स्वीडिश शोधकर्ताओं ने Ankylosing Spondylitis और टॉन्सिल्लेक्टोमी को लेकर किया बडा खुलासा
नई दिल्ली। Relation between Tonsillectomy and Ankylosing Spondylitis : कम उम्र में टॉन्सिल्लेक्टोमी करवा चुके लोगों के लिए एक बुरी खबर है। स्वीडिश वैज्ञानिकों ने अपने एक ताजा अध्ययन में कम उम्र में टॉन्सिल्लेक्टोमी और एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के बीच के संबंध को उजागर किया है।
कम उम्र में Tonsillectomy बुढापे में बन सकती है Ankylosing Spondylitis की वजह
शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन लोगों ने युवावस्था में टॉन्सिल की सर्जरी करवाई थी, उनमें दीर्घकालिक सूजन संबंधी गठिया (एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस) विकसित होने की संभावना लगभग एक तिहाई अधिक थी। स्वीडिश शोधकर्ताओं ने एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को जेनेटिक बीमारी करार देते हुए यह स्पष्ट किया है कि अगर एक भाई या बहन में यह बीमारी विकसित होती है तो संभव है कि यह अन्य भाई-बहनों में भी विकसित हो सकती है। उन्होंने पाया कि प्रारंभिक जीवन के पर्यावरणीय कारक भी इस बीमारी में भूमिका निभाते हैं।
7 हजार लोगों पर किया गया अध्ययन
स्वीडिश वैज्ञानिकों द्वारा यह अध्ययन जनवरी 2001 और दिसंबर 2022 के बीच किया गया। इस अध्ययन में एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीडित लगभग 7,000 लोगों को शामिल किया गया। अध्ययन में लोगों का विश्लेषण प्रारंभिक जीवन जोखिम कारकों के मुताबिक किया गया। इसमें प्रसव के समय मां की उम्र, प्रारंभिक गर्भावस्था में वजन (बीएमआई), गर्भावस्था की लंबाई, बच्चे का जन्म के समय का वजन और प्रसव का प्रकार शामिल था।
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विचार किए गए अन्य कारकों में भाई-बहनों की संख्या, जन्म से 15 वर्ष की आयु तक बचपन में गंभीर संक्रमण और 16 वर्ष की आयु से पहले टॉन्सिल और अपेंडिक्स को हटाना भी शामिल था। शोधकर्ताओं ने पाया कि बड़े भाई-बहनों वाले लोगों में जोखिम 12-15 प्रतिशत के बीच था। जबकि गंभीर बचपन के संक्रमण से जुड़े जोखिम में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
टॉन्सिल की सर्जरी के बाद 30 प्रतिशत अधिक हो जाता है एएस का जोखिम
शोधकर्ताओं ने पाया कि टॉन्सिल हटाने से एएस का जोखिम 30 प्रतिशत बढ़ गया था। जिससे आमतौर पर रीढ़, जोड़ों और टेंडन की सूजन की विशेषता थी, जिसके परिणामस्वरूप दर्द, कठोरता और थकान होती थी। बीएमजे के निष्कर्षों के अनुसार, गर्मी या शरद ऋतु के महीनों में पैदा होने पर सर्दियों में पैदा होने की तुलना में एएस का जोखिम कम होता है।
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वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बढ़ा हुआ जोखिम बड़े भाई-बहनों वाले शिशुओं के शुरुआती जीवन में संक्रमण के अधिक संपर्क में आने के कारण हो सकता है। जबकि टॉन्सिल्लेक्टोमी अक्सर संक्रमण के बाद की जाती थी। इसके बाद शोधकर्ताओं ने भाई-बहन की तुलना का विश्लेषण किया, जो परिवारों के भीतर साझा किए जाने वाले संभावित प्रभावशाली पर्यावरणीय कारकों को समायोजित करता है। शोधकर्ताओं ने सभी विश्लेषणों के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि ‘बड़े भाई-बहनों का होना और बचपन में टॉन्सिल्लेक्टोमी का इतिहास स्वतंत्र रूप से एंकिलॉज़िंग स्पॉन्डिलाइटिस के विकास से जुड़ा था।