दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों की Research में खुलासा, बच्चों के आंख में नहीं होगी Vision Problem
Delhi Aiims News In Hindi : प्रतिदिन दो धंटों की धूप बच्चों के आंखों की सेहत (children’s eye health) के लिए संजीवनी बन सकती है। यह खुलासा दिल्ली एम्स के विशेषज्ञों ने अपने शोध (Research by Delhi AIIMS experts) के हवाले से किया है।
एम्स के नेत्र विज्ञान विभाग के शोध (Research of Ophthalmology Department of Delhi AIIMS) में यह जानकारी सामने आई है कि कोरोना महामारी के बाद छोटे बच्चे प्रोग्रेसिव मायोपिया (Progressive Myopia)
से प्रभावित हो रहे हैं। एम्स विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मामले लगातार बढ रहे हैं।
Delhi Aiims RP Center ने किया Research
एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर (RP Center) में बाल नेत्र विज्ञान विभाग (Department of Pediatric Ophthalmology) के डॉक्टरों ने दिल्ली के 22 सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 3000 बच्चों को शामिल कर अपने रिसर्च को अंजाम दिया है। इन बच्चों को दो समूहों में बांटा गया था। इनमें से आधे बच्चों की दैनिक जीवन शैली सामान्य पाई गई। वहीं, आधे को दिन में 30 मिनट और सप्ताह में पांच दिन कमरे से बाहर बैठाया गया था। यह प्रक्रिया लगातार दो वर्षों तक की गई।
इस दौरान बच्चों के आंखों में होने वाले परिवर्तन, उनके स्वास्थ्य सहित अन्य कई पहलुओं की निगरानी की गई। तीन वर्ष के बाद इन बच्चों से संबंधित परिणामों का विश्लेषण किया गया। जिसके बाद विशेषज्ञों ने यह नतीजा निकाला कि जो बच्चे कम से कम आधे घंटे धूप या सूरज की रोशनी में रहे, उनकी आंखें कमरे में समय व्यतीत करने वाले बच्चों के मुकाबले कहीं अधिक स्वस्थ होती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि जिन बच्चों की आंखों में पहले से ही किसी तरह की दृष्टिदोष है, वह भी कम हो सकता है।
दृष्टिदोष से बचाती है सूरज की रोशनी | Sunlight protects from vision impairment
शोध में अपनी भूमिका निभाने वाले एम्स (delhi aiims) के बाल नेत्र विज्ञान विभाग के डॉक्टर रोहित सक्सेना (Dr. Rohit Saxena of Pediatric Ophthalmology Department of Delhi AIIMS) के मुताबिक, सूर्य की रोशनी के संपर्क में रहने वाले बच्चों में दृष्टिदोष का जोखिम कम (Risk of vision defects reduced in children exposed to sunlight) होता है। रिसर्च के दौरान आधे बच्चों को उनके कमरे से बाहर उनके शरीर के अनुकूल सूर्य की रोशनी में रखा गया था। गर्मी लगने पर उन्हें पेड की छांव में रखा गया और इस दौरान योग या अन्य शारीरिक गतिविधियां कराई गई। जिससे इन बच्चों की आंखों की समस्या में सुधार पाया गया।
दृष्टिदोष वालों को चश्मा मिलने पर जीडीपी ग्रोथ हो सकता है प्रभावित
डॉ. वशिष्ठ ने बांग्लादेश में विजन इंडिया (Vision India) की मदद से चलाए गए एक अभियान का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश में 20 लाख लोगों को चश्मा दिया गया। जिसके बाद ऐसे लोगों के काम करने की क्षमता को परखा गया। जांच में यह पाया गया कि चश्मा लगाने के बाद इनकी आए में 33 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई। भारत में भी अगर बुनकर, ट्रक चालक सहित अन्य कार्यों में शामिल ऐसे पेशेवर जिनकी आंखों में दृष्टि से संबंधित समस्या है, उन्हेें अगर चश्मा दिया जाए तो उनकी आय भी बढ सकती है और इससे सीधेतौर पर देश की जीडीपी ग्रोथ में मदद मिल सकती है।
दृष्टि दोष के लक्षण | Symptoms of vision impairment
- बच्चों का आंखों को बार-बार सिकोडना
- आंखों को बार-बार मलना
- दूर से शब्दों को स्पष्ट रूप से देखने में समस्या
नियमित रूप से करें आंखों की जांच | Check your eyes regularly
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष दो करोड़ स्कूली बच्चों को चश्मे की जरूरत (Every year 2 crore school children in India need spectacles) पडती है। बच्चों के आंखों की जांच नियमित रूप से कराई जानी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूली बच्चों के आंखों की जांच प्रति वर्ष की जानी चाहिए। इससे दृष्टिदोष से बचाव और उनके प्रबंधन में आसानी होगी।
इसके साथ ही बच्चों के आहार में आंखों के लिए फायदेमंद खाद्य पदार्थ को भी शामिल करना चाहिए। बच्चों में पोषक तत्वों की कमी से भी दृष्टिदोष से संबंधित समस्याएं हो सकती है। इसके अलावा मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग भी बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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बच्चों को दृष्टिदोष से बचाने के उपाए | Ways to protect children from visual impairment
- कम रोशनी में न करें पढाई।
- किताब को आंखों से उचित दूरी पर रखें।
- पढाई के दौरान हर आधे घंटे में आंखों को आराम दें।
- पढाई आदि जैसे जरूरी कार्यों के लिए बच्चे करें मोबाइल का इस्तेमाल
- आहार में हरी सब्जियां और फल शामिल जरूर करें।