Diabetes की दवा बनाने वाली कई कंपनियां दे रही है ऑफर
नई दिल्ली। डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को अक्सर ऐसी चेाट-चपेट से बचने की सलाह दी जाती है, जिसमें घाव लगने का जोखिम होता है। एक स्वस्थ इंसान के मुकाबले डायबिटीज से पीडित मरीजों में घाव भरने मेें परेशानी होती है। साथ ही घाव के संक्रमित और गंभीर होने का भी जोखिम बना रहता है। डायबिटिक मरीजों में ऐसे घावों के उपचार के लिए तिनी प्रभावी दवा उलब्ध नहीं है।
ऐसे में ग्वालियर के जवाजी विश्वविद्याल से एक राहत देने वाली खबर सामने आई है। यहां की एक पीएचडी स्कॉलर ने डायबिटीज (Diabetes) में होने वाले घावों के लिए ऐसी हर्बल दवा तैयार की है, जिसने बडी-बडी फॉर्मा कंपनियों को भी हैरान कर दिया है। कंपनियों ने उन्हें ऑफर देना शुरू कर दिया है। पीएचडी स्कॉलर ललिता कुशवाहा को इस दवा के निर्माण के लिए राज्य सरकार से मदद मिली है।
चारो तरफ से मिल रही है सराहना
जीवाजी विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रही ललिता कुशवाहा के मुताबिक वे डॉ प्रसाद के मार्गदर्शन में बायोकेमेस्ट्री में पीएचडी की पढ़ाई कर रही हैं। इसमें वे कई विषयों पर शोध भी करती हैं। इसी शोध प्रक्रिया के तहत उन्होंने डायबिटिक पेशेंट के लिए एक विशेष प्रकार का हर्बल ऑइंटमेंट तैयार कर ली है, जिसके इस्तेमाल से डायबीटिक (Diabetes) पेशेंट्स को काफी राहत मिलेगी। उनके इस कार्य की चारो तरफ सराहना की जा रही है। ललिता की इस दवा का उपयोग कर चुके कुछ डायबिटिक मरीजों का कहना है की जब उन्हें चोट लग जाती है, तो घाव भरने में समस्या होती है लेकिन ललिता कुशवाहा की दवा का असर दूसरी दवाओं के मुकाबले अधिक और शीघ्र होता है।
इस तरह घाव पर प्रभावी है यह दवा
ललिता के मुताबिक उनकी हर्बल दवा में कई तरह की एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज मौजूद है। यही कारण है कि जब इस ऑइंटमेंट को हम घाव पर लगाया जाता है, तब इन्फेक्शन इनफ्लुएंशन होता है। यह दवा इसे कम करता है। इसमें स्किन रीजनरेशन प्रॉपर्टी भी शामिल की गई है। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज भी मौजूद है। इन सभी खूबियों की वजह से घाव के चलते होने वाले स्ट्रेस में आराम मिलता है।
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राज्य सरकार से मिली 1 लाख की मदद
ललिता के मुताबिक उन्हें इस कार्य के लिए पैसे की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने अपना प्रोजेक्ट तैयार करके जब अपने विश्वविद्यालय में अपने सीनियर्स और गुरुजनों को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद उन्हें पिछले साल लगभग ₹100000 की अनुदान राशि स्टार्टअप के लिए दी गई। इसके बाद वह पूरे जी-जान से इस दवा को विकसित करने की प्रक्रिया में जुट गईं और बड़े पैमाने पर इस दवा को तैयार किया जा सका। ललिता के मुताबिक बडी-बडी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में उनके साथ काम करना चाहती हैं और उनकी ओर से बडे ऑफर दिए जा रहे हैं। ललिता फिलहाल अपनी पढाई पर फोकस करने में जुटी हैं।
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