सुरक्षित गर्भधारण (safe pregnancy) कर सकती है सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Systemic Lupus Erythematosus) से पीडित महिलाएं
Delhi Aiims News on Lupus : ल्यूपस (SLE) से पीडित महिलाएं अगर गर्भधारण के दौरान इसकी दवा ले तो यह उनके गर्भस्थ शिशु में विकृति का कारण बन सकती है। हालांकि, इन जोखिमों के बावजूद भी ल्यूपस से पीडित महिलाएं सुरक्षित गर्भधारण कर सकती हैं। साथ ही वह अपने नवजात शिशु को स्तनपान भी करवा सकती हैं।
गर्भधारण की योजना बनाने से पहले यह जरूरी है कि ल्यूपस पीडित महिलाएं अपने चिकित्सक से विचार-विमर्श जरूर करें। दिल्ली एम्स (Delhi Aiims) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एम्स विशेषज्ञों ने ल्यूपस और इसमें मरीजों के लिए पैदा होने वाली चुनौतियों (Challenges that arise for lupus patients), उपचार आदि के बारे में जानकारी साझा की।
ऑटोइम्यून बीमारी है ल्यूपस | Lupus is an autoimmune disease
सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Systemic Lupus Erythematosus) या ल्यूपस (Lupus) एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही ऊतकों और अंगों पर हमलावर हो जाती है। यह एक ऑटोइम्यून बीमारी (Autoimmune Disease) है। ल्यूपस ज्यादातर महिलाओं को उनके प्रजनन आयु के दौरान प्रभावित करती है। ल्यूपस का प्रभाव (effects of lupus) शरीर के किसी भी अंग पर पड सकता है। अगर इसका उपचार नहीं कराया जाए तो यह रोग जानलेवा भी साबित हो सकती है।
Delhi Aiims : योजना बनाए बिना गर्भधारण करने से शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियां संभव
दिल्ली एम्स (Aiims) के रूमेटोलॉजी विभाग (Rheumatology Department) में सहायक प्रोफेसर डॉ. रंजन गुप्ता (Dr. Ranjan Gupta) ने कहा कि गर्भधारण करना अस्पताल में आने वाली ल्यूपस मरीजों के बीच प्रमुख चिंता की वजह है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी से पीडित ज्यादातर महिलाएं प्रजनन आयु की होती हैं।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि एसएलई के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं (Medicines used to treat lupus (SLE)) गर्भधारण के दौरान लेने पर बच्चों में विकृति पैदा कर सकती हैं। यह एक प्रमुख समस्या है। उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि महिला मरीज गर्भधारण करने से पहले इसके लिए जरूरी योजना बनाए। बिना योजना बनाए गर्भधारण करने से मरीजों को शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड सकता है।
SLE : दवाओं में बदलाव कर गर्भधारण करना सुरक्षित
डॉक्टर रंजन गुप्ता के मुताबिक, बीमारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए रूमेटोलॉजिस्ट दवाओं में जरूरी बदलाव करते हैं। जिसके बाद महिला मरीजों की गर्भधारण की प्रक्रिया को सुरक्षित किया जा सकता है। एसएलई (SLE) से पीड़ित महिलाएं सफलतापूर्वक बच्चे को जन्म दे सकती हैं। वहीं अपने बच्चों को स्तनपान भी करवा सकती हैं। डॉक्टर गुप्ता ने ल्यूपस से पीडित मरीजों और उनके परिवार के लिए मजबूत और भावनात्मक समर्थन का भी आह्वान किया।