Memory Loss की बीमारी से Delhi NCR की युवा आबादी हो रही है प्रभावित
नई दिल्ली। दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) के विशेषज्ञ इन क्षेत्रों में एक अजीब सी बीमारी के बढते हुए मामले को देखकर हैरत में हैं। समस्या याद्दाश्त (memory) से संबंधित है। चिंता की बात यह है कि यह बीमारी तेजी से युवा आबादी को अपनी चपेट में ले रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली एनसीआर (Delhi NCR) क्षेत्र में इस तरह की बीमारी से 30-40 साल की युवा आबादी प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञ इसे स्यूडो डिमेंशिया (pseudodementia) और याददाश्त खोने (memory loss) की समस्या बता रहे हैं। ध्यान देने की बात यह है कि डॉक्टरों के पास प्रति माह युवा आबादी में मेमोरी लॉस और स्यूडो डिमेंशिया से संबंधित लगभग 50 मामले आ रहे हैं। दिल्ली एनसीआर में डॉक्टरों के मुताबिक अत्यधिक तनाव, डिप्रेशन और एक्सेस वर्क लोड इसके पीछे मुख्य वजह साबित हो रहा है।
Delhi की निधि भूल जाती है लोगों के नाम
गुड़गांव में कॉर्पोरेट नौकरी करने वाली दिल्ली की 35 वर्षीय निधि लोगों के नाम भूलने की शिकायत लेकर डॉ. प्रवीण गुप्ता के पास आई और उसने बताया कि उसपर भूलने की बीमारी इस तरह हावी है कि वह लोगों के नाम तक भूल जाती है। इसके अलावा उसे अक्सर यह भी ध्यान नहीं रहता कि उसने घर और कार की चाबियां कहां रखी है। डॉक्टरों ने निधि के मामले में यह पाया कि अधिक काम, तनावपूर्ण नौकरी और मल्टीटास्किंग इसके अलावा काम और घर की जिम्मेदारियां, इन दोनों में संतुलन बनाने की जद्दोजहद के कारण उसमें अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर (attention deficit disorder) विकसित हो गया है। जिसका इलाज देखभाल, दवा और परामर्श से किया जा सकता है।
बैंकर अनिकेत पर भी भूलने की समस्या है हावी
45 वर्षीय अनिकेत जो एक निवेश बैंकर हैं, अपनी कार्य आवश्यकताओं के कारण बहुत यात्रा करते हैं, लोगों के नाम याद न रख पाने और चीजों को आसानी से भूल जाने की समस्या के साथ डॉक्टर के पास आए। डॉक्टरों ने पाया कि अधिक काम करने और अपने निवेश को संतुलित करने के तनाव के कारण उनके मामले में मेमोरी लॉस (memory loss) की समस्या पैदा हो गई।
क्या है Pseudo Dementia?

स्यूडो डिमेंशिया को न्यूरोसाइकिएट्रिक लक्षणों के कारण होने वाले न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों की नकल करने वाली संज्ञानात्मक और कार्यात्मक हानि के रूप में परिभाषित किया गया है। मरीज़ अक्सर याददाश्त और एकाग्रता में कठिनाई महसूस करते हैं और कई बार उनमें अवसाद के भी लक्षण पाए जाते हैं। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव के न्यूरोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. प्रवीण गुप्ता के मुताबिक, “युवा आबादी में स्यूडो डेमेंशिया के मामले बढ़ रहे हैं। हमें महीने में लगभग 50 मामले मिलते हैं जहां 50 वर्ष से कम उम्र के मरीज मेमोरी लॉस और स्यूडो डेमेंशिया से संबंधित पाए जाते हैं।
करियर, अधिक काम, सामाजिक स्थिति और अन्य कारकों से संबंधित अतिरिक्त तनाव लेने से मस्तिष्क पर दबाव बढ़ रहा है जो मस्तिष्क को जानकारी को पूरी तरह से प्रोसेस करने से रोकता है। जिसके कारण यह परमानेंट मेमोरी तक नहीं पहुंच पाता है। साथ ही एक ही समय में बहुत सारी सूचनाओं को प्रोसेस करने से भी फोकस और मेमोरी लॉस हो रही है।”
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डॉ. प्रवीण गुप्ता ने कहा कि, “उच्च स्तर का तनाव होने से मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप मेमोरी लॉस की समस्या हो सकती है। स्यूडो डेमेंशिया और स्मृति हानि दोनों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, अगर इसका यथाशीघ्र निदान कर लिया जाए।
मेदांता अस्पताल के सीनियर कंसलटेंट न्यूरोसाइकिएट्रिस्ट डॉ. विपुल रस्तोगी के मुताबिक, “तनाव स्यूडो डिमेंशिया का प्रमुख कारण है। अधिक से अधिक युवा लोग अपने जीवन के तनावों को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, चाहे वह व्यक्तिगत, पेशेवर या वित्त से संबंधित हो। यह बहुत चिंताजनक है लेकिन पर्याप्त जानकारी और जागरूकता से इसे रोका जा सकता है और इस समस्या को प्रबंधित किया जा सकता है।
दैनिक जीवन में स्यूडो डेमेंशिया और मेमोरी लॉस से पीड़ित मरीजों को यह भूलने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वह छोटी-छोटी बातों को भूलने लगते हैं, जैसे कि कार की चाबियाँ कहाँ रखी हैं, किराने की दुकान से कोई सामान लेना याद नहीं रहता, किसी दोस्त के फोन कॉल का जवाब देना भूल जाना और यहां तक कि वे जो कहने वाले थे उसे भी भूल जाते हैं।
ऐसे करें बचाव :
- तनाव को प्रबंधित करने की कला विकसित करें।
- रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायम करें।
- ध्यान और योग नियमित रूप से करें।
संगीत सुने। - अकेलेपन से बचें।
- जो काम अधिक प्रिय हो उसमें समय जरूर दें।
- पौष्टिक आहार लें।
- पर्याप्त नींद लें।
- सुबह टहलने की आदत डालें।
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