Delhi News : क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से जूझ रही महिला ने लिया था अंगदान का संकल्प
नई दिल्ली।टीम डिजिटल : Delhi News : वह खुद क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से पीडित थी लेकिन जिंदा रहते ही यह संकल्प कर लिया था कि मौत के बाद वह अपना अंगदान करेगी। यह दया भाव की नई परिभाषा है, जो कम ही लोगों में देखने को मिलती है। 59 वर्षीय महिला ने आखिरी सांस लेने के बाद जिंदगी की लौ को बुझने से बचा लिया। उसके घर में मौत का मातम है लेकिन उन मरीजों के परिवार में खुशियां हैं, जो दिवंगत महिला के अंगदान से उन्होंने पाया है।
परिजनों ने किया दिवंगत के अंतिम इच्छा का सम्मान
क्रोनिक किडनी डिजीज से पीडित 59 वर्षीय महिला को बेहोशी के बाद शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला मरीज़ स्वयं कैडेवेरिक डोनेशन किडनी ट्रांसप्लांट सूची में थी। अस्पताल में भर्ती करने के बाद पता चला कि उसकी किडनी पूरी तरह से बेकार हो चुकी है। अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ दीपक कालरा और उनकी टीम ने मोर्चा संभाला और मरीज को तत्काल हिमोडायलिसिस पर रखा गया। यह उपकरण एंडवांस स्टेज के क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) के मरीजों की लाइफ सपोर्ट प्रणाली है।
नहीं बच सकी महिला की जान
डायरेक्टर-क्रिटिकल केयर डॉ हरजीत सिंह महाय के मुताबिक ” CKD मरीज़ को एन्यूरिसमल रप्चर के बाद इंट्राक्रेनियल ब्लीड की वजह से फोर्टिस हॉस्पीटल, शालीमार बाग में भर्ती कराया गया था। अस्पताल की मेडिकल टीम के प्रयासों के बावजूद, मरीज़ को ऑपरेशन थियेटर में ले जाने से पहले से उनके मस्तिष्क में गंभीर रक्तस्राव हुआ जिसने उनके मस्तिष्क को अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचायी। क्रिटिकल केयर के डॉक्टरों ने पूरी स्थिति के बारे में मरीज़ के परिजनों को विस्तार से बताया और उनकी काउंसलिंग भी की। उन्होंने न सिर्फ इस जटिल चिकित्सकीय स्थिति को समझा बल्कि अंगदान करने की मरीज़ की इच्छा के बारे में भी डॉक्टरों को बताया।
Also Read : Apollo Hospital : Breast Cancer से पीडित महिला का सफलतापूर्वक ट्यूमर हटाया
अब डॉक्टरों के सामने बेहद तालमेल और प्रोफेशनल नज़रिए का परिचय देते हुए मृतक के अंगों को जरूरतमंद मरीज़ों के शरीरों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित करवाने की थी। हम इस परिवार के आभारी हैं और मृतक के प्रति भी सम्मानभाव से भरे हैं, कि उन्हें खुद डायलसिस पर रहते हुए अपने अंगों को दान करने का परोपकारी फैसला किया और ऐसा कर जरूरतमंद मरीज़ों की जिंदगी में नइ रोशनी भरी।’ 15 अगस्त को, इंट्राक्रेनियनल ब्लीडिंग (मस्तिष्क के टिश्यू में रक्तस्राव के कारण एक प्रकार का स्ट्रोक) के बाद मरीज़ को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। लेकिन दु:ख की इस घड़ी में भी उनके परिजनों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए, उनकी अंतिम इच्छा का सम्मान किया और उनके अंगों को दान करने का फैसला किया। इस मामले में कई चिकित्सकीय जटिलताओं के कारण हृदय तथा फेफड़ों को दान नहीं किया जा सका।
लिवर और कॉर्निया किया दान
डायरेक्टर एवं एचओडी-न्यूरोसर्जरी, डॉ सोनल गुप्ता के मुताबिक मृतक के लिवर तथा कॉर्निया (आंखों) का दान किया जिससे प्रत्यारोपण का इंतज़ार कर रहे मरीज़ों का जीवन बचाया जा सका। मृतक के परिजनों ने प्रत्यारोपण के महत्व को बखूबी समझा था क्योंकि उनके परिजन की मृत्यु भी किडनी ट्रांसप्लांट का इंतज़ार करते हुए ही हो गई थी, और उनके लिवर तथा कॉर्निया सुरक्षित रूप से निकाले जा सके।” मृतक के लिवर को साकेत स्थित मैक्स अस्पताल के मरीज में ट्रांसप्लांट किया गया। वहीं उनकी दोनों आंखों की कॉनिया डॉ श्रॉफ आइ केयर में नेत्रहीन मरीज के जीवन को रोशन करने के काम आया।
अंग पहुंचाने के लिए ट्रैफिक पुलिस ने बनाया ग्रीन कॉरिडोर
दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की मदद से दो ग्रीन कॉरिडॉर्स तैयार किए गए थे जिनमें एक फोर्टिस हॉस्पीटल शालीमार बाग से मैक्स साकेत हॉस्पीटल और दूसरा फोर्टिस शालीमार बाग से डॉ श्रॉफ आइ केयर के बीच बनाया गया था। इस काम को डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और प्रशासकों की त्वरित कार्रवाई और समर्पण बेहद सराहनीय रही।
[table “9” not found /]
[table “5” not found /]