धूम्रपान करने वाले मरीजों में शुरूआती चरण में फेफडोें के कैंसर का पता लगाएगा Delhi Aiims
Delhi Aiims : दिल्ली एम्स ने एक नई पहल शुरू की है। एम्स ने धुम्रपान करने वाले लोगों में फेफडे के कैंसर (Lungs Cancer) का शुरूआती चरण में पता लगाने के लिए एक अध्ययन (Delhi Aiims Study) करने का निर्णय लिया है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत की जाएगी जांच
दिल्ली एम्स के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग (Department of Pulmonary Critical Care and Sleep Medicine, Delhi AIIMS) ने धूम्रपान करने वालों में शुरुआती चरण में फेफड़ों के कैंसर (Early stage lung cancer in smokers) का पता लगाने के लिए पायलट अध्ययन शुरू किया है।
जिसके तहत एम्स अस्पताल का ये विभाग फेफडों की निःशुल्क लो डोज सीटी स्कैन (Free low dose CT scan of lungs) करेगा। सीटी स्कैन करवाने के लिए किसी भी व्यक्ति से शुल्क नहीं वसूले जाएंगे।
एम्स प्रशासन के मुताबिक, धूम्रपान करने वाले ऐसे लोग, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक हो, वे इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे। इसके लिए एम्स ने एक नंबर भी जारी किया है। जांच कराने के इच्छुक लोग +91-9821735337 (Helpline number for free CT scan in AIIMS) पर संपर्क कर सकते हैं। यह जांच सोमवार से शनिवार सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक किया जाएगा।
लंग्स कैंसर के आंकडे हैं चिंताजनक
पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के मुताबिक, देश में फेफड़ों के कैंसर के मामले (Lung cancer cases in India) तेजी से बढ रहे हैं। पिछले वर्ष फेफडों के कैंसर के करीब एक लाख मामले सामने आए थे।
लास्ट स्टेज में जाकर इसका पता लगने के कारण मरीज औसतन 8.8 महीने ही जीवित रह पाते हैं। इस चुनौती को देखते हुए एम्स के पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग ने धूम्रपान के आदि मरीजों में शुरुआती चरण में फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए इस अध्ययन (Study to detect lung cancer at early stage in smokers) की शुरूआत की है।
2022 में 14 लाख कैंसर के मामले दर्ज
भारत में कैंसर की चिंताजनक स्थिति आंकडों से पता चलता है। इसके मामले हर साल तेजी से बढ रहे हैं। वर्ष 2022 में कैंसर के 14 लाख मामले (Cancer cases in the year 2022) रिकॉर्ड किए गए थे।
देश में कैंसर के मामलों में लंग्स कैंसर और सर्वाइकल कैंसर सबसे ऊपर हैं। लंग्स कैंसर की पहचान के लिए समय रहते जांच कराने की जरूरत है। वहीं सर्वाइकल कैंसर भी महिलाओं के स्वास्थ्य और मृत्यु के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।