Thursday, April 25, 2024
HomeLifeStyleहोम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात

होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात

Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now

डेंगू के उपचार और बचाव में होम्योपैथी दवाओं का दिख रहा है असर

नई दिल्ली।टीम डिजिटल : 
डेंगू (Dengue) बुखार से पीडित लोगों के उपचार में होम्योपैथी दवाओं (homeopathy medicine) का असर दिख रहा है। डेंगू के उपचार (treatment of dengue) में होम्योपैथी दवाएं प्रभावी साबित हो रही हैं। डेंगू देश के कई राज्यों में इस समय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चुनौती साबित हो रही है। यह एक वायरल रोग है और आमतौर पर बरसात और बरसात के बाद प्रभावी होने लगता है। डेंगू मच्छर के काटने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाता है। 
होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात

डेंगू का होम्योपैथिक उपचार : (homeopathy treatment of dengue)

एलोपैथ में डेंगू (dengue) के लिए किसी विशेष एंटीवायरल मेडिसिन का न होना डेंगू से मुकाबले में कई चुनौतियां पैदा करता है। ऐसे में होम्योपैथी और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में डेंगू चिकित्सा के अवसर खोलता है। होमियोपैथी विशेषज्ञ डॉ. एके गुप्ता के मुताबिक होम्योपैथ में डेंगू की निश्चित और कारगर दवाएं उपलब्ध हैं, जिन्होंने अब तक अपनी उपयोगिता को सफलतापूर्वक सिद्ध किया है।

डेंगू के उपचार के लिए होम्योपैथिक औषधियां : (homeopathy medicine for dengue)

1-यूपेटोरियम परप्यूरिका 200 (Eupatorium purpurica 200)
2- ट्राई नाइट्रो टेल्युवियन 200 (टी एन टी 200 )
3-मलेरिया आफिसिनेलिस 200 को भी 15 दिन में एक बार लिया जा सकता है
[irp posts=”8403″ ]
( संक्रमण काल में उपरोक्त एक और दो नंबर की दोनों होम्योपैथिक औषधियों को एक -एक हफ्ते के अंतर पर बारी -बारी एक -एक खुराक लेते रहने से डेंगू के संक्रमण से पूर्ण सुरक्षा प्रदान कर सकता है। इसके अलावा इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए गिलोय का मदर टिंचर टीनेस्पोरा क्यू 6 बूंद रोज एक बार लिया जा सकता है)

डेंगू संक्रमण होने पर प्रयोग में आने वाली होम्योपैथी दवाएं : 

डेंगू हो जाने के बाद औषधियों के चयन के मामले में होम्योपैथी को काफी समृद्ध माना जाता है। इसकी एक खासियत यह भी है कि इस पैथी में उपचार सिम्टोमेटिक आधार पर किया जाता है। होम्योपैथ में कुछ ऐसी दवाएं हैं, जिसे डेंगू का प्रभावी उपचार संभव है : 
एकोनाइट नैपलस 30 ,आर्सेनिक एल्बम 30, जेलसीमियम 30 , यूपेटोरियम परफाेलिएटम 200,यूपेटोरियम परप्यूरिका 200, बेलाडोना 200, रस टॉक्स 30, डल्कामारा 30 , नक्स वॉमिका 200, चिनिनम सल्फ 30 , चिनिनम आर्स 30, इपिकाक30, चिरायता मदर टिंचर, गिलोय मदर टिंचर , पाइरोजेनियम 200, आर्निका माण्ट 30 एवं टी एन टी 30 , 200 , एलोज 30 लेपटेंड्रा मदर टिंकचर, एसिड नाइट्रिक 
[irp posts=”8395″ ]

अनुभूत प्रयोग

टी एन टी 30 के साथ अन्य किसी लक्षण के आधार पर चुनी हुई दवा के उपयोग से निश्चत और तत्काल लाभ पाया जा सकता है। टी एन टी 30 और आर्सेनिक अल्ब 30 बारी-बारी से दो-दो घंटे पर और यूपेटोरियम परप्यूरिका 200 रात में सोते समय एक बार के प्रयोग से प्लेटलेट काउंट 40000 के नीचे आ जाने पर भी दो-तीन दिन के अंदर पूरी तरह लाभ और प्लेटलेट काउंट का डेढ़ लाख से ऊपर पहुंचना सुनिश्चित होता है।
यहां बता दें कि टी एन टी एक विस्फोटक रसायन है, जिसके प्रयोग से बड़ी-बड़ी इमारतों को ध्वस्त करने के काम में उपयोग किया जाता है। होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति में औषधि के रूप में इसका उपयोग 30 अथवा 200 के पावर के साथ करने से प्लेटलेट्स काउंट किसी भी कारणवश कम हुआ हो तो कम समय में सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है। इसके अनेक पैथेलॉजिक साक्ष्य मौजूद हैं। होम्योपै​थ की यह खूबी है कि यहां टी एन टी जैसे विध्वंसक का भी सार्थक प्रयोग संभव है। 
[irp posts=”8308″ ]

डेंगू के बारे में संपूर्ण जानकारी :

होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात

डेंगू के कारण :

डेंगू के लिए ग्रुप बी अरबोवायरस जिम्मेदार होत है। यह उष्णतटबंधीय (ट्रापिकल एवं उपउष्णतटबंधीय (सब ट्रॉपिकल) महाद्वीपों और देशों में रहने वाली आबादी को प्रभावित करता है। यह एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसका संक्रमण मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से होता है। यह मच्छर संक्रमित व्यक्ति का रक्त पीकर 8 से 14 दिन में खुद संक्रमित हो जाती है और अपने जीवनकाल तक यह मच्छर डेंगू संक्रमण को एक से दूसरे इंसान में पहुंचाती रहती है। यह मच्छर स्वच्छ जल में अंडे देती हैं। यह मच्छर ज्यादातर घरों के आसपास गड्ढों, छतों पर बेकार पड़े बर्तनों, गमलों और कूलर में तब अंडे देती है, जब बारिश का साफ पानी इनमें इकट्ठा हो जाता है।  

डेंगू के बारे में जानने योग्य बातें :

1- क्लासिकल डेंगू सामान्य तौर पर खतरनाक और जानलेवा नहीं होता। दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में यही वायरस हिमोरेजिक (रक्त स्रावी) डेंगू का कारण बनता है। डेंगू का यह रूप खतरनाक साबित हो सकता है। 
2- डेंगू वायरस से इंसानों को संक्रमित करने वाली एडीज इजिप्टी मच्छर गंदी नालियों या गंदे स्थान के बजाए साफ पानी में अंडे देती है। यह पार्क, घास के झुरमुट में रहती हैं और यह ​दिन में या सुर्यास्त के समय बेहद सक्रिय होती हैं और इस समय ही यह ज्यादातर लोगों को काटती है। 
3- डेंगू संक्रमित मरीजों में प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होने लगता है। प्लेटलेट्स की संख्या जब डेढ़ लाख से घटकर 20,000 के नीचे जाने लगती है, तब संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर छोटे-छोटे काले धब्बे बनने शुरू हो जाते हैं। ऐसा शरीर में मौजूद छोटी रक्तवाहिनियों के फटने के कारण होता है। प्लेटलेट काउंट कम होने की वजह से शरीर में कहीं भी इंटर्नल ब्लींडिंग हो सकती है। यह कई बार मौत की वजह भी बन सकती है। 
4- डेंगू संक्रमण का लक्षण और प्रभाव स्थान ,परिस्थितियों और अलग- अलग व्यक्ति के इम्यूनिटी और ससेप्टिबिलिटी के मुताबिक भिन्न हो सकता है। 
5- अध्ययनों के मुताबिक डेंगू की एक एपिडेमिक से दूसरे एपिडेमिक के बीच 2 से 3 वर्ष का अंतर पाया गया है। एक बार महामारी की तरह संक्रमण फैलाने के बाद लोगों के अंदर बनने वाली एंडीबॉडी की वजह से यह कुछ वर्षों तक कम प्रभावी बना रहता है। 
6- डेंगू को फैलाने वाले एक दूसरे से मिलते जुलते एंटीजन के अब तक 4 से ज्यादा स्ट्रेन सक्रिय पाए गए हैं। इनमें से किसी भी एक स्ट्रेन के वायरस से संक्रमित होने के बाद ठीक हुए इंसान में न्यूनतम एक साल की इम्यूनिटी विकसित हो जाती है। 
[irp posts=”8229″ ]

क्या है इनक्यूबेशन पीरियड :

इनक्यूबेशन पीरियड 5 से 14 दिन के उस समय को कहते हैं, जिसमें संक्रमित मच्छर द्वारा काटने के बाद शरीर में प्रवेश करने वाला वायरस अपनी संख्या को लगातार बढाता है। इससे संक्रमित व्यक्ति के अंदर विभिन्न प्रकार के लक्षण उत्पन्न होने लगते हैं। लक्षण प्रकट होने के बाद से रोग का प्रभाव शरीर में 1 से 10 दिनों तक बना रहता है। 

बरती जाने वाली सावधानियां :

होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
1-  बरसात का पानी घर के भीतर या बाहर इकट्ठा न होने दें। 
2- यदि घर के आस-पास जलजमाव हो भी रहा हो, तो पानी जमने के कारणों का निवारण तत्काल करें। वहां प्रभावी इंसेक्टिसाइड का छिड़काव भी करते रहें। 
3- पूरे बाजू वाले कपडे पहनें। इसके अलावा पैर के हिस्सों को भी जितना संभव हो ढक कर ही रखें। 
4- शरीर के खुले हिस्सों पर दिन के समय मच्छररोधी क्रीम या तेल का उपयोग कर सकते हैं। बन तुलसी का तेल मच्छररोधी होता है। 
5- रात को सोते समय मच्छरदानी का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। वहीं दिन के समय  कम्युनिटी हॉल ,स्कूल ,ऑफिस इत्यादि में मॉस्किटो रिपेलर्स का उपयोग भी किया जाना चाहिए। 
6- पौष्टिक आहार, पर्याप्त मात्रा में पानी, सीट्रीक फल मौसमी सब्जियां, पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम के जरिए अपने रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का प्रयास करें। 
[irp posts=”8286″ ]

डेंगू के लक्षण :

होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
होम्योपैथी दवाओं से मिल रही है डेंगू के डंक को मात
1- हाई फीवर ( 39-4°C40.5°C(103-105°f) के साथ तेज कंपकपी  
2- तेज सर दर्द, विशेषतौर से ललाट पर आंखों के ऊपर, सूजी हुई पलकें, आंखों में छूने से भी दर्द महसूस होना 
3- आंखें लाल होना, आंखों में चुभन, रोशनी के प्रति आंखों का संवेदनशील होना, फोटोफोबिया और आंखों से पानी बहना 
4- सर्दी जुकाम खांसी या सांस फूलना 
5- हाथ पैर पीठ और जोड़ों में तेज दर्द 
6- त्वचा और मांसपेशियों सोरनेस महसूस होना या जोड़ों के आसपास की मांसपेशियों को छूने पर टेंडरनेस महसूस होना 
7- भूख की कमी तनाव और नाक से खून बहना 
8- बेचैनी, चिंतित और तनावग्रस्त होने के साथ नींद की कमी 
9- चेहरे और हाथों की त्वचा पर लाल महीन दाने (ब्लाचेज) निकलना 
10- शुरूआत में पल्स रेट सामान्य से तेज होना और दो-तीन दिनों में तेज बुखार के साथ पल्स रेट का सामान्य से कम हो जाना 
11- तीन-चार दिन के बाद पसीने के सा​थ बुखार उतरना। कई बार बुखार ठीक होने के बाद पतला दस्त भी हो सकता है 
12- किसी किसी एपिडेमिक में चौथे पांचवें दिन के बाद डेंगू के रैश करीब-करीब प्रत्येक संक्रमित व्यक्ति में दिखाई पड़ते हैं तो कई बार रैशेज नहीं उभरते हैं
13- कुछ संक्रमण में छाती और पेट के मध्य भाग एपीगैस्ट्रिक रीजन में दबाव के साथ मिचली और उल्टी के लक्षण भी पाए जाते हैं 
14-संक्रमण के तीसरे से चौथे दिन के बीच शरीर में व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या घटकर 2 से 3000 तक पहुंच सकती है 
15- कई मरीजों में संक्रमण के दौरान लिम्फैटिक ग्लैंड बढे हुए भी हो सकते हैं। इसमें छूने से दर्द महसूस हो सकता है 
16- रक्त में प्लेटलेट काउंट का कम होना भी डेंगू का प्रमुख सांकेतिक लक्षण है 
17- कठोर हेमोरेजिक डेंगू के संक्रमण की अवस्था में ब्रेन हेमरेज और पलमोनरी ब्लीडिंग भी हो सकता है 

डिस्कलेमर : यह लेख हमने विशेषज्ञों और जानकारों से बातचीत के आधार पर जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित किया है। लेख में बताई गई औषधियों अथवा उपायों को व्यवहार में लाने से पहले कृप्या अपने विशेषज्ञ की राय अवश्य लें। बिना चिकित्सकीय परामर्श के किसी भी दवा का उपयोग करना सेहत और स्वास्थ्य के लिहाज से घातक हो सकता है।
Read : Latest Health News|Breaking News |Autoimmune Disease News |Latest Research | on https://caasindia.in | caas india is a Multilanguage Website | You Can Select Your Language from  Menu on the Top of the Website. (Photo : freepik)

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: caasindia.in में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को caasindia.in के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। caasindia.in लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी/विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

 

caasindia.in सामुदायिक स्वास्थ्य को समर्पित हेल्थ न्यूज की वेबसाइट

Read : Latest Health News|Breaking News|Autoimmune Disease News|Latest Research | on https://www.caasindia.in|caas india is a multilingual website. You can read news in your preferred language. Change of language is available at Main Menu Bar (At top of website).
Join Whatsapp Channel Join Now
Join Telegram Group Join Now
Follow Google News Join Now
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindi
Caas India - Ankylosing Spondylitis News in Hindihttps://caasindia.in
Welcome to caasindia.in, your go-to destination for the latest ankylosing spondylitis news in hindi, other health news, articles, health tips, lifestyle tips and lateset research in the health sector.
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Article