एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) वाले विकलांगता प्रमाण पत्र (Handicappe/Disability Certificate Ankylosing Spondylitis) कैसे प्राप्त करें?
Ankylosing Spondylitis News & Articles in Hindi : भारत (India) में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से विकलांग (Disabled from ankylosing spondylitis) या दिव्यांग हो चुके मरीजों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र (Disability Certificate Ankylosing Spondylitis) प्राप्त करने की क्या प्रक्रिया (What is the procedure for obtaining a disability certificate) है? विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कैसे करें (how to apply for disability certificate)? इसकी जानकारी बहुत सारे एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीजों (Ankylosing Spondylitis Patients) को नहीं है।
इस लेख में हम आपको विस्तार से यह बताएंगे कि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस वालों के लिए विकलांगता प्रतिशत ( disability certificate ankylosing spondylitis percentage) कितनी होती है। उन्हें किस तरह का विकलांगता प्रमाण पत्र (Types of disability Certificate) दिया जाता है। इस लेख में, हम एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण विकलांगता का आकलन करने की प्रक्रिया (process of assessing disability), आवश्यक डॉक्टरी जांच (Medical examination required for disability certificate), और प्रमाण पत्र प्राप्त करने के महत्व (Importance of getting a disability certificate) पर चर्चा करेंगे।
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एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस और विकलांगता का आकलन (Ankylosing Spondylitis and Disability Assessment)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित मरीजों की विकलांगता का आकलन करने के लिए एक खास प्रक्रिया अपनाई जाती है। भारत में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया (Procedure for issuing Disability Certificate Ankylosing Spondylitis in India) विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) के तहत संचालित होती है।
1. विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए प्रासंगिक डॉक्टरी जांच और मूल्यांकन (Relevant medical examination and assessment for disability certificate Ankylosing Spondylitis)
विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए डॉक्टरी जांच निम्नलिखित चरणों में होती है:
a. शारीरिक मूल्यांकन (Physical Assessment for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
डॉक्टर मरीज के शारीरिक लक्षणों की जांच करते हैं, जैसे:
- रीढ़ की हड्डी की स्थिति।
- कूल्हों और घुटनों के जोड़ की मूवमेंट।
- शारीरिक असंतुलन या अकड़न का स्तर।
b. रेडियोलॉजिकल जांच (Radiological Examination for Disability Certificate)
रीढ़ की हड्डी (Spine) और जोड़ों (Joints) की स्थिति का आकलन करने के लिए एक्स-रे (X-Ray), एमआरआई (MRI), या सीटी स्कैन (CT Scan) किया जाता है। इस जांच के जरिए यह तय किया जाता है कि कि मरीज में हड्डियों की स्थायी क्षति (Permanent Bone Damage) या संरचनात्मक बदलाव (Structural changes) हुए हैं या नहीं।
c. रक्त परीक्षण (Blood Test for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (AS) के मरीजों में HLA-B27 जीन की उपस्थिति की जांच की जाती है, जो एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के निदान (Diagnosis of ankylosing spondylitis) में सहायक होती है।
d. दर्द और गतिशीलता का मूल्यांकन (Pain and Mobility Assessment for Disability Certificate)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) के मरीजों में डॉक्टर यह जांचते हैं कि मरीज के जोड़ों में दर्द और गतिशीलता की कितनी सीमा (Joint Pain and Range of Motion) है। गंभीर मामलों में (Severe Cases of Ankylosing Spondylitis), मरीज चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ हो सकता है।
e. शारीरिक परिक्षण स्कोरिंग (Ankylosing Spondylitis Disability Ration or Score)
विकलांगता का प्रतिशत निर्धारित करने के लिए शारीरिक परिक्षण स्कोरिंग पद्धति (Physical Test Scoring Method for Determining Percentage of Disability) अपनाई जाती है। इससे यह पता चलता है कि मरीज कितने प्रतिशत विकलांग (Disability Percentage of Ankylosing Spondylitis patients) है। उदाहरण के लिए:
हल्की विकलांगता (Mild Disability) : 20-40%
मध्यम विकलांगता (Moderate Disability) : 40-70%
गंभीर विकलांगता (Severe Disability): 70% से अधिक
विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन प्रक्रिया (Application Process for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
भारत में विकलांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए मरीज को निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है:
1. आवेदन फॉर्म भरना (How to Apply for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
मरीज को अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल (Nearest Government Hospital) या डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्ड से विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन (Application for Disability Certificate from District Medical Board) करना होता है। विकलांगता प्रमाण पत्र के लिए आवेदन फॉर्म (Application form for disability certificate) में मरीज के व्यक्तिगत विवरण (personal details of the patient) और बीमारी के विवरण का उल्लेख (Mention details of the illness) करना आवश्यक है।
2. आवश्यक दस्तावेज जमा करना (Documents Required for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज जमा करना आवश्यक है:
- आधार कार्ड या पहचान पत्र (Aadhaar card or identity card)।
- मेडिकल रिपोर्ट्स (Medical Reports) (जैसे एक्स-रे, एमआरआई, रक्त परीक्षण)।
- पहले से जारी कोई मेडिकल सर्टिफिकेट (Medical Certificate)।
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3. मेडिकल बोर्ड की जांच (Medical Board Examination for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis)
मरीज को डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्ड (District Medical Board) के सामने उपस्थित होना पड़ता है। यह बोर्ड निम्नलिखित विशेषज्ञों से मिलकर बना होता है:
- ऑर्थोपेडिक सर्जन (Orthopaedic Surgeon)
- न्यूरोलॉजिस्ट (Neurologist)
- फिजिकल मेडिसिन विशेषज्ञ (Physical Medicine Specialist)
4. विकलांगता का प्रतिशत तय करना (Determining the Percentage of Disability Certificate in Ankylosing Spondylitis Patients)
मेडिकल बोर्ड जांच के आधार पर एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस मरीज की विकलांगता का प्रतिशत (Percentage of Disability in Ankylosing Spondylitis patients) तय करता है। यदि मरीज 40% या उससे अधिक विकलांगता की श्रेणी (Category of Disability 40% or more) में आता है, तो उसे विकलांगता प्रमाण पत्र (Disability Certificate Ankylosing Spondylitis) जारी किया जाता है।
5. प्रमाण पत्र का वितरण (Distribution of Disability Certificate)
प्रमाण पत्र डिजिटल और फिजिकल (Digital and Physical Disability Certificate) दोनों स्वरूपों में जारी किया जाता है। यह प्रमाण पत्र विकलांगता के प्रकार और स्तर (Types and levels of disability) को स्पष्ट करता है।
विकलांगता प्रमाण पत्र के लाभ (Benefits of Disability Certificate)
विकलांगता प्रमाण पत्र (Disability Certificate Ankylosing Spondylitis) प्राप्त करने वाले मरीज निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं:
1. सरकारी योजनाओं में प्राथमिकता (Priority in Government Schemes for the Disabled)
मरीज को पेंशन योजनाओं (Pension Plans), स्वास्थ्य बीमा (Health Insurance), और सरकारी नौकरियों में आरक्षण (Reservation in Government Jobs) का लाभ मिलता है।
2. आर्थिक सहायता (Financial Aid for Disabled People)
सरकार विकलांग व्यक्तियों को विभिन्न स्तर पर आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
3. मेडिकल सुविधाएं (Medical Facilities for the Handicapped)
विकलांगता प्रमाण पत्र के आधार पर मरीज को मुफ्त या रियायती दरों पर इलाज (Free or Subsidized Treatment for the Disabled/Handicappe) उपलब्ध होता है।
4. टैक्स में छूट (Tax Exemption for Disabled People)
आयकर अधिनियम के तहत विकलांग व्यक्तियों को टैक्स में छूट (Tax exemption for disabled persons under Income Tax Act) मिलती है।
5. शैक्षिक और व्यावसायिक लाभ (Educational and Vocational Benefits for the Disabled/Handicapped)
विकलांग व्यक्तियों को शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश और व्यवसायिक प्रशिक्षण में आरक्षण का लाभ (Benefits of reservation in vocational training) मिलता है।
महत्वपूर्ण चुनौतियां (Key Challenges in Obtaining a Disability Certificate)
हालांकि विकलांगता प्रमाण पत्र प्रणाली (Disability Certificate System) भारत (India) में प्रभावी है, लेकिन कुछ चुनौतियां (Challenges) अभी भी बनी हुई हैं:
1. अवधारणा की कमी (Lack of Concept)
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग विकलांगता प्रमाण पत्र के महत्व और प्रक्रिया (Importance and Process of Disability Certificate) से अनजान होते हैं। इस विषय को लेकर जागरुकता की कमी है। कई छोटे शहरों में भी लोग विकलांगता प्रमाण पत्र के आवेदन की प्रक्रिया (Procedure for applying for Disability Certificate Ankylosing Spondylitis) और उसके महत्व के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।
2. दस्तावेजीकरण की जटिलताएं (The Complexity of the Documentation)
आवेदन प्रक्रिया के लिए आवश्यक दस्तावेज (Documents Required for Disability Certificate Application Process) और मेडिकल रिपोर्ट्स का प्रबंधन (Management of Medical Reports for Disability Certificate Application) करना कई मरीजों के लिए मुश्किल हो सकता है।
3. डॉक्टरी जांच में देरी (Delay in Medical Checkup)
डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्ड (District Medical Board) तक पहुंचने और डॉक्टरी जांच पूरी करने में समय लगता है।
4. डिजिटल प्लेटफॉर्म की कमी (Lack of Digital Platforms)
हालांकि कुछ राज्य ऑनलाइन आवेदन (Online application for disability certificate) की सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन यह सुविधा सभी राज्यों में समान रूप से उपलब्ध नहीं है।
सुझाव और सुधार के उपाय (Suggestions and Improvement Measures)
1. जनजागरूकता अभियान (Public Awareness Campaign)
सरकार को विकलांगता प्रमाण पत्र की प्रक्रिया (Disability Certificate Process) और इसके लाभों के बारे में जनजागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
2. डिजिटल प्लेटफॉर्म का विस्तार (Expansion of Digital Platform for Disability Certificate)
प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए सभी राज्यों में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा (Facility to apply online for disability certificate) प्रदान की जानी चाहिए।
3. विशेषज्ञों की उपलब्धता (Availability of experts)
ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में मेडिकल विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए।
4. प्रमाण पत्र के लिए समय सीमा (Time Limit for Disability Certificate)
प्रमाण पत्र जारी करने के लिए समय सीमा (Time limit for issuing disability certificate) तय की जानी चाहिए, ताकि मरीजों को अनावश्यक देरी न हो।
निष्कर्ष (conclusion)
एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (Ankylosing Spondylitis) जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र (Disability Cirtificate Ankylosing Spondylitis) एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह न केवल उन्हें सरकारी योजनाओं (Government schemes) और लाभों का हिस्सा बनने में मदद करता है, बल्कि उनकी आजीविका और जीवन स्तर को सुधारने में भी सहायक होता है।
भारत में विकलांगता प्रमाण पत्र की प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने की जरूरत है, ताकि, विकलांग और दिव्यांगों को सुलभता से प्रमाण पत्र हासिल हो सके। इसके लिए समान रूप से सभी राज्यों में विकलांगता प्रमाण पत्र के आवेदन और इसे जारी करने के लिए ऑनलाइन माध्यम विकसित करनी होगी। अगले लेख में हम बताएंगे कि एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के कारण दिव्यांग हो चुके मरीज ऑनलाइन आवेदन कैसे कर सकते हैं?