Wednesday, November 20, 2024
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Menopause And Heart Disease में है गहरा संबंध 

“रजोनिवृत्ति एक प्राकृतिक परिघटना है। इस अवस्था तक पहुंचने का यह मतलब नहीं है कि बीमारियां खुद चपेट में ले लेंगी। रजोनिवृत्ति के साथ शरीर में कुछ बदलाव भी होते हैं, जिससे हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों का जोखिम बढ सकता है।

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रजोनिवृत्ति बढा सकती है हृदय रोग का जोखिम

Menopause and Heart Disease Link : रजोनिवृत्ति (Menopause) महिला के मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) की समाप्ति को चिह्नित करने वाली एक प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया (natural biological process) है, और इसे रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं में हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम (risk of heart disease) से जोड़ा जा सकता है।
डॉ. कल्याण बनर्जी क्लिनिक के वरिष्ठ होम्योपैथ डॉ. कुशल बनर्जी  के मुताबिक, रजोनिवृत्ति एक परिवर्तनकारी चरण होता है, जो आमतौर पर महिलाओं में उनकी उम्र के 40 वाले दशक की समाप्ति या 50 के दशक की शुरुआत के बीच घटित होता है। यह अंडाणु उत्सर्जन के अंत (end of ovulation) और हार्मोन उत्पादन, खासकर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में गिरावट (decline in estrogen and progesterone) का संकेत देता है।

Menopause and Heart Disease : महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण है हृदय रोग 

यह जानना बेहद जरूरी है कि हृदय रोग कई देशों में महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण (Heart disease is the main cause of death in women) बन चुका है। स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बनाने के मामले में लैंगिक असमानता एक वैश्विक परिघटना है और यह भारत तक ही सीमित नहीं है।
हाल के शोध पत्रों से पता चलता है कि हृदय संबंधी समस्याओं को लेकर अस्पताल जाने वाले दो-तिहाई रोगी पुरुष थे। समान आयु वर्ग की लड़कियों के मुकाबले लगभग दोगुना लड़कों को अस्पताल लाया जाता है। अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि रोगी के निवास स्थान से देखभाल केंद्र जितनी दूर होंगे, बीमार महिलाओं के वहां पहुंचने की संभावना उतनी ही कम होगी।

जोखिम कम करने में मदद कर सकती है होम्योपैथी

महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण है हृदय रोग
महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण है हृदय रोग | Photo : Canva
डॉ. कुशल बनर्जी के मुताबिक, “रजोनिवृत्ति एक प्राकृतिक परिघटना है। इस अवस्था तक पहुंचने का यह मतलब नहीं है कि बीमारियां खुद चपेट में ले लेंगी। रजोनिवृत्ति के साथ शरीर में कुछ बदलाव भी होते हैं, जिससे हृदय रोग सहित अन्य बीमारियों का जोखिम बढ सकता है।
होम्योपैथी, रोगी की समस्याओं के आधार पर चयापचय (Metabolism) बढ़ाने, वजन घटाने, रक्त शर्करा (blood sugar) के स्तर को कम करने, रक्तसंचार बढ़ाने या उसे बेहतर बनाने सहित कई अन्य चीजों में मदद कर सकती है। ये बदलाव केवल आहार, व्यायाम और जीवनशैली से जुड़े अन्य पहलुओं में सुधार करने के साथ ही घटित होते हैं।“

पुरुषों जैसी जीवनशैली वाली महिलाओं में हृदय रोग का ज्यादा जोखिम

हृदय रोग से पीड़ित अधिकतर महिलाएं पुरुषों जैसी जीवनशैली अपनाती हैं। जैसे अनियमित भोजन, व्यायाम की कमी, नींद में खलल और मानसिक तनाव। जोखिम के इन साझा कारणों का समाधान करना और हृदय के स्वास्थ्य को लेकर महिलाओं की जागरूकता बढ़ाना, इस व्यापक और अक्सर कम आंके जाने वाले खतरे से निपटने की दिशा में आवश्यक कदम हैं।


एकोनाइट और अर्निका से हृदय रोग का करें जोखिम कम 

डॉ. कुशल के मुताबिक, एकोनाइट और अर्निका, उच्च रक्तचाप नियंत्रण की दो अत्यंत महत्वपूर्ण होम्योपैथिक दवाएं (Aconite and Arnica, two very important homeopathic medicines for controlling high blood pressure) हैं। इन दवाओं ने दुनिया भर में हजारों रोगियों की हृदय संबंधी घटनाओं को घटित होने से रोका है। होम्योपैथिक पद्धतियों के कोरोनरी धमनी रोग प्रोटोकॉल (coronary artery disease protocol) ने इस स्थिति वाले मामलों को संभाला है।
कुछ मामलों में तो स्टेंट या कार्डियक बाईपास सर्जरी तक को रोक दिया है, बशर्ते जीवनशैली में बदलाव करके इन प्रोटोकॉल का पालन किया जाए। इसके अतिरिक्त, कैल्क कार्ब (calc carb), सेपिया (sepia), लिलियम टिग्लिनम (lilium tiglinum) जैसी विशिष्ट दवाओं के बारे में पता चला है कि वे मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं की हृदय संबंधी बीमारियों (Cardiovascular diseases of middle-aged women) में विशेष लाभ प्रदान करती हैं।“

अचानक से बंद न करें पहले से चल रही दवाएं 

डॉ. बनर्जी ने सचेत किया कि जो रोगी पहले से ही एंटीहाइपरटेन्सिव (antihypertensive) चीजें और मधुमेह जैसी बीमारियों की दीर्घकालिक दवाएं खा रहे हैं, उन्हें अचानक इन औषधियों को बंद नहीं करनी चाहिए। हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं के लिए होम्योपैथी (Homeopathy for women suffering from heart disease) को धीरे-धीरे शुरू किया जा सकता है और यदि पैमानों में सुधार दिखाई देना शुरू हो, तो पारंपरिक दवाओं को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है।
कुछ मामलों में, एलोपैथिक दवाओं की ऊंची खुराक के बावजूद रक्तचाप ऊंचा बना रहता है। होम्योपैथिक दवाएं शुरू करने से असर बढ़ सकता है और पैमानों को घटाने में मदद मिलती है। रक्त पतला करने वाली कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, गुर्दे और यकृत रोग जैसी कई बीमारियों की मौजूदगी, रोगी को चंद एलोपैथिक दवाएं खाने की इजाजत नहीं देती। इन मामलों में, कोई अन्य विकल्प न बचने पर होम्योपैथी दरअसल रोगी को उसकी बीमारी का प्रबंधन करने में मदद करती है ।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

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