ज्यादातर मरीजों को डेंगू संक्रमण लंबे समय तक कर रहा है परेशान
नई दिल्ली। Dengue Fever Treatment : राजधानी दिल्ली में डेंगू फीवर के मरीज (Dengue fever patients in Delhi) लगातार बढ़ रहे हैं। इसमें चिंताजनक पक्ष यह भी है कि इस बार ज्यादातर मामले डेंगू के स्ट्रेन-2 (Dengue strain-2) से संबंधित पाए जा रहे हैं। लगातार बारिश और जल जमाव की स्थिति ने डेंगू को पनपने के लिए बेहतर माहौल तैयार किया है। जबकि, लगातार गर्मी और उमस की वजह से लोगों के घरों में कूलर भी लगातार चल रहे हैं। कूलरों की सफाई का ध्यान न रखने की वजह से डेंगू के लार्वा उनमें पनप रहे हैं।
चार वर्षों के बाद डेंगू ने दिखाया दम
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार वर्षों के मुकाबले अब तक सबसे अधिक मामले डेंगू संक्रमण (dengue infection cases) के आ चुके हैं। इसके अलावा दोहरे संक्रमण (double infection) के रोगी भी खूब आ रहे हैं जिनमें जांच के बाद डेंगू के साथ अन्य वायरल या बैक्टीरिया संक्रमण भी मिल रहा है। कोरोना (Corona) के बाद लोगों के शरीर में आई कमजोरी और घटी इम्यूनिटी के कारण ऐसा हो रहा है। अधिकांश मरीजों में संक्रमण लंबे समय तक परेशान कर रहा है।
डेंगू फीवर का आयुर्वेदिक उपचार| Dengue Fever Treatment
नगर निगम में आयुर्वेद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी पाराशर (Dr. RP Parashar) के मुताबिक, डेंगू बुखार का उपचार (Dengue Fever Treatment) आयुर्वेदिक दवाओं से भी संभव है। डेंगू का उपचार आयुर्वेद के जरिए (Ayurvedic treatment of dengue fever) कारगर तरीके से किया जा सकता है। जिसका किसी तरह का दुष्प्रभाव भी नहीं है।
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डेंगू बुखार के उपचार के तहत मरीज अगर पहले ही दिन से ही संजीवनी वटी, आरोग्यवर्धिनी वटी, महासुदर्शन चूर्ण, कालमेघ, भुंईआंवला, पपीते के पत्तों के रस, गिलोय का काढ़ा और हरसिंगार के पत्तों के काढ़े का प्रयोग करें, तो डेंगू और अन्य कोई भी संक्रमण गंभीर स्थिति तक नहीं पहुंच पाएगा। बुखार आने पर पहले दिन से ही इन दवाओं (Ayurvedic treatment of dengue fever) का प्रयोग करने से डेंगू के मरीजों में न तो प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा घटेगी और न ही शरीर में ब्लीडिंग होगी ।
हर संक्रमण में लाभकारी साबित हो रही है आयुर्वेदिक दवाएं| Ayurvedic treatment of dengue fever
डॉ. पाराशर के मुताबिक, ये दवाऐं हर तरह के बुखार में लाभकारी हैं। इकसे अलावा अगर डेंगू के साथ कोई अन्य बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण भी हो, तो इन दवाओं के प्रयोग से संक्रमण पर काबू पाया जा सकता है। बुखार डेंगू के बजाय किसी और संक्रमण के कारण हो तो भी ये दवाएं फायदा हीं करेंगी। संजीवनी वटी, आरोग्यवर्धिनी वटी, कुटकी, महासुदर्शन चूर्ण, पपीते के पत्तों का रस, भुंई आंवला, गिलोय, कालमेघ आदि दवाएं टेबलेट, कैप्सूल और सिरप के रूप में बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं, हरसिंगार के पत्तों का काढ़ा घर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है।
ऐसे तैयार करें काढा
काढ़ा बनाने के लिए हरसिंगार के 20 से 25 पत्ते आधा लीटर पानी में उबालें और जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर रख लें। यह काढ़ा बीस मिलीलीटर (चार चम्मच ) की मात्रा में हर 2 घंटे के बाद रोगी को पिलाते रहें। काढे में हरसिंगार के पत्तों के साथ काली मिर्च, तुलसी और गिलोय को भी मिला सकते हैं।
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अनुसंधानों में सिद्ध हुई है आयुर्वेदिक दवाओं की उपयोगिता
डॉ. पाराशर के मुताबिक, देश-विदेश में हुए विभिन्न अनुसंधानों से यह सिद्ध हो चुका है कि पपीते के पत्तों के रस, गिलोय, भुंईआंवला और कालमेघ में एंटीवायरल गुण हैं। ये दवाएं संक्रमण को खत्म करने के साथ-साथ शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाती हैं। साथ ही शरीर में किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचाती।
इसके अतिरिक्त जय मंगल रस, हिंगुलेश्वर रस, वृहत वात चिंतामणि रस, सितोपलादि चूर्ण, शुण्ठी चूर्ण, आरोग्यवर्धिनी वटी, अश्वगंधारिष्ट, हरितकी चूर्ण, सुदर्शन चूर्ण, कुटकी, नवायस लौह, गुडूची सत्व आदि दवाएं डेंगू के इलाज में प्रभावी हैं। डेंगू की रिपोर्ट किसी भी स्टेज पर पॉजिटिव आने पर इन दवाओं का प्रयोग करने से एक से दो दिन में प्लेटलेट्स की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है। इन दवाओं से शरीर में आंतरिक रक्तस्राव की संभावना भी खत्म होती चली जाती है।
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