एम्स में हुआ एक वर्ष में 12 अंगदान
Delhi Aiims : देश में खराब अंगों की वजह से मौत के पंजे में फंसते हुए मरीजों को बस एक ही उम्मीद रहती है कि काश! कोई अंगदान कर जाए और उसकी बुझती हुई जिंदगी फिर रोशन हो जाए। यह एक कडवी सच्चाई है कि किसी के लिए मृत देह शोक की वजह बनती है, तो किसी के लिए मृत देह जीवन का आधार। अंगदान को ऐसे ही महादान नहीं कहा गया है। अंगदान पुन्य प्राप्त करने का वह सर्वोत्तम जरिया है, जिसके लिए लोग जीते-जी न जाने कितने कष्ट सहकर तीर्थ यात्रा करते हैं।
अंगदान वह जरिया है, जिसके माध्यम से मौत के बाद भी मृतक की यात्रा जीवित के शरीर के माध्यम से जारी रहती है। देश के सबसे बडे सरकारी अस्पताल और शोध संस्थान दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) में एक वर्ष के दौरान 12 अंगदान किए गए हैं और इस महादान के बदौलत 80 से अधिक लोगों को नई जिंदगी मिली है।
अगर अंगदान के प्रति तमाम मिथकों को किनारे रख लोग जागरुकता का परिचय दें तो लिवर, किडनी, हार्ट जैसे अंगों के खराब हो जाने से जान गंवाने वाले कई लोगों को असमय मौत से उबारा जा सकता है। जेपीएन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर, दिल्ली एम्स में 36 घंटे से भी कम समय में तीन शवों के अंग दान हुए। यह इस वर्ष एम्स ट्रॉमा सेंटर से 12वां मृत शरीर दान है।
Delhi Aiims के अंगदाताओं में है सबसे कम उम्र की बच्ची
अंगदाताओं में सबसे कम उम्र की दाता 2.5 साल की बच्ची थी। जिसकी खेलते समय अपने घर की तीसरी मंजिल की बालकनी से गिरने के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उसके अंगों को एम्स (Delhi Aiims) की बहुविषयक टीम (multidisciplinary team) और चेन्नई के कार्डियोथोरेसिक सर्जनों ने पुनः प्राप्त (Retrieve) किया। इससे 2 बच्चों को नया जीवन मिलेगा। प्राप्तकर्ता चेन्नई का एक 8 महीने का बच्चा है, जो जन्मजात हृदय संबंधी स्थिति, डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी के कारण जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।
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दिल्ली से चेन्नई तक हृदय के स्थानांतरण में तेजी लाने के लिए एम्स (Delhi Aiims) ओआरबीओ टीम द्वारा एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। इस बच्चे की दोनों किडनियां दूसरे शिशु समूह में प्रत्यारोपित की जाएंगी। यह बच्ची, एम्स ट्रॉमा सेंटर में हृदय दान करने वाली अब तक की सबसे कम उम्र की बच्ची बन गई है। इसके अलाव वह संभवतः दिल्ली-एनसीआर में अपना हृदय दान करने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची भी है।
36 घंटों में 2 अंगदान ने बचाई 5 लोगों की जिंदगी
एम्स में पिछले 36 घंटों में हुए 2 और दान में, NOTTO की आवंटन नीति के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न अस्पतालों में कुल 5 लोगों को किडनी और लीवर प्रत्यारोपित किया गया। वर्ष 2023 में एम्स ट्रॉमा सेंटर से यह 12वां अंग दान है। जेपीएनएटीसी चीफ प्रोफेसर कामरान फारूक के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों से एम्स ट्रॉमा सेंटर में ब्रेन डेड मरीजों के सफल दान और प्रत्यारोपण में भारी वृद्धि हुई है।
पिछले साल कुल 16 अंग दाताओं ने अपने अंग दान किया था, जिससे दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में 80 से अधिक रोगियों को नया जीवन मिला। सफल अंग दान और प्रत्यारोपण के लिए बड़ी संख्या में डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के समन्वित प्रयास की आवश्यकता होती है। जिसमें न्यूरोसर्जन, एनेस्थेटिस्ट-इंटेंसिविस्ट, विभिन्न विशेषज्ञताओं की सर्जिकल टीम, काउंसलर, ओआरबीओ और नोटो शामिल होते हैं, जो प्रतीक्षा सूची के अनुसार अंग आवंटन करते हैं।