Diabetes Treatment : केरल के वैज्ञानिकों ने किया लौंग (Clove) के गुणों का अध्ययन
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Diabetes Treatment : लौंग (Clove) हो सकता है डायबिटीज में फायदेमंद- भारत में डायबिटीज से पीडित लोगों की संख्या चिंता करने वाले स्तर पर पहुंच चुकी है। अभी तक डायबिटीज को नियंत्रित करने वाले विकल्प तो मौजूद हैं लेकिन इसका प्रभावी उपचार सामने नहीं आया है। हालांकि, डायबिटीज को प्रभावी तौर पर ठीक करने के दावे अक्सर आयुर्वेद और नेचुरोपैथ विशेषज्ञों द्वारा जरूर किए जाते रहे हैं।
ऐसे में मॉर्डन मेडिसिन के क्षेत्र में होने वाले शोध और अध्ययन कार्यों से अलग हटकर इसबार वैज्ञानिकों ने मसाले में प्रयोग होने वाले लौंग की तरफ आशा भरी निगाहों से देखा है। बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि डायबिटीज (Diabetes) एक ऑटोइम्यून बीमारी (autoimmune disease) है।
ग्लूटाथियोन का स्तर बढाकर डायबिटीज (Diabetes) को किया जा सकता है नियंत्रित
हृदय और रक्तवाहिकाओं संबंधी बीमारियों और टाइप-2 डायबिटीज (type-2 diabetes) जैसे metabolic disorders के उपचार के लिए शरीर में ग्लूटाथियोन का स्तर बढाना एक प्रभावी रणनीति है। ग्लूटाथियोन शरीर में स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट है लेकिन, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन अस्थिर है और इसकी जैविक उपलब्धता भी सीमित है।
Also Read : Free Eye Treatment : मुफ्त में हो सकता है यहां आखों का उपचार
Metabolic Disorders में लौंग है फायदेमंद
भारतीय मसालों के एक महत्वपूर्ण घटक लौंग को स्वाभाविक रूप से metabolic संबंधी विकारों को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है। शोधकर्ताओं ने एक नये अध्ययन के जरिए लौंग के गुणों (properties of cloves) को बारीकी से समझने का प्रयास किया है। शोधकर्ताओं का लक्ष्य यह पता लगाना है कि शरीर में प्राकृतिक ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने में लौंग कितना कारगर साबित हो सकता है।
Metabolic Disorders से पीडित मरीजों पर शोध
केरल के कोट्टयम स्थित सेंट थॉमस कॉलेज के शोधकर्ताओं द्वारा किये गए इस अध्ययन में लौंग के जलीय अर्क के संभावित सक्रिय घटक क्लोविनॉल (clovinol) के गुणों की पड़ताल की गई। इस अध्ययन में, ग्लूटाथियोन का स्तर बढ़ाने के लिए Metabolic Disorders से पीडित मरीजों के दो भिन्न समूहों को क्लोविनॉल और सिंथेटिक ग्लूटाथियोन (synthetic glutathione) की नियंत्रित डोज दी गई। इसके बाद दोनों समूहों पर इनके प्रभावों का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया।
ऐसे किया गया अध्ययन
अध्ययन में ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिनमें प्री-डायबिटिक स्थितियों (pre-diabetic conditions) और Metabolic Disorders होने का खुलासा हुआ था। इन लोगों के नमूने गुजरात के वडोदरा स्थित आनंद मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल से प्राप्त किए गए। इन्हें दो समूहों में बांट दिया गया। इनमें से एक समूह को क्लोविनॉल और दूसरे समूह को 12 हफ्ते तक सिंथेटिक ग्लूटाथियोन कैपसूल की डोज दी गई है। दोनों समूहों को सिंथेटिक ग्लूटाथियोन और क्लोविनोल के 250 मिलीग्राम खाद्य-ग्रेड कैप्सूल दिये गए।
Also Read : New Injection for High BP : रोज टैबलेट लेने का अब झंझट होगा खत्म
12 सप्ताह बीतने के बाद अध्ययन में शामिल लोगों को 10 घंटे का उपवास कराया गया। इसके बाद, लोगों से प्राप्त रक्त के नमूनों में शोधकर्ताओं ने एंटीऑक्सिडेंट परीक्षण किट के उपयोग से एंटीऑक्सिडेंट मार्करों की मात्रा का अनुमान लगाया। इस दौरान सिंथेटिक ग्लूटाथियोन का इस्तेमाल करने वाले समूह की तुलना में क्लोविनोल कैप्सूल का सेवन करने वाले समूह में एंटीऑक्सिडेंट के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि पाई गई। शोधकर्ता रतीश मोहनन के मुताबिक “क्लोविनोल से उपचारित लोगों में एंटीऑक्सिडेंट का स्तर दूसरे समूह के प्रतिभागियों के मुकाबले लगभग 46 प्रतिशत ज्यादा पाया गया।
शोधकर्ताओं ने एक स्वचालित जैव रासायनिक विश्लेषक प्रक्रिया का उपयोग करते हुए फास्टिंग ब्लड शुगर, इंसुलिन के स्तर और लिपिड प्रोफाइल सहित कई अन्य मापदंडों की पडताल की। उन्होंने पाया कि प्रतिदिन 250 मिलीग्राम क्लोविनोल ने कुल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को उल्लेखनीय रूप से कम किया। वहीं रक्त शर्करा को भी नियंत्रित करने में प्रभावी (Effective in controlling blood sugar) पाया गया। हालांकि, सिंथेटिक ग्लूटाथियोन का रक्त शर्करा और लिपिड Metabolic पर कोई खास प्रभाव नहीं पडता हुआ पाया गया।
क्लोविनोव के सेवन से डायबिटीज में हो सकता है लाभ
शोधकर्ताओं के मुताबिक Metabolic Disorders वाले मरीजों के उपचार में तेजी लाने के लिए क्लोविनोल के सेवन की रणनीति अपनाने से फायदा मिल सकता है। Metabolic Disorders से पीडित लोग एंटीऑक्सिडेंट स्तर को बनाये रखने और स्वस्थ रहने के लिए ऐसे न्यूट्रास्यूटिकल उत्पाद का संतुलित प्रयोग कर सकते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि लौंग की अधिक मात्रा आयरन के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकती है। इसके कारण एनीमिया की भी समस्या हो सकती है। इसलिए इसके प्रयोग से पहले डॉक्टर का परामर्श लेना जरूरी हो जाता है।
अध्ययन में करेल स्थित कोट्टयम के सेंट थॉमस कॉलेज के रतीश मोहनन के अलावा, बेंगलुरू के लीड्स क्लीनिकल रिसर्च ऐंड बायो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड से जस्टिन थॉमस, वडोदरा के आनंद मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल से आनंद पाटिल, कोचीन के एके नेचुरल इन्ग्रेडिएंट्स से श्याम दास शिवदासन और कृष्णकुमार इलाथु माधवमेनन के साथ सेंट थॉमस कॉलेज की शोधकर्ता शीतल श्रीवल्लभन
भी शामिल हैं। यह अध्ययन शोध पत्रिका जर्नल ऑफ फंक्शनल फूड्स में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है।
Diabetes Treatment : लौंग (Clove) हो सकता है डायबिटीज में फायदेमंद
[table “9” not found /][table “5” not found /]