Conjunctivitis Treatment : कई तरह की होती है Eye Flu
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Conjunctivitis Treatment : दूसरों के मुकाबले आप रह सकते हैं सुरक्षित, बस करना होगा इतना- कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis), आई फ्लू (eye flu) या पिंक आई (pink eye) इन दिनों यह समस्या चर्चा में है क्योंकि देश के विभिन्न हिस्सों में लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं। राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों की बात करें तो यह समस्या लोगों के लिए चुनौती बन गई है।
पूरे देश में कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) के अबतक 1202 मामले सामने आ चुके हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर हम समस्या को समझें और कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) से बचाव और उपचार (Conjunctivitis Treatment ) दोनों ही संभव है। हम यहां आपको विस्तार से जानकारी दे रहे हैं, जिसकी मदद से आप कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) से बच सकते हैं या संक्रमण होने पर राहत पा सकते हैं।
क्या है कंजंक्टिवाइटिस? (What is conjunctivitis)
कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) आंखों को प्रभावित करने वाली बीमारी है। जिसे साधारण भाषा में आंख आना, आंखों का गुलाबी होना या पिंक आई भी कहते हैं। कंजंक्टिवाइटिस संक्रमण होने पर आंखें लाल हो जाती हैं और आंखों में सूजन हो जाती है।
क्यों होता है कंजंक्टिवाइटिस (Why does conjunctivitis happen)
आंख के एक भाग कंजंक्टिवा (Conjunctiva) में एलर्जी या संक्रमण की वजह से सूजन होने के कारण यह समस्या होती है। कंजंक्टिवा एक प्रकार की पारदर्शी (Transparent) और पतली टिशू को कहते हैं। यह आंखों के सफेद भाग (Sclera) के बाहरी सतह और पलकों के अंदरूनी सतह को कवर करती है। पलकों और आईबॉल में नमी बरकरार रखने में इसकी बडी भूमिका होती है।
कंजंक्टिवाइटिस से एक या दोनों आंखें प्रभावित हो सकती है। यह समस्या छोटे बच्चों को अधिक हो सकती है। जबकि, यह किशोरो और व्यस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। यह समस्या कई तरह की होती है। कंजंक्टिवाइटिस के प्रकार (Types of Conjunctivitis) को ध्यान में रखते हुए ही इसका उपचार (Conjunctivitis Treatment) तय किया जाता है। यह एक से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला संक्रमण है। ज्यादातर मामलों में यह समस्या कुछ दिनों में ठीक हो जाती है। इस समस्या से प्रभावित होने पर किसी विशेषज्ञ से परामर्श लेना ही सबसे उचित कदम साबित होता है।
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कितने तरह के होते हैं कंजंक्टिवाइटिस (How many types of conjunctivitis)
कंजक्टिवाइटिस मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं –
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस (allergic conjunctivitis)
यह कंजक्टिवाइटिस का एक प्रकार है लेकिन यह भी दो प्रकार के होते हैं। एलर्जी कंजक्टिवाइटिस की स्थिति में प्रदूषक तत्व, जानवर से एलर्जी या फिर किसी अन्य प्रकार के पदार्थ से आंखों में संक्रमण पैदा होता है। इसके दूसरे रूप जाइंट पैपिलरी कंजक्टिवाइटिस आंख में किसी बाहरी पदार्थ या तत्व के अधिक दिनों तक मौजूदगी से पैदा होने वाले संक्रमण की वजह से होता है।
केमिकल कंजक्टिवाइटिस (Chemical conjunctivitis)
केमिकल कंजक्टिवाइटिस आंखों में किसी तरह की केमिकल या किसी प्रदूषक तत्व के आंखों में चले जाने की वजह से होता है।
इंफेक्शियस कंजक्टिवाइटिस (Infectious conjunctivitis)
इसके तीन प्रकार होते हैं। वायरल कंजक्टिवाइटिस सर्दी या फिर ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण से संबंधित वायरस की चपेट में आने के कारण होता है। जबकि, बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस त्वचा, श्वसन पथ में मौजूद बैक्टीरिया या गंदे फेस लोशन, आई-मेकअप का इस्तेमाल करने से होता है। यह संक्रमण वयस्कों के मुकाबले बच्चों को अधिक प्रभावित करता है।
वहीं, ओफ्थाल्मिया नियोनेटरम एक बेहद गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण होता है। यह नवजात शिशुओं को संक्रमित करता है। यह संक्रमण बच्चे की आंखों के बर्थ कैनाल में मौजूद बैक्टीरिया के संपर्क में आने की वजह से होता है। अगर शीघ्र इसका उपचार (Conjunctivitis Treatment) नहीं किया जाता तो यह आंखों को स्थाई रूप से भी नुकसान पहुंचा सकता है।
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कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण (symptoms of conjunctivitis)
एलर्जी कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
- आंखों में हल्की लाली
- आंखों से पानी बहना
- आंख में खुजली होना
वायरल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
- आंख में लाली
- आंख में दर्द
- आंख में किरकिरा पन महसूस होना
- रोशनी से समस्या
बैक्टीरियल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
- आंख में लाली
- आंख में दर्द
- आंख से पीला स्राव बहना
- आंखों से असामान्य रूप से कीचड़ निकलना
- पलकें लाल होने के साथ इसमें सूजन होना
- रोशनी से समस्या
कैमिकल कंजक्टिवाइटिस के लक्षण
- आंखों से पानी बहना
- आंखों से कीचड़ आना
कंजंक्टिवाइटिस के कारण और जोखिम (Causes and Risks of Conjunctivitis)
कारण
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस:
जानवरों के शरीर से निकलने वाली रूसी, धूल के कण, रैगवीड पराग (Ragweed Pollen) और घास आदि इसके संक्रमण की वजह होती है।
जायंट पैपिलरी कंजंक्टिवाइटिस:
कॉन्टैक्ट लेंस का लंबे समय तक उपयोग (उन्हें नियमित रूप से नहीं निकालना), आंखों में लगा प्रोस्थेटिक (आर्टिफिशियल बॉडी पार्ट) और टांके में होने वाली दिक्कत के कारण यह संक्रमण होता है।
कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस:
हानिकारक रसायन, स्विमिंग पूल में मौजूद क्लोरीन, वायु प्रदूषण इस संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
वायरल कंजंक्टिवाइटिस :
यह एडेनोवायरस और कई अन्य प्रकार के वायरस की वजह से होता है। यह तेजी से फैलने वाला संक्रमण होता है।
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस :
स्ट्रेप्टोकोकी और स्टेफिलोकोकी बैक्टीरिया या यौन संचारित रोगों जैसे क्लैमाइडिया और गोनोरिया को बढ़ाने वाले जीव इस संक्रमण की वजह बनते हैं।
ऑफ्थैल्मिया कंजंक्टिवाइटिस :
बर्थ कैनाल (Birth canal) में बैक्टीरिया जैसे गोनोरिया या क्लैमाइडिया की मौजूदगी की वजह से यह शिशुओं को संक्रमित करता है।
कंजंक्टिवाइटिस के जोखिम (risk of conjunctivitis)
- संक्रमित लोगों के संपर्क में आने से यह समस्या हो सकती है।
- दूषित सतहों को छूने या संपर्क में आने से संक्रमण हो सकता है।
- पुराने, दूषित, गंदे कॉस्मेटिक उत्पादों जैसे, आई मेकअप का उपयोग करने से इस संक्रमण का जोखिम बना रहता है।
- दूषित (contaminated) तौलिये या किसी कपडे का इस्तेमाल इसका शिकार बना सकता है।
- दूषित स्विमिंग पूल में तैरने से संक्रमण हो सकता है।
- संक्रमित मां से योनि से प्रसव (vaginal delivery) के दौरान नवजात बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस होने का जोखिम रहता है।
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कंजंक्टिवाइटिस से बचाव (prevention of conjunctivitis)
कंजंक्टिवाइटिस से बचाव (Conjunctivitis Treatment) के लिए कोई विशेष तरीका नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संक्रमण के अलग-अलग स्रोत होते हैं। बार-बार हाथों को धोना, आंखों को धोना, आंखों को छूने या रगड़ने से बचने जैसे कुछ मूल तरीके हैं, जिससे इस संक्रमण से काफी हदतक बचाव होता है।
जिन्हें एलर्जी की समस्या होती है, उन्हें एलर्जिक रिएक्शन को बढ़ाने वाले पदार्थों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। वहीं, जो धूल भरे वातावरण या आंखों में जलन पैदा करने वाली जगहों पर कार्य करते हैं, उन्हें अपने आंखों की सुरक्षा को लेकर सचेत रहने की जरूरत होती है।
कंजंक्टिवाइटिस का निदान (Diagnosing Conjunctivitis)
- आंखों की चिकित्सकीय जांच
- हेल्थ हिस्ट्री का विश्लेषण
- विजुअल एक्विटी मेजरमेंट (दृष्टि की जांच करने के लिए)।
- आंखों की आंतरिक संरचना का मूल्यांकन।
- चमकदार रोशनी और मैग्निफिकेशन की मदद से कंजंक्टिवा और आंखों की टिशू का मूल्यांकन ।
- लॉन्ग-टर्म कंजंक्टिवाइटिस की सूरत में आंखों से निकलने वाले डिस्चार्ज के नमूनों की जांच।
कंजंक्टिवाइटिस का इलाज (treatment of conjunctivitis)
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
हल्के मामलों में आर्टिफिशियल टीयर आई ड्रॉप और कोल्ड कंप्रेस राहत प्रदान कर सकते हैं। गंभीर मामलों में डॉक्टर एलर्जी (एंटीहिस्टामाइन), सूजन (नॉन-स्टेरॉएडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं) या टॉपिकल स्टेरॉएड आई ड्रॉप आदि लेने का परामर्श देते हैं।
कैमिकल कंजंक्टिवाइटिस
खारे या नमकीन घोल (Saline solution) इसके बेहतर उपचार में से एक है। आंखों में केमिकल होने की वजह से आंखों को स्थायी नुकसान हो सकता है। इससे बचने के लिए आंखों को कुछ देर तक पानी से धोएं। टॉपिकल स्टेरॉएड से भी इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
इंफेक्शियस कंजंक्टिवाइटिस
बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस होने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक आई ड्रॉप या मलहम का सुझाव दे सकते हैं। वायरल कंजंक्टिवाइटिस के मामले में डॉक्टर विशेष उपचार नहीं देते हैं क्योंकि वायरस पर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर होती है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस में उपचार (Conjunctivitis Treatment) की आवश्यकता तब पडती है, जब यह यौन संचारित रोगों (sexually transmitted diseases), वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस, हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस की वजह से होता है।
लक्षणों से राहत प्रदान करने के लिए चिकित्सक मरीज को आई ड्रॉप और कोल्ड कंप्रेस के इस्तेमाल की सलाह दे सकते है। वायरल कंजंक्टिवाइटिस के गंभीर मामलों में चिकित्सक इससे होने वाली असुविधा को कम करने के लिए टॉपिकल स्टेरॉएड ड्रॉप्स के लिए परामर्श दे सकते हैं।
कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों से ऐसे पाएं राहत (relief from the symptoms of conjunctivitis)
- आंखों पर कोल्ड कंप्रेस लगाने से जलन में आराम मिलेगा।
- आंखों में जलन और खुजली होने पर डॉक्टर की सलाह पर आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- रूई को पानी में भिगोकर दिन में दो बार पलकों पर जमे हुए चिपचिपे आई डिस्चार्ज की सफाई करें।
- यदि एक ही आंख संक्रमित है, तो दोनों आंखों के लिए अलग-अलग आई ड्रॉप बॉटल का इस्तेमाल करें।
- जबतक आंखों में संक्रमण है, कॉन्टैक्ट लेंस का उपयोग बंद कर दें।
- माइल्ड साबुन से पलकों और चेहरे को धोएं।
- आंखों को रगड़ने से बचें।
- हाथ को धोने के बाद ही आंखों में आई ड्रॉप डालें।
Conjunctivitis Treatment : दूसरों के मुकाबले आप रह सकते हैं सुरक्षित, बस करना होगा इतना
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Nice information for