capacities. His PhD in Psychiatry from University of Delhi has come from his interest in Mental health.
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